पश्चिम बंगाल में अगले साल होने जा रहे विधानसभा चुनाव को भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर लड़ना चाहती है. पार्टी का शीर्ष नेतृत्व किसी को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किए बगैर चुनाव मैदान में उतरने को ज्यादा फायदेमंद मान रहा है. ऐसा पार्टी सूत्रों का कहना है. पार्टी के ज्यादातर नेताओं का मानना है कि जिस तरह से 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे पर भाजपा को राज्य की 18 लोकसभा सीटें मिलीं, उससे उनके चेहरे पर आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी करिश्माई प्रदर्शन कर सकती है.
भाजपा सूत्रों का कहना है कि राज्य की बीजेपी इकाई में इस वक्त दो तरह का धड़ा है. एक धड़ा खांटी संघ और भाजपा पृष्ठिभूमि का है तो दूसरा धड़ा सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस(टीएमसी) छोड़कर आए नेताओं का है. टीएमसी वाले धड़े के प्रमुख चेहरे पूर्व रेल मंत्री मुकुल रॉय हैं. मुख्यमंत्री पद के लिए भाजपा के पास प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष, एक केंद्रीय मंत्री सहित तीन से चार प्रमुख चेहरे दावेदार नजर आ रहे हैं. सूत्रों का कहना है कि भाजपा नेतृत्व का मानना है कि किसी को मुख्यमंत्री घोषित करने से कोई एक धड़ा नाराज हो सकता है। पार्टी यह खतरा मोल नहीं लेना चाहती.
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने आईएएनएस से कहा, "आगे क्या होगा, यह पता नहीं, लेकिन इतना जरूर है कि पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे को आगे कर चुनाव लड़ेगी। केंद्र सरकार के विकास कार्य और राज्य में ममता बनर्जी सरकार का कुशासन मुख्य मुद्दा होगा."
बगैर चेहरे के चुनाव लड़ने के तर्क पर भाजपा नेता ने त्रिपुरा और हरियाणा जैसे राज्यों का हवाला दिया. उन्होंने कहा कि 2014 में बगैर किसी को मुख्यमंत्री घोषित किए पार्टी ने हरियाणा में चुनाव लड़ा था, वहीं 2018 में त्रिपुरा में चुनाव भी पार्टी ने सिर्फ मोदी के चेहरे पर लड़ा था. दोनों राज्यों में बगैर चेहरा घोषित किए चुनाव लड़ने पर नुकसान होने की जगह फायदा ही हुआ था. दोनों जगहों पर न केवल सरकार बनी बल्कि सफलतापूर्वक चली भी.
पश्चिम बंगाल विधानसभा का कार्यकाल मई 2021 में खत्म हो रहा है. 2016 में 4 अप्रैल से 5 मई तक कुल छह चरणों में विधान सभा चुनाव हुए थे. तब कुल 294 में से 211 सीटें जीतकर प्रचंड बहुमत के साथ ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस लगातार दूसरी बार सरकार बनाने में सफल हुई थी.