केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति का विवादित बयान, कहा- गांधी सरनेम की जगह फिरोज लिखें प्रियंका
साध्वी निरंजन ज्योति ने कहा, एक फेक गांधी भगवा के महत्त्व को नहीं समझ सकता. प्रियंका को गांधी सरनेम छोड़ देना चाहिए और अपना नाम प्रियंका फिरोज रखना चाहिए.
केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति (Sadhvi Niranjan Jyoti) ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) को लेकर बेहद विवादित बयान दिया है. साध्वी निरंजन ज्योति ने कहा, एक फेक गांधी भगवा के महत्त्व को नहीं समझ सकता. साध्वी निरंजन ज्योति ने कहा कि प्रियंका जिस तरह आग लगने वाले का समर्थन कर रही है वह बापू (महात्मा गांधी) के विचार नहीं है. वोह झूठी गांधी हैं. उन्होंने उधार में जो सरनेम लिया जाता है वापस लौट देना चाहिए. उन्होंने कहा, प्रियंका को गांधी सरनेम छोड़ देना चाहिए और अपना नाम प्रियंका फिरोज रखना चाहिए. साध्वी निरंजन ज्योति ने प्रियंका गांधी पर यह हमला उनके उस बयान पर किया जिसमें प्रियंका गांधी ने सीएम योगी आदित्यनाथ पर भगवा रंग के कपड़ों को लेकर निशाना साधा था.
प्रियंका गांधी ने सीएम योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधते हुए कहा था, यह देश कृष्ण और भगवान राम का है, जो करुणा और त्याग के प्रतीक हैं. लेकिन योगी जी बदले की बात करते हैं. वह भगवा कपड़े पहनते हैं, लेकिन यह भगवा उनका निजी नहीं, भगवा हिंदू धर्म का प्रतीक है. ऐसे में उन्हें हिंदू धर्म के मायने को समझना चाहिए.
प्रियंका गांधी ने कहा, हिंदू धर्म में हिंसा और रंज का कोई स्थान नहीं है. उन्होंने कहा कि यूपी के सीएम योगी ने भगवा धारण किया है. ये भगवा आपका नहीं है. प्रियंका ने कहा कि मुख्यमंत्री ने बयान दिया था कि वो बदला लेंगे, उसी बयान पर पुलिस चल रही है.
भगवा पर सियासी जंग-
प्रियंका गांधी के इस बयान के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तरफ से भी जवाब आया है. सीएम ऑफिस के ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया, 'मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सबकुछ त्याग कर भगवा लोक सेवा के लिए धारण किया है. वे न केवल भगवा धारण करते हैं, बल्कि उसका प्रतिनिधित्व भी करते हैं. भगवा वेशभूषा लोक कल्याण और राष्ट्र निर्माण के लिए है और योगी जी उस पथ के पथिक हैं.
एक अन्य ट्वीट में लिखा गया, 'संन्यासी की लोक सेवा और जन कल्याण के निरंतर जारी यज्ञ में जो भी बाधा उत्पन्न करेगा उसे दंडित होना ही पड़ेगा. विरासत में राजनीति पाने वाले और देश को भुलाकर तुष्टिकरण की राजनीति करने वाले लोक सेवा का अर्थ क्या समझेंगे?'