राहुल गांधी का मोदी सरकार पर वार, कहा- बेरोजगारी बनी राष्ट्रीय आपदा, टूटा 45 सालों का रिकॉर्ड

राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (एनएससी) के दो सदस्यों के इस्तीफे के बाद कांग्रेस ने बुधवार को मोदी सरकार पर हमला बोला है. लीक हुई बेरोजगारी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कांग्रेस ने कहा है की इस सरकार में पिछले चार दशकों में सबसे ज्यादा बेरोजगारी बढ़ी है और सरकार इसको काबू में नहीं कर पा रही है.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और पीएम नरेंद्र मोदी (Photo Credit: PTI)

नई दिल्ली: राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (एनएससी) के दो सदस्यों के इस्तीफे के बाद कांग्रेस ने बुधवार को मोदी सरकार पर हमला बोला है. लीक हुई बेरोजगारी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कांग्रेस ने कहा है की इस सरकार में पिछले चार दशकों में सबसे ज्यादा बेरोजगारी बढ़ी है और सरकार इसको काबू में नहीं कर पा रही है.

एक समाचार एजेंसी ने रिपोर्ट का हवाला देकर कहा कि बेरोजगारी की दर 1972-73 के बाद से अपने उच्चतम स्तर 6.1% पर पहुंच गई है. जिसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर कटाक्ष करते हुए ट्विट किया. प्रधानमंत्री मोदी का नाम लिए बिना राहुल ने कहा एक नेता ने हमें एक साल पहले दो करोड़ नौकरियों का वादा किया था. लेकिन 5 साल बाद, उनके लीक हुए जॉब क्रिएशन रिपोर्ट कार्ड से राष्ट्रीय आपदा का पता चल गया है. 45 साल में बेरोजगारी सबसे ज्यादा है. 2017-18 में सिर्फ 6.5 करोड़ युवा बेरोजगार हैं.

इससे पहले कांग्रेस सरकार ने तत्काल बेरोजगारी से जुड़ी रिपोर्ट जारी करने की मांग की. कांग्रेस के कोषाध्यक्ष अहमद पटेल ने ट्वीट कर कहा, ‘‘सरकार तत्काल बेरोजगारी से जुड़ी वह रिपोर्ट जारी करे जिसे उसने अपने पास रोक रखा है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘रिपोर्ट और इसे तैयार करने वाले आयोग का ताल्लुक भारत की जनता से है, न कि किसी राजनीतिक दल से. इसका कोई मतलब नहीं है कि सरकार इस रिपोर्ट को सिर्फ इसलिए जारी नहीं करे कि इसके तथ्य उसके मुताबिक नहीं है.’’

सोमवार को इसके अध्यक्ष समेत दो सदस्यों ने यह कहते हुए अपना इस्तीफा सौंप दिया कि उनके जीडीपी से संबंधित आंकड़े को लागू करने में देरी हो रही है और उनके महत्वपूर्ण मामलों को दरकिनार किया जा रहा है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एनएससी के अध्यक्ष का पद संभाल रहे पी.सी. मोहनन और दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनोमिक्स के प्रोफेसर जी.वी. मिनाक्षी ने सोमवार को सांख्यिकी मंत्रालय को अपना इस्तीफा भेज दिया था. दोनों सदस्य आयोग की मंजूरी के बावजूद नए आर्थिक आंकड़े जारी करने और रोजगार-बेरोजगारी रिपोर्ट को प्रकाशित करने में देरी की वजह से नाखुश थे.

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