
Operation Sindoor: जब भी भारत में कोई बड़ा राष्ट्रीय घटनाक्रम होता है, उसका असर केवल राजनीति या रक्षा क्षेत्र तक सीमित नहीं रहता. उसका प्रभाव फिल्म इंडस्ट्री तक भी पहुंचता है. कुछ ऐसा ही हुआ हाल ही में, जब जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए. इस सैन्य कार्रवाई को लेकर बॉलीवुड में हलचल तेज हो गई और फिल्ममेकर्स की नजरें जा टिकीं "ऑपरेशन सिंदूर" पर.
Operation Sindoor: पहलगाम हमले का बदला, ऑपरेशन सिंदूर के लिए भारत ने कैसे चुने टारगेट?
FWICE (Federation of Western India Cine Employees) के अध्यक्ष बी. एन. तिवारी ने पुष्टि की कि भारत की जवाबी कार्रवाई के बाद करीब 15 से ज्यादा प्रोडक्शन हाउस ने "ऑपरेशन सिंदूर" नाम को रजिस्टर कराने के लिए Indian Motion Picture Producers Association (IMPPA) में आवेदन किया.
15 फिल्ममेकर्स ने जताई टाइटल में रुचि
फिल्म इंडस्ट्री के सूत्रों के मुताबिक, जब भी कोई बड़ा राष्ट्रीय या सैन्य ऑपरेशन सामने आता है, निर्माता तुरंत उस पर आधारित टाइटल को सुरक्षित करने की कोशिश करते हैं. जरूरी नहीं कि वे उस पर तुरंत फिल्म बनाएं. लेकिन एक "टाइटल बुकिंग" भविष्य की संभावनाओं को खुला रखने का एक तरीका होता है.
"उरी", "वॉर" और "फाइटर" जैसी फिल्मों की सफलता के बाद प्रोड्यूसर्स को यह एहसास हो चुका है कि देशभक्ति और युद्ध आधारित फिल्में दर्शकों को खूब पसंद आती हैं. इसलिए वे ऐसे टाइटल्स को पहले ही सुरक्षित कर लेते हैं ताकि भविष्य में उस विषय पर फिल्म बनाने का विकल्प खुला रहे.
अशोक पंडित की भावुक प्रतिक्रिया
फिल्ममेकर अशोक पंडित ने भी इस टाइटल को रजिस्टर कराने के लिए आवेदन किया है. उन्होंने कहा, “फिल्म बनेगी या नहीं, यह तो बाद की बात है, लेकिन जैसे ही कोई गंभीर और देशहित की घटना होती है, हम टाइटल बुक करवा लेते हैं. यह पहला कदम होता है किसी भी फिल्म की शुरुआत का.” उन्होंने यह भी कहा कि इस विषय से उनका व्यक्तिगत जुड़ाव है. “हमने पाकिस्तान के आतंकवाद के कारण 30–35 वर्षों तक पीड़ा सही है. यह सिर्फ एक फिल्म का विषय नहीं है, यह हमारे अस्तित्व और न्याय की बात है.”
कौन-कौन है इस रेस में?
महावीर जैन का प्रोडक्शन हाउस इस टाइटल की दौड़ में सबसे आगे बताया जा रहा है, जिसने सबसे पहले "ऑपरेशन सिंदूर" नाम रजिस्टर करवाया. उनके अलावा, मधुर भंडारकर, टी-सीरीज़, और ज़ी स्टूडियो जैसे बड़े नाम भी इस टाइटल पर दावा ठोक चुके हैं.
"ऑपरेशन सिंदूर" सिर्फ एक संभावित फिल्म का नाम नहीं है, यह उन भावनाओं का प्रतीक है जो देश की सुरक्षा, बलिदान और जवाबी ताकत से जुड़ी होती हैं. भले ही इस नाम पर फिल्म कब बने, कितने लोग मिलकर उसे परदे पर लाएं. पर इतना तय है कि यह टाइटल भारतीय सिनेमा के देशभक्तिपूर्ण अध्याय का एक अहम हिस्सा बन सकता है.