राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018 नतीजे: इन 5 कारणों से बीजेपी से छीन गई सत्ता
वसुंधरा राजे (Photo Credits: PTI)

जयपुर: राजस्थान (Rajasthan) विधानसभा चुनाव (Assembly Election) के लिए 7 दिसंबर को हुए मतदान के नतीजे मंगलवार को घोषित हुए. इस राज्य में कांग्रेस ने शानदार प्रदर्शन किया है. सूबे में कांग्रेस की सरकार बनना लगभग तय माना जा रहा है. हालांकि, अभी तक सभी सीटों के नतीजे घोषित नहीं हुए है. कांग्रेस ने सूबे में पिछले तकरीबन 5 साल जमीन पर काम किया जिसका फल आज उन्हें मिला. राजस्थान में कांग्रेस ने ताबड़तोड़ प्रचार किया जिसका नेतृत्व पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने किया.

वैसे राजस्थान की जनता ने सूबे की वसुंधरा सरकार के खिलाफ वोटिंग की. पीएम मोदी और अमित शाह ने सूबे में ताबड़तोड़ प्रचार किया मगर फिर भी पार्टी की नैया पार नहीं लगा सकें. आइए जानते हैं बीजेपी की हार के 5 मुख्य कारण क्या है-

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CM राजे के प्रति गुस्सा-

बता दें कि 2013 में बीजेपी को राज्य में बंपर बहुमत मिला था. तब मोदी लहर की शुरुआत हुई थी और वसुंधरा राजे को सूबे की कमान सौंपी गई थी. मगर जल्द ही सूबे के लोग राजे के खिलाफ हो गए. यहां तक कि बीजेपी के विधायक और बड़े नेता भी उनके खिलाफ खुलकर बोलने लगे और उन्हें घमंडी कहने लगे थे. इसका फायदा सचिन पायलट ने बखूबी उठाया.

राजस्थान का ट्रेंड-

राजस्थान की जनता हमेशा ही 5 साल के बाद सत्ता बदलती हैं. 1993 से ये ट्रेंड चल रहा हैं.

1993- बीजेपी की सरकार, भैरव सिंह शेखावत मुख्यमंत्री.

1998- कांग्रेस की सरकार, अशोक गहलोत मुख्यमंत्री.

2003- बीजेपी की सरकार, वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री

2008- कांग्रेस की वापसी, अशोक गहलोत मुख्यमंत्री

2013- बीजेपी की वापसी, राजे दूसरी बार बनी CM

कांग्रेस का आक्रामक प्रचार-

वैसे तो राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष पिछले कुछ सालों से सूबे में एक्टिव थे मगर पार्टी ने पिछले 1 साल में आक्रामक प्रचार किया. चुनाव आते-आते तो सचिन पायलट ने लगभग सभी जिलों का दौरा कर लिया था और जीत के लिए रणनीति तैयार कर ली थी. अंत मे राहुल गांधी, सिद्धू और गहलोत ने पायलट के साथ मिलकर कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाया.

अमित शाह और आरएसएस से वसुंधरा की रार-

सियासी पंडितों की माने तो CM राजे और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के बीच रिश्तों में तल्खी थी. यहीं वजह थी कि सूबे का अध्यक्ष चुनने में दो महीनों से भी ज्यादा का समय लगा था. वैसे कहा यह भी जाता है कि संघ से भी वसुंधरा की नहीं जमती थी. इन सभी चेजों से वाकिफ सचिन पायलट ने मौका हाथ से जाने नहीं दिया. आरएसएस ने भी वसुंधरा के प्रचार में पहले दिलचस्पी नही दिखाई. हालांकि अंत-अंत मे प्रचार में उतरे.

राजपूतों का गुस्सा-

राजपूत समाज हमेशा से ही बीजेपी का परंपरागत वोटर रहा हैं मगर इस बार वह पार्टी से नाराज था. राजपूत लीडर गजेंद्र शेखावत का बीजेपी चीफ न बन पाना और गैंगस्टर आनंदपाल सिंह का एनकाउंटर ही राजपूतों को बीजेपी के विरुद्ध ले गया. फ़िल्म पद्मावत से भी राजपूत समाज नाराज था.

बीजेपी के हर के ये 5 प्रमुख कारण रहें. मगर साथ ही कांग्रेस का संगठन सूबे में मजबूत हुआ जिससे भी बीजेपी को नुकसान हुआ.