Rajasthan Political Crisis: राजस्थान हाईकोर्ट में सचिन पायलट गुट की याचिका पर सुनवाई पूरी, 24 जुलाई को आएगा फैसला
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट (Photo Credits: PTI/File)

जयपुर: राजस्थान (Rajasthan) कांग्रेस (Congress) में आंतरिक कलह के बीच राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) में कांग्रेस के बागी नेता सचिन पायलट (Sachin Pilot) और उनके खेमे के 18 विधायकों की याचिका पर सुनवाई पूरी हो गई है. अब कोर्ट 24 जुलाई को अपना फैसला सुनाएगा. राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष की तरफ से जारी किए गए आयोग्यता के नोटिस के खिलाफ कांग्रेस से बर्खास्त पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और उनके खेमे के विधायकों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

चीफ जस्टिस इंद्रजीत महंती (Indrajit Mahanty) की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने दोनों पक्षों ने अपनी बात रखी. वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी (Mukul Rohatgi) ने पायलट खेमे का प्रतिनिधित्व किया, जबकि वरिष्ठ वकील देवदत्त कामत (Devadatt Kamat) ने मुख्य सचेतक (Chief Whip) महेश जोशी (Mahesh Joshi) की ओर कोर्ट में अपनी दलील पेश की. राजस्थान में वायरल ऑडियो पर छिड़ी जंग, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत पर लगा विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप, 2 FIR दर्ज

राजस्थान कांग्रेस की विधायक दल की बैठक में शामिल नहीं होने पर विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने पार्टी से बगावत करने के आरोप में सचिन पायलट और उनके 18 वफादार विधायकों को अयोग्यता संबंधी नोटिस जारी कर 21 जुलाई तक जवाब मांगा है. हालांकि सोमवार को कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष को मंगलवार तक कोई कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया था.

पायलट खेमे के विधायक पीआर मीणा ने 18 अन्य विधायकों की ओर से याचिका दायर की थी, जिन्हें सीएलपी (कांग्रेस विधायक दल) की बैठकों में शामिल नहीं होने के लिए नोटिस जारी किया गया था. नोटिस में स्पीकर ने पूछा है कि क्यों न उन्हें विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया जाए, क्योंकि उन्होंने पार्टी व्हिप का उल्लंघन किया है.

पायलट और कांग्रेस के 18 अन्य विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष द्वारा जारी अयोग्यता नोटिसों को चुनौती देने वाली याचिका में विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी (CP Joshi) पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया है. साथ ही नोटिस की वैधता और औचित्य पर भी सवाल खड़े किए है. और कहा है कि खुले तौर पर बोलने को पार्टी विरोधी गतिविधि नहीं ठहराया जा सकता है.