यूपी-बिहार के बाद अब उत्तराखंड में बालिकाओं के कल्याण और सुरक्षा पर विशेष जोर,
इसके लिए बाल आयोग की अध्यक्ष उषा नेगी ने इसकी शुरूआत देहरादून नारी निकेतन से की जहां उन्हें 18 वर्ष से कम आयु की 11 बालिकायें मिलीं। इनमें से चार मानसिक रूप से कमजोर तथा सात पॉक्सो अधिनियम के तहत पीड़ित बालिकायें हैं .
देहरादून: बिहार और उत्तर प्रदेश के कुछ बालिका निकेतनों में सामने आयी हैवानियत की खबरों के मद्देनजर उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने प्रदेश के बाल गृहों और बाल निकेतनों का सर्वेक्षण करने का निर्णय लिया है. इसके लिए बाल आयोग की अध्यक्ष उषा नेगी ने इसकी शुरूआत देहरादून नारी निकेतन से की जहां उन्हें 18 वर्ष से कम आयु की 11 बालिकायें मिलीं. इनमें से चार मानसिक रूप से कमजोर तथा सात पॉक्सो अधिनियम के तहत पीड़ित बालिकायें हैं.
इस संबंध में उषा ने बताया कि उन्होंने 18 साल से कम उम्र की बालिकाओं को बाल निकेतन में भेजने को कहा है . उन्होंने कहा, ' अठारह वर्ष से कम उम्र की बालिकाओं को बाल निकेतन में ही रखा जाना चाहिए . नारी निकेतन में क्षमता से अधिक संवासिनियां है जहां उनकी अच्छी देखभाल नहीं हो रही है और वैसे भी बाल निकेतन में 40 बालिकाओं की क्षमता के विपरीत केवल 14 ही बालिकायें रह रही हैं.
हालांकि, देहरादून जिला बाल कल्याण समिति ने मानसिक रूप से कमजोर बालिकाओं को सामान्य बालिकाओं के साथ रखने पर आपत्ति जतायी है । समिति का कहना है कि ऐसा करने पर सामान्य बालिकाओं पर बुरा असर पडे़गा. उषा ने कहा कि तीन माह पहले अपना पद संभालने के बाद से ही उनका प्रयास प्रदेश के सभी बाल गृहों और बाल निकेतनों में उचित व्यवस्था सुनिश्चित करने का है.
उन्होंने बताया कि उन्होंने बाल गृहों और बाल निकेतनों में सफाई का विशेष ध्यान रखे जाने के भी निर्देश दिये हैं.
देहरादून के जिलाधिकारी एस ए मुरूगेशन ने भी जिले के बाल गृहों और बाल निकेतनों का दौरा कर वहां की स्थिति का जायजा लिया .इस संबंध में जिलाधिकारी ने बताया कि इस बात के कडे़ निर्देश दिये गये हैं कि किसी भी अनाधिकृत व्यक्ति को बाल गृह और बाल निकेतन में प्रवेश न करने दिया जाये . उन्होंने कहा कि जिला प्रोबेशन अधिकारी को भी यह निर्देश दिये गये हैं कि समन्वय बनाते हुए विभिन्न केंद्रों में मध्यान्ह भोजन योजना और शिक्षण संसाधन उपलब्ध करायें.
सहायक मुख्य चिकित्साधिकारी को विशेष रूप से बालिकाओं की सेहत का ध्यान रखने की जिम्मेदारी देते हुए मुरूगेशन ने इन केंद्रों में सुरक्षा व्यवस्था, शौचालय, किचन, आहार तालिका, विश्राम व्यवस्था की भी सुविधायें सुनिश्चित करने को कहा है. जिलाधिकारी ने इन बाल गृहों में सीसीटीवी कैमरा लगाने के भी निर्देश दिये ताकि किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर नजर रखी जा सके.