Maharashtra MLAs' Disqualification Case: उद्धव ठाकरे को बड़ा झटका, स्पीकर राहुल नार्वेकर ने शिंदे गुट को बताया असली शिवसेना- VIDEO
CM shinde-Rahul Marvekar- Uddhav Thackeray (Pjhoto ANI)

Maharashtra MLAs' Disqualification Case: महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने एकनाथ शिंदे के पक्ष में फैसला सुनाया है, अपने फैसले में महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने कहा की असली शिवसैनिक शिंदे गुट ही है. यानी शिंदे गुट के साथ टूटकर जाने वाले 16 विधायकों की योग्यता बनी रहेगी. वहीं महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के फैसले से उद्धव गुट को बड़ा झटका लगा है. क्योंकि अब तक उद्धव गुट को लगा था कि फैसला उनके पक्ष में आएगी. लेकिन फैसला उनके पक्ष में नहीं आया.

महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि , "शिवसेना के 2018 संशोधित संविधान को वैध नहीं माना जा सकता क्योंकि यह भारत के चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में नहीं है...रिकॉर्ड के अनुसार,  मैंने वैध संविधान के रूप में शिव सेना के 1999 के संविधान को ध्यान में रखा है. हालांकि महाराष्ट्र स्पीकर का फैसला आने से एक दिन पहले उद्धव गुट के सांसद संजय राउत ने कहा कि मैच फिक्सिंग हुई है. स्पीकर दो बार आरोपियों से मिल चुके हैं. यह भी पढ़े: Shiv Sena MLA Disqualification Case: महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर की दो टूक, कहा- ‘किसी के भी दबाव में नहीं लूंगा फैसला’ (Watch Video)

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बता दें कि यह मामला जून 2022 में एमवीए सहयोगी शिवसेना के विभाजन के बाद उठा, जिसके कारण ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार गिर गई और शिंदे को नए मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया. उस राजनीतिक भूचाल के बाद शिवसेना के दोनों गुटों ने दल-बदल विरोधी कानूनों, व्हिप का उल्लंघन आदि के तहत एक-दूसरे के विधायकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए क्रॉस-याचिकाएं दायर की थीं.

इस बीच, चुनाव आयोग ने शिंदे समूह को मान्यता दी थी और उसे शिवसेना का नाम और तीर-धनुष चुनाव चिह्न आवंटित किया था, जबकि ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट को शिव सेना-उद्धव बालासाहेब ठाकरे नाम दिया गया था और जलती मशाल चुनाव चिह्न दिया गया था.

मई में सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर को असली शिवसेना पर अपना फैसला सुनाने का निर्देश दिया था और फिर उन्हें अयोग्यता याचिकाओं पर 31 दिसंबर तक अपना फैसला देने को कहा था.

उस समय सीमा से कुछ दिन पहले, 20 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला देने के लिए 10 जनवरी तक 10 दिनों का विस्तार दिया - जिसका राज्य में तत्काल और इस साल आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों में बड़ा राजनीतिक प्रभाव हो सकता है.