उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) विधानसभा चुनाव 2022 के लिए सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपने चुनावी वादों की बौछार शुरू कर दी है. जनता के बीच लुभावने वादों के साथ सभी राजनीतिक पार्टियां खुद को मजबूत करने की कोशिश में हैं. यूपी में बीजेपी एक बार फिर सत्ता पर अपना दबदबा चाहती है तो वहीं समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी सत्ता की कुर्सी पाने के लिए दिन रात एक कर रही हैं. प्रियंका गांधी वाड्रा ने 'हिंदूवाद बनाम हिंदुत्व' की बहस से खुद को किया दूर.
विरोधियों का मुकाबला यहां योगी और मोदी की लोकप्रिय जोड़ी से है. पीएम मोदी तो यूपी की जनता की पसंद हैं ही वहीं सीएम योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता भी कहीं कम नहीं है. ऐसे में विरोधियों के सामने मुकाबले कड़ा है.
ऐसे में तमाम राजनीतिक पार्टियां सभी फैक्टर्स को ध्यान में रखते हुए वोटर्स के दिलों में अपनी जगह बनाने में जुटी हैं. महिला वोटर्स हों या प्रदेश के युवा या जातिगत समीकरण हर तरफ राजनीति तगड़ी है. वहीं दलित वोटरों को साधने के लिए सभी पार्टियां अपनी अलग स्कीम निकलने में जुटी हैं. प्रदूषण पर लगाम लगाएंगे, लेकिन लॉकडाउन के पक्ष में नहीं: योगी आदित्यनाथ सरकार.
किस विरोधी पार्टी का पलड़ा भारी
समाजवादी पार्टी
SP, BSP और कांग्रेस स्पष्ट रूप से BJP को अपना मुख्य प्रतिद्वंद्वी मान रहे हैं. वहीं सत्तारूढ़ बीजेपी अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की पार्टी को अपना मुख्य प्रतिद्वंद्वी समझ रही है. कई मौकों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और सीएम योगी आदित्यनाथ सहित बीजेपी के बड़े नेता अखिलेश यादव और पिछली समाजवादी सरकार के खिलाफ हमला तेज करते दिखे हैं.
समाजवादी पार्टी और बीजेपी के बीच जुबानी जंग तेज दिख रही है. अखिलेश यादव अपने कार्यकाल में किए गए काम वोटर्स को याद दिला रहे हैं वहीं बीजेपी उनके कार्यकाल पर निशाना साध रही है. बीजेपी और एसपी के बीच अपनी सरकार के दौरान किए गए कामों की जंग साफ तौर पर दिख रही है. हर मुद्दे पर दोनों पार्टियां एक-दूसरे से तुलना कर रही हैं.
अखिलेश यादव की पार्टी के पास मुसलमानों और यादव (MY) का एक ठोस वोट बैंक है. यह वोट बैंक एसपी को एक मजबूत पार्टी बनाता है. यूपी की 25 करोड़ आबादी में मुसलमानों की संख्या 19 फीसदी से ज्यादा है. जबकि ओबीसी राज्य की आबादी का 41 प्रतिशत है, यादवों की जनसंख्या लगभग 10 प्रतिशत है. ऐसे में यह वोट बैंक अखिलेश यादव के लिए बड़ी उपलब्धि है.
बहुजन समाज पार्टी
SP के वोट बैंक में मुस्लिम और यादव हैं तो वहीं BSP के वोट बैंक में दलित हैं. राज्य की आबादी में दलित 20 प्रतिशत से अधिक है. इस आबादी में से 20 फीसदी जाटव, जो यूपी की आबादी के लगभग 11 फीसदी से अधिक है, मायावती (Mayawati) के प्रबल समर्थक माने जाते हैं. मायावती को इस जातिगत राजनीति का फायदा मिल सकता है. इसी बलबूते पर मायावती की पार्टी हर बार कुछ कमाल कर ही जाती है. हालांकि मायावती इस बार ब्राहमण समाज को भी लुभाने की कोशिश में हैं.
कांग्रेस
कांग्रेस यूपी में 3 दशकों से अधिक समय से सत्ता से दूर है. इस बार कांग्रेस को सत्ता में लाने के लिए पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी पूरा जोर लगा रही हैं. प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) काफी वक्त से उत्तर प्रदेश की राजनीति में सक्रिय हैं. यूपी में कांग्रेस का दारोमदार प्रियंका गांधी के कंधो पर ही दिख रहा है. कांग्रेस की स्थिति राज्य में कुछ अच्छी नहीं है लेकिन यूपी की राजनीति में प्रियंका गांधी जिस तरह उभर रही हैं उससे कांग्रेस को आगामी चुनाव में फायदा मिल सकता है.
प्रियंका गांधी सूबे में गरीब, किसान, महिलाएं, छात्र हर किसी के उनकी आवाज बनती नजर आ रही हैं. वो आए दिन अलग-अलग मुद्दों पर योगी सरकार से सवाल करती हैं. ऐसे में यह चुनाव दिलचस्प रहेगा.