Lifetime Ban On Criminal Leaders: जिंदगी भर चुनाव नहीं लड़ पाएंगे अपराधी नेता? सुप्रीम कोर्ट आज सुनाएगा फैसला
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Lifetime Ban On Criminal Leaders: क्या किसी सांसद या विधायक को किसी आपराधिक मामले में सजा मिलने पर उसके आजीवन चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है? फिलहाल तो ऐसा कानून नहीं है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट से सिफारिश की गई है कि कुछ मामलों में दोषी करार दिए गए सांसद या विधायक के आजीवन चुनाव लड़ने पर रोक लगा देनी चाहिए.

गंभीर अपराधों के दोषी नेताओं के चुनाव लड़ने पर आजीवन प्रतिबंध लगाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज फैसला सुनाएगा.

एमिकस क्यूरी विजय हंसारिया ने सुप्रीम कोर्ट में 19वीं रिपोर्ट दाखिल की है. इसमें सिफारिश की गई है कि जनप्रतिनिधि कानून में बताए गए कुछ अपराधों में दोषी सांसदों के चुनाव लड़ने पर आजीवन प्रतिबंध लगाने पर विचार किया जाए, क्योंकि उन्हें आम लोगों की तुलना में ज्यादा जिम्मेदार माना जाता है. ये भी पढ़ें- नीतीश के विवादास्पद बयान का मामला अदालत पहुंचा, मुजफ्फरपुर की अदालत में परिवाद पत्र दायर

रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन आपराधिक मामलों में जेल की सजा होती है, उनमें रिहाई के छह साल बाद तक अयोग्यता रहती है. इस तरह कोई व्यक्ति रिहाई के छह साल बाद फिर चुनाव लड़ सकता है. भले ही उसे दुष्कर्म जैसे जघन्य अपराध में ही दोषी क्यों न ठहराया गया हो.

वर्तमान कानून

1951 में जनप्रतिनिधि कानून आया था. इस कानून की धारा 8 में लिखा है कि अगर किसी सांसद या विधायक को आपराधिक मामले में दोषी ठहराया जाता है, तो रिहाई के बाद से लेकर अगले 6 साल तक वह चुनाव नहीं लड़ पाएगा.

धारा 8(1) में उन अपराधों का जिक्र है जिसके तहत दोषी ठहराए जाने पर चुनाव लड़ने पर रोक लग जाती है. इसके तहत, दो समुदायों के बीच घृणा बढ़ाना, भ्रष्टाचार, दुष्कर्म जैसे अपराधों में दोषी ठहराए जाने पर चुनाव नहीं लड़ सकते.

इस कानून की धारा 8(3) में लिखा है कि अगर किसी सांसद या विधायक को 2 साल या उससे ज्यादा की सजा होती है तो तत्काल उसकी सदस्यता चली जाती है और अगले 6 साल तक चुनाव लड़ने पर भी रोक लग जाती है. यानि अगर किसी सांसद या विधायक को किसी आपराधिक मामले में दो साल की सजा होती है तो कुल मिलाकर उसके चुनाव लड़ने पर 8 साल तक रोक रहती है.