QR Code in LPG Gas Cylinder: अब गैस चोरी की 'नो टेंशन', गैस सिलेंडरों को क्यूआर कोड, ये होंगे फायदे
आपको बता दें कि घरेलू एलपीजी सिलेंडर BIS 3196 मानक का इस्तेमाल कर के बनाए जाते हैं और उनकी लाइफ 15 साल की होती है. इस बीच रसोई गैस सिलेंडर की टेस्टिंग 2 बार की जाती है, पहली टेस्टिंग 10 साल पूरे होने पर होती है और दूसरी 5 साल पूरे होने पर की जाती है.
QR Code in LPG Gas Cylinder: सरकार ने घरेलू एलपीजी गैस सिलेंडर यूज करने वाले ग्राहकों की सुविधा के लिए कड़ा कदम उठाया है. देश में लगभग 30 करोड़ LPG ग्राहक हैं, जबकि गैस सिलेंडरों की संख्या करीब 70 करोड़ है. अक्सर ग्राहकों की यह भी शिकायत रहती है कि उसके घरेलू गैस सिलेंडर में गैसों की मात्रा 1 से 2 किलो कम निकली है. कई बार इसकी शिकायत करने के बाद भी ग्राहक उसकी ट्रेसिंग नहीं कर पाते हैं, ऐसे में एलपीजी सिलेंडर से गैस चोरी रोकने के लिए सरकार सभी गैस सिलेंडरों को क्यूआर कोड (QR Code) से लैस कर रही है. केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने World LPG Week 2022 के अवसर कहा कि यह एक क्रांतिकारी बदलाव है, क्योंकी इससे आप सिलेंडर को ट्रैक और ट्रेस कर सकेंगे. यह भी पढ़ें: एक फरवरी को पेश होगा आम बजट, मोदी सरकार ने बदली परंपरा
कब तक गैस सिलेंडर में लगेगा क्यूआर कोड
केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने World LPG Week 2022 के खास अवसर पर बताया कि जल्द ही सभी एलपीजी सिलेंडर पर क्यूआर कोड (QR Code in LPG Gas Cylinder) लगाने की शुरूआत हो चुकी है. 3 महीने के अंदर इस काम को पूरा करने का टारगेट रखा गया है. आपको बता दें कि नए गैस सिलेंडर में क्यूआर कोड मैन्यफैक्चरिंग के समय ही डाला जाएगा. वहीं गैस सिलेंडर में क्यूआर कोड के मेटल स्टीकर को गैस सिलेंडर पर चिपकाया जाएगा. बता दें इस समय देश भर में करीब 30 करोड़ घरेलू एलपीजी के कंज्यूमर हैं. इनमें से अकेले आईओसीएल के करीब 15 करोड़ कंज्यूमर हैं। 30 करोड़ कंज्यूमरों में से करीब आधे के पास डबल सिलेंडर हैं. इस तरह से करीब 70 करोड़ घरेलू गैस सिलेंडर देश भर में हैं.
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20 हजार एलपीजी सिलेंडर QR code लगे हुए किए जारी
यूनिट कोड आधारित ट्रैक के तहत पहले चरण में क्यूआर कोड वाले 20 हजार एलपीजी सिलेंडर जारी किए गए. बता दें कि यह एक तरह का बारकोड होता है, जिसे मोबाईल डिवाइस से खोला जा सकता है. हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि अगले तीन महीने में सभी 14.2 किलोग्राम के घरेलू एलपीजी सिलेंडर पर क्यूआर कोड लगा दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) की शुरुआत से पहले देश के ग्रामीण परिवारों के लिए स्वच्छ खाना पकाने के ईंधन की उपलब्धता एक बड़ी चुनौती थी. केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी उज्ज्वला योजना शुरू होने के बाद ग्रामीणों को राहत मिली है.
LPG cylinder को ट्रैक कर सकेंगे
क्यूआर कोड आधारित सिलेंडर इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IOCL) द्वारा लॉन्च किया गया है. इंडियन ऑयल के चेयरमैन श्रीकांत माधव के मुताबिक, क्यू आर कोड एक तरीके से हर एलपीजी सिलेंडर का आधार कार्ड होगा. इससे एलपीजी सिलेंडर की बॉटलिंग से लेकर डिस्ट्रीब्यूशन तक की प्रक्रिया पारदर्शी होगी. उन्होंने बताया कि क्यूआर कोड के जरिए ग्राहक सिलेंडर के बारे में पूरी जानकारी हासिल कर सकेंगे. उदाहरण के लिए, सिलेंडर को कहां रिफिल किया गया है. उसका डिस्ट्रीब्यूटर कौन है और सिलेंडर से संबंधित कौन से सुरक्षा परीक्षण किए गए हैं.
जानें क्यूआर कोड के फायदे
कई बार ग्राहक एलपीजी सिलेंडर के बारे में जरूरी जानकारी नहीं पाते. मसलन सिलेंडर में कितनी गैस है? पैकिंग के दौरान वजन कितनी थी? लेकिन अब आपको इन सवालों के जवाब के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा. एक क्यूआर कोड (QR codes) से आप एलपीजी सिलेंडर ( LPG Cylinder) से जुड़े तमाम जानकारी पा सकेंगे. पहले यह नहीं पता चल पाता था कि किस डीलर ने गैस सिलेंडर को कहां से निकाला और किस डिलीवरी मैन ने उसकी डिलीवरी ग्राहक के घर पर की थी. मगर क्यूआर कोड लगने के बाद सभी चीजों की ट्रैकिंग बहुत आसान हो जाएगी. इससे चोर आसानी से पकड़ा जा पाएगा और इससे लोगों के मन ने हर पैदा होगा। इससे वह गैस की चोरी करने से बचेंगे.
QR कोड के और भी फायदे
चोरी पकड़ने के साथ ही इस क्यूआर कोड के और भी कई तरह के फायदे हैं. आईओसी के अधिकारी ने बताया कि क्यूआर कोड के और भी फायदे हैं. इससे यह पता चलेगा कि किस सिलेंडर में कितने बार रिफिलिंग की गई है. एक सिलेंडर को वापस रिफिलिंग सेंटर आने में कितने दिन लगता है. यदि कोई घरेलू गैस सिलेंडर का कामर्शियल उपयोग करते हुए पकड़ा जाएगा तो यह पता करना आसान हो जाएगा कि उसकी डिलीवरी किस डीलर से हुई है.
15 साल होती है सिलेंडर की लाइफ
आपको बता दें कि घरेलू एलपीजी सिलेंडर BIS 3196 मानक का इस्तेमाल कर के बनाए जाते हैं और उनकी लाइफ 15 साल की होती है। इस बीच रसोई गैस सिलेंडर की टेस्टिंग 2 बार की जाती है, पहली टेस्टिंग 10 साल पूरे होने पर होती है और दूसरी 5 साल पूरे होने पर की जाती है.