जयपुर: सचिन पायलट (Sachin Pilot) को उपमुख्यमंत्री और राजस्थान (Rajasthan) प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद सूबे की अशोक गहलोत सरकार संकट में पड़ गई है. हालांकि बीजेपी (BJP) ने अभी तक राजस्थान विधानसभा (Rajasthan Assembly) में फ्लोर टेस्ट (Floor Test) की मांग नहीं की है. हालांकि बीजेपी ने संकेत दिए की भविष्य में हालात को देखते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से बहुमत साबित करने की मांग की जा सकती है.
राजस्थान में विपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया (Gulab Chand Kataria) ने कहा कि राज्य विधानसभा में फ्लोर टेस्ट की अभी जरूरत महसूस नहीं हो रही है. अगर बाद में आवश्यकता पड़ी तो बीजेपी एक साथ बैठकर सीएम अशोक गहलोत को बहुमत साबित करने को लेकर फैसला करेगी. राजस्थान में शुरू हुआ सियासी नाटक, बीटीपी विधायक राजकुमार रोत ने पुलिस पर लगाया जबरन कैद करने का आरोप
May God give Sachin Pilot wisdom&he doesn't try to topple govt.He should admit his mistake. Doors were always open for him for talks, even today. But, now he seems to have moved ahead of all this, so these things don't matter now: Rajasthan Congress in-charge Avinash Pande to ANI pic.twitter.com/jaJgCPMHPz
— ANI (@ANI) July 15, 2020
दरअसल, पायलट ने स्पष्ट किया है कि वह बीजेपी में शामिल नहीं हो रहे हैं. इस पर कांग्रेस महासचिव और राजस्थान के प्रभारी अविनाश पांडे ने बुधवार को कहा कि अगर प्रदेश के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट अपनी ‘गलतियों’ के लिए माफी मांग लें तो बात बन सकती है, लेकिन हर चीज की समयसीमा होती है. कांग्रेस ने विधायक दल की बैठक में शामिल नहीं होने पर सचिन पायलट समेत उनके खेमे के 18 विधायकों को नोटिस जारी किया है.
We do not feel such need as of now. If we feel the need, the party (BJP) will sit together and make a decision: Gulab Chand Kataria, Leader of Opposition in #Rajasthan Assembly on floor test pic.twitter.com/IayA1PzzGn
— ANI (@ANI) July 15, 2020
कांग्रेस ने मंगलवार को बागी हो चुके सचिन पायलट को राजस्थान के उपमुख्यमंत्री पद और पार्टी की राज्य इकाई के प्रमुख पद से हटा दिया. साथ ही उनके वफादार मंत्री विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीणा को भी राज्य कैबिनेट से बर्खास्त कर दिया गया.
उधर, सचिन पायलट पर कार्रवाई से कई कांग्रेसी नाराज हो गए और इस्तीफों की झड़ी लग गई. एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष अभिमन्यु पूनिया ने भी मंगलवार को पद से इस्तीफा दे दिया. साथ ही युवक कांग्रेस, राष्ट्रीय भारतीय छात्र संघ (एनएसयूआई) और सेवा दल में विभिन्न पदों पर रहे लगभग 400 से 500 सदस्यों ने विरोध में इस्तीफा दिया. इस बीच, पायलट के निर्वाचन क्षेत्र टोंक में 50 से ज्यादा कांग्रेसजनों ने भी अपने नेता पर कार्रवाई के खिलाफ इस्तीफा दिया.
पाली जिला कांग्रेस अध्यक्ष चुन्नीलाल चादवास ने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. जबकि सचिन पायलट पर कार्रवाई के खिलाफ राज्य के गुर्जर समुदाय बहुल कई इलाकों में प्रदर्शन किए जाने की भी खबर है. गुर्जर बहुल दौसा, अजमेर, टोंक, सवाई माधोपुर और भरतपुर में किसी अप्रिय घटना को टालने के लिए हाईअलर्ट घोषित कर दिया गया है.
उल्लेखनीय है कि 200 सदस्यीय विधानसभा में सत्ताधारी कांग्रेस के 107 विधायक हैं, और उसे 13 निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन प्राप्त है. जबकि माकपा और बीटीपी के कुल दो विधायकों ने गहलोत सरकार को सशर्त समर्थन दे रखा है. बीजेपी के पास 72 विधायक हैं और उसे आरएलडी के तीन विधायकों का समर्थन हासिल है. सचिन पायलट का दावा है कि उन्हें करीब 30 विधायकों का समर्थन हासिल है. (एजेंसी इनपुट के साथ)