भोपाल: मध्यप्रदेश के मतदाताओं को लुभाने के लिए भारतीय जनता पार्टी के पास मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से चमकदार चेहरा राज्य की राजनीति में कोई दूसरा नहीं है, ऐसे में उनकी जनआशीर्वाद यात्रा का समापन गुरुवार की रात अचानक अधूरे ही कर दिए जाने से कई सवाल उठ रहे हैं. कांग्रेस चुटकी ले रही है कि 'जब भीड़ ही नहीं जुट रही तो यात्रा निकालकर क्या करते?'
भाजपा ने अपने सबसे प्रभावशाली चेहरे शिवराज के जरिए आमजन तक पहुंचने के लिए आचार संहिता लागू होने से पहले शिवराज की जन आशीर्वाद यात्रा शुरू की थी. इस यात्रा को राज्य की 230 विधानसभा क्षेत्रों तक पहुंचना था, लेकिन यह यात्रा गुरुवार तक 187 विधानसभा क्षेत्रों तक ही पहुंची.
राज्य के चुनाव प्रभारी बनाए गए पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने गुरुवार को अचानक इस यात्रा को खत्म करने का ऐलान कर दिया. पार्टी की ओर से तर्क दिया जा रहा है कि 'आचार संहिता लग चुकी है, शिवराज प्रचार के समय बाकी बचे विधानसभा क्षेत्रों में जाएंगे.' जब धर्मेद्र प्रधान ने यात्रा खत्म किए जाने का ऐलान किया तो उसके बाद शिवराज जबलपुर में अंतिम सभा किए बिना ही भोपाल लौट गए.
मुख्यमंत्री शिवराज ने 14 जुलाई को उज्जैन से जनआशीर्वाद यात्रा शुरू की थी. इस यात्रा को 45 दिन में राज्य के सभी 230 विधानसभा क्षेत्रों में पहुंचना था. यात्रा तय समय सीमा को पार कर चुकी थी, 25 अक्टूबर तक वह 187 विधानसभा क्षेत्रों तक ही पहुंची थी. अभी 43 विधानसभा क्षेत्र ऐसे थे, जहां यात्रा पहुंचनी थी, मगर पार्टी ने अचानक उसे खत्म करने का ऐलान कर दिया.
शिवराज की जन आशीर्वाद यात्रा के अचानक खत्म किए जाने पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने चुटकी लेते हुए कहा, "शिवराज सिंह की जन आशीर्वाद यात्रा बनाम जबरन आशीर्वाद यात्रा एक मजाक बनकर रह गई थी."
उन्होंने कहा कि भाजपा ने विपरीत परिस्थितियों को भांपते हुए शिवराज की यात्रा चुनावी व्यस्तताओं का बहाना बनाकर बंद कर दी है, जबकि शिवराज ने बड़े दंभ के साथ ऐलान किया था कि यात्रा को चुनाव तक चलाएंगे. यात्रा बंद करने का असली कारण जनता द्वारा यात्रा से दूरी बना लेना है. शिवराज की जन आशीर्वाद को लेकर पिछले कुछ दिनों में जो तस्वीरें सामने आई थीं, उससे भाजपा के भीतर ही सवाल उठने लगे थे.
भाजपा के सूत्रों का कहना है कि ग्वालियर में यात्रा के दौरान कथित तौर पर भीड़ का न जुटने, कई स्थानों पर जमकर विरोध होने के मामलों के सामने आने के बाद पार्टी के भीतर मंथन चल रहा था. पार्टी के भीतर ही आवाज उठी कि शिवराज की यात्रा को जल्द से जल्द खत्म किया जाना चाहिए, क्योंकि विरोध बढ़ा तो पार्टी के लिए नया सिरदर्द बन जाएगा. लिहाजा, यात्रा को खत्म करने का निर्णय लिया गया.
शिवराज की जन आशीर्वाद यात्रा को अभी जिन स्थानों पर जाना था उनमें ग्वालियर-चंबल, निमांड आदि शामिल था. ग्वालियर-चंबल कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव वाला और निमांड वह इलाका है, जहां किसानों में नाराजगी है. ऐसे में भाजपा नहीं चाहती थी कि राज्य के सबसे चमकदार चेहरे के खिलाफ विरोध की खबरें पूरे राज्य में पहुंचे, इस स्थिति में यात्रा को खत्म करने में ही भलाई समझी गई.