Year Ender 2020: भारत के इन राज्यों में इस साल देखने को मिला हाई-वोल्टेज पॉलिटिकल ड्रामा
साल 2020 को कभी भुलाया नहीं जा सकता है. इस साल को न सिर्फ कोरोना वायरस के प्रकोप के शुरुवात के लिए याद किया जाएगा. बल्कि देश के भीतर हुई कई पॉलिटिकल उठापटक के लिए भी याद किया जाएगा. साल 2020 में कई ऐसी पॉलिटिकल घटनाएं हुई है. जो किसी अचरज से कम नहीं है. कोरोना से जूझते संकट के बीच देश कई राजनीतिक घटनाक्रमों का गवाह बना. इसमें महाराष्ट्र में एनडीए से पुरानी दोस्ती तोड़कर शिवसेना का कांग्रेस और एनसीपी के साथ आना. इसी महाराष्ट्र में पहली बार ऐसा हुआ कि ठाकरे परिवार का सदस्य मुख्यमंत्री बना. इतना ही नहीं, बीजेपी का बिहार में फिर से आना और फिर नीतीश कुमार के साथ मिलकर सरकार बनाना. इसके अलावा मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार का गिरना और फिर शिवराज सिंह चौहान का आना. इन सभी पॉलिटिकल हैप्पनिंग के दौरान जबरदस्त हाई वोल्टेज ड्रामा देखने को मिला.
नई दिल्ली:- साल 2020 को कभी भुलाया नहीं जा सकता है. इस साल को न सिर्फ कोरोना वायरस के प्रकोप के शुरुवात के लिए याद किया जाएगा. बल्कि देश के भीतर हुई कई पॉलिटिकल उठापटक के लिए भी याद किया जाएगा. साल 2020 में कई ऐसी पॉलिटिकल घटनाएं हुई है. जो किसी अचरज से कम नहीं है. कोरोना से जूझते संकट के बीच देश कई राजनीतिक घटनाक्रमों का गवाह बना. इसमें महाराष्ट्र में एनडीए से पुरानी दोस्ती तोड़कर शिवसेना का कांग्रेस और एनसीपी के साथ आना. इसी महाराष्ट्र में पहली बार ऐसा हुआ कि ठाकरे परिवार का सदस्य मुख्यमंत्री बना. इतना ही नहीं, बीजेपी का बिहार में फिर से आना और फिर नीतीश कुमार के साथ मिलकर सरकार बनाना. इसके अलावा मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार का गिरना और फिर शिवराज सिंह चौहान का आना. इन सभी पॉलिटिकल हैप्पनिंग के दौरान जबरदस्त हाई वोल्टेज ड्रामा देखने को मिला.
मध्य प्रदेश:- मध्य प्रदेश की राजनीति में साल 2020 में जो हुआ उसकी किसी ने कभी कल्पना तक नहीं की थी. मध्य प्रदेश में बीजेपी को हराने के बाद कांग्रेस के हौसले बुलंद थी. 15 साल बाद शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) की सरकार सत्ता से गई और कमलनाथ (Kamal Nath) ने कमान संभाली. लेकिन इस दौरान भी कांग्रेस का आंतरिक कलह दुनिया के सामने आया और कभी राहुल गांधी के सबसे करीबी रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कमलनाथ की सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. यहीं से शुरू हुआ मध्य प्रदेश का हाई वोल्टेज ड्रामा कांग्रेस के कद्दावर नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की अगुवाई में कांग्रेस के 25 विधायकों ने बगावत कर इस्तीफा दे दिया. जिसके बाद कमलनाथ की सरकार चरमारा गई और फिर कांग्रेस को कुर्सी से हाथ धोना पड़ गया. दौरान दोनों तरफ से जमकर बयानबाजी हुई. कमलनाथ ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया. लेकिन अंत में उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा. यह भी पढ़ें:- Year Ender 2020: ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने से लेकर बीजेपी का दामन थामने तक, सुर्खियों में रहीं भारत की राजनीति से जुड़ी ये बड़ी घटनाएं.
महाराष्ट्र:- कभी महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना की दोस्ती का तूती बोला करता था. एक साथ कई चुनाव दोनों दलों ने एक साथ मिलकर लड़ा और कई में जीते भी. लेकिन इस दोस्ती में दरार पड़ गई. जिसे कभी फूटे आंख शिवसेना पसंद भी नहीं किया करती थी उन्ही के साथ दोस्ती कर ली. वैसे सियासतदानों के लिए कुर्सी के माइने बहुत होते हैं. इस सियासी ड्रामे की शुरुवात विधानसभा चुनाव के दौरान सीटों के बंटवारे से शुरू हुई. लेकिन उस समय दोनों एक साथ थे. लेकिन नेताओं की टिप्पणी का दौर जारी था. लेकिन महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना गठबंधन सरकार बना रहा है, गठबंधन को 161 सीटें मिली हैं. मामला तब और भी गरमा गया जब सीएम पद को लेकर दोनों दलों में बहस हो गई. मामला फिर बिगड़ने लगा और शिवसेना ने एनडीए से खुद को अलग कर लिया. फिर उसके बाद महाराष्ट्र में Maha Vikas Aghadi की सरकार बनी. जिसमें पहली बार शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस एक साथ मंच पर आए. जो कि अब तक कभी नहीं हुआ था. यह भी पढ़ें:- Year Ender 2020: साल 2020 में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी समेत इन नेताओं ने संसार को कहा अलविदा
राजस्थान:- मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया के बगावत की आंच ठंडी हुई ही नहीं थी. तब तक राजस्थान में इसी तरह का ड्रामा शुरू हो गया. राजस्थान में एक तरफ सचिन पायलट का खेमा था तो दूसरी तरह सीएम अशोक गहलोत के सिपाही. दोनों एक दूसरे की तरफ तनकर खड़े हो गए. लगा मध्य प्रदेश का किस्सा फिर से राजस्थान में दोहराया जाएगा. सचिन पायलट के गुट ने दावा किया कि उनके समर्थन में तकरीबन 30 विधायक हैं. इस दरम्यान 16 विधायकों का वीडियो भी सामने आया. इस दौरान दोनों गुटों के नेताओं ने एक दूसरे पर जमकर बयानबाजी भी की. मामला राज्यपाल के पास से होते हुई हाई कोर्ट पहुंच गया. दूसरी तरफ अशोक गहलोत ने दावा किया कि सचिन पायलट से उनकी सरकार को कोई खतरा नहीं है. कांग्रेस ने दावा किया कि जिन 122 विधायकों के समर्थन से सरकार चलती रही, उनमें से 106 विधायक मौजूद थे, यानी बहुमत से 6 ज़्यादा. इस दौरान सचिन पायलट का सारा पद छीन लिया गया. फिलहाल अभी दोनों नेता एक साथ हैं और राजस्थान की सरकार अपना काम कर रही है. लेकिन इसे भी साल 2020 का सबसे हाई बोल्टेज ड्रामा माना जाता है.