नई दिल्ली: आम जनता पर दवाइयों के बिल का बोझ अब कम होने वाला है. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि 651 आवश्यक दवाओं और दवाओं की कीमतों में कमी की गई है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने आवश्यक दवाओं की कीमतों में 6.73 प्रतिशत की कमी की, जो देश में बिकने वाली कुल दवाओं का 95 प्रतिशत है. जिन दवाओं की कीमतें कम की गई हैं उनमें पेरासिटामोल, मेटफॉर्मिन और टेल्मिसर्टन शामिल हैं.
राष्ट्रीय दवा मूल्य नियामक ने अपने एक ट्वीट में कहा कि सरकार आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची के तहत सूचीबद्ध कुल 870 दवाओं में से अब तक 651 दवाओं की अधिकतम कीमत तय करने में सफल रही है. इससे हर व्यक्ति तक जरूरी दवाओं की पहुंच को बढ़ाया जा सकेगा. एनपीपीए ने कहा है कि अधिकतम कीमतों की कैपिंग के साथ 651 आवश्यक दवाओं की कीमत में पहले ही 16.62 प्रतिशत की कमी थी. इस तरह, आवश्यक दवाओं की कीमत 12.12 प्रतिशत बढ़नी थी, लेकिन अब 1 अप्रैल से इसे 6.73 प्रतिशत कम कर दिया गया है.
एनपीपीए ने ट्वीट कर कहा कि सरकार एनएलईएम में सूचीबद्ध कुल 870 दवाओं में से अबतक 651 के अधिकतम मूल्य को तय कर पाई है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने एनएलईएम में सितंबर, 2022 में संशोधन किया था और अब इसके दायरे में कुल 870 दवाएं आती हैं.
एनपीपीए का कहना है कि 651 आवश्यक दवाओं का अधिकतम मूल्य तय करने से इनकी औसतम कीमत 16.62 प्रतिशत कम हो चुकी है. उसने बयान में कहा, ‘‘इसके चलते, जिन 651 दवाओं के दाम 12.12 प्रतिशत बढ़ने वाले थे, उनमें एक अप्रैल से 6.73 प्रतिशत की कमी हुई है. उसने कहा कि थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) के आधार पर दवाओं के दामों में 12.12 प्रतिशत की वृद्धि के बावजूद उपभोक्ताओं को कीमतों में कमी का लाभ मिलेगा. एनपीपीए ने 25 मार्च को कहा था कि 2022 के लिए डब्ल्यूपीआई में वार्षिक बदलाव 12.12 प्रतिशत है.