Punjab New CM: 'बसंती' की लहर के बीच भगवंत मान ने ली मुख्यमंत्री पद की शपथ, 'इंकलाब जिंदाबाद' का लगाया नारा
बसंती की लहर और क्रांतिकारी गीत 'रंग दे बसंती' के नारों के बीच, आप नेता और मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बुधवार को लगभग 400,000 दर्शकों की भीड़ के बीच आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले महान स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह के गांव में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.
खटकर कलां (पंजाब), 16 मार्च : बसंती की लहर और क्रांतिकारी गीत 'रंग दे बसंती' के नारों के बीच, आप नेता और मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बुधवार को लगभग 400,000 दर्शकों की भीड़ के बीच आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले महान स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह के गांव में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. उन्होंने 'इंकलाब जिंदाबाद' और 'क्रांति की जय हो' के नारे के साथ हिंदी में ली गई शपथ को समाप्त किया. 48 वर्षीय पूर्व कॉमेडियन मान,नए मुख्यमंत्री बने हैं. वह लगभग चार दशकों में पंजाब के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बने हैं. उन्होंने मंगलवार को संगरूर से लोकसभा सांसद पद से इस्तीफा दे दिया था. वह राज्य से आप के अकेले सांसद थे. राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने मान को 17वें मुख्यमंत्री के रूप में पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई. एक घंटे की देरी से हुए शपथ ग्रहण के बाद, मान ने अपने संबोधन में कहा कि उन्होंने राज्य के सभी निवासियों के साथ मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली है. उन्होंने कहा, "आप सभी मुख्यमंत्री होंगे."
उन्होंने कहा कि आज से ही काम शुरू हो जाएगा. उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि हमें पहले ही बहुत देर हो चुकी है. हमें 70 साल की देरी हो गई है. पूरे भारत से लोग स्कूल और 'मोहल्ला' क्लीनिक देखने के लिए दिल्ली आते हैं, विदेशी लोग पंजाब आते हैं और तस्वीरें क्लिक करते हैं. भगत सिंह को श्रद्धांजलि देते हुए, मान ने कहा, "भगत सिंह को न केवल भारत की आजादी की चिंता थी, बल्कि यह भी कि देश आजाद होने के बाद किन हाथों में जाएगा. उनकी चिंताएं वाजिब थीं. हम उन लोगों के लिए विदेश जा रहे हैं जिनसे हमने हमारी आजादी ली थी. हम अपने देश में रहेंगे और इसकी बेहतरी के लिए काम करेंगे." लोगों से करुणामयी अपील करते हुए उन्होंने कहा कि बेरोजगारी से लेकर खेती तक व्यवसाय से लेकर स्कूलों तक सभी समस्याओं का समाधान ढूंढा जाएगा. भगत सिंह के एक श्लोक का पाठ करते हुए मान ने कहा, "प्यार करना हर किसी का जन्मसिद्ध अधिकार है, क्यों न मेरे देश की मिट्टी को अपना प्रेमी बनाया जाए?" पार्टी लाइन से हटकर मान ने कहा, "हम उनके लिए भी सरकार हैं जिन्होंने हमें वोट नहीं दिया और हम उनके लिए भी काम करेंगे." अपने 15 मिनट के भाषण को समाप्त करने से पहले, मान ने कहा, "हुकुमत वो करते हैं जिनका दिलों पर राज होता है, यू कहने को मुर्गे के सर पे भी ताज होता है." राज्य की राजधानी में गुरुवार को होने वाले एक दिवसीय विधानसभा सत्र के दौरान नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाई जाएगी. यह भी पढ़ें : फोन टैपिंग मामला : रश्मि शुक्ला मुंबई पुलिस के समक्ष पेश, दो घंटे से अधिक समय तक हुई पूछताछ
हालांकि मान की कैबिनेट शनिवार को चंडीगढ़ के राजभवन में शपथ लेगी. मान की कैबिनेट की सूची में हरपाल चीमा, अमन अरोड़ा, बलजिंदर कौर, मीत हेयर, सर्वजीत कौर मनुके और दूसरी बार विधायक बने बुध राम के शामिल होने की संभावना है. शपथ ग्रहण स्थल पर मंच पर तीन पोडियम बनाए गए थे. जिसमें राज्यपाल और मान केंद्रीय मंच पर थे, दूसरे पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके मंत्रिमंडल का कब्जा था और तीसरे पर आप के 91 विधायकों का कब्जा था. शपथ ग्रहण से पहले दोपहर 12.30 बजे समारोह के निर्धारित समय से करीब 45 मिनट देरी से कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे मान ने कहा, "सूरज की सुनहरी किरण बुधवार को एक नई सुबह लेकर आई है." मान ने ट्वीट कर कहा, "सूरज की सुनहरी किरण आज एक नया सवेरा लेकर आई है. शहीद भगत सिंह और बाबा साहब के सपनों को साकार करने के लिए पूरा पंजाब आज खटकर कलां में शपथ लेगा."
10 मार्च को हुई प्रचंड जीत के बाद 58,206 वोटों के अंतर से धूरी सीट जीतने वाले मान ने कहा कि कांग्रेस-अकाली दल की सरकारों के दौरान पंजाब को लेकर फैसले मोती महल, सिसवां फार्म हाउस और बड़ी 'हवेलियों' में लिए जाते थे. उन्होंने कहा, "अब पंजाब की सरकार गांवों और मोहल्लों से चलेगी." उन्होंने कहा, "पहले पंजाब के मुख्यमंत्री राजभवन में शपथ लेते थे. मैं गांव भगत सिंह खटकर कलां में मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहा हूं." भाजपा ने भी महान स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह का आह्वान करने का प्रयास किया था. 2015 में, 'बसंती' पगड़ी पहनकर, नरेंद्र मोदी पंजाब के फिरोजपुर जिले के हुसैनीवाला का दौरा करने वाले दूसरे प्रधानमंत्री बने थे. हुसैनीवाला वह स्थान है जहां 23 मार्च, 1931 को लाहौर में फांसी दिए जाने के बाद तीन स्वतंत्रता सेनानियों- भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु का अंतिम संस्कार किया गया था.