राजस्थान में कांग्रेस की सरकार गिराने कथित रूप से विधायकों को रिश्वत देने के मामले में स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) ने एक साथ दो नोटिस मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट को बयान दर्ज कराने के लिए थमा दिए. एसओजी के एडिशनल एसपी ने ये नोटिस 10 जुलाई को दिए, जिसमें उन्होंने कहा कि वे पायलट का सीआरपीसी की धारा 160 के तहत बयान दर्ज करना चाहते हैं. इस मामले में गहलोत ने रविवार को स्पष्टीकरण देते हुए ट्वीट किया, "कांग्रेस ने शिकायत की थी कि भाजपा धन के जरिए विधायकों को लुभाने की कोशिश कर रही है, जिसपर एसओजी ने मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, चीफ व्हिप एवं अन्य कुछ मंत्रियों व विधायकों को बयान दर्ज कराने के लिए नोटिस दिए हैं. लेकिन कुछ मीडिया संस्थान तथ्य को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत कर रहे हैं."
पायलट के करीबी सूत्रों ने कहा कि इस नोटिस ने उपमुख्यमंत्री को नाराज कर दिया जिसे गहलोत के इशारे पर भेजा गया है, क्योंकि गृह विभाग उन्हीं के पास है. सूत्र ने कहा कि इससे पायलट अपमानित महसूस कर रहे हैं और वे अपने समर्थक विधायकों के साथ दिल्ली के लिए रवाना हो गए. इन समर्थकों में तीन निर्दलीय -ओम प्रकाश हुडला, सुरेश टांक और खुशवीर सिंह शामिल हैं. पायलय का दावा है कि उन्हें 30 विधायकों का समर्थन हासिल है और करीब 20 दिल्ली-एनसीआर के विभिन्न स्थानों पर हैं. यहां तक कि पायलट के करीबी माने जाने वाले पयर्टन मंत्री विश्वेंद्र प्रताप सिंह शनिवार रात मुख्यमंत्री गहलोत द्वारा बुलाई गई बैठक में शामिल नहीं हुए. हालांकि उन्होंने ट्वीट किया कि वह अपनी बीमार बहन को देखने के लिए दिल्ली गए.
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यहीं पर यह भी माना जा रहा है कि पॉयलट राज्य में पीसीसी अध्यक्ष बने रहने के लिए यह सब कर रहे हैं और सरकार से बाहर होना चाहते हैं, जहां मुख्यमंत्री उनका अपमान कर रहे हैं. सूत्रों ने कहा कि अगर हाई कमान ने इस मामले में समय रहते दखल नहीं दिया तो यहां भी मध्यप्रदेश की तरह का हाल होगा और पायलट सिंधिया के नक्शेकदम पर चलते हुए भाजपा में शामिल हो सकते हैं. इस बीच पायलट से संपर्क साधना मुश्किल हो रहा है, वहीं बताया जाता है कि वह भाजपा नेताओं के संपर्क में हैं. लेकिन गहलोत खेमे के करीबी सूत्रों ने जयपुर में कहा कि पायलट के वह संख्या बल नहीं है, जिससे सरकार गिराई जा सके. सूत्रों का यह भी कहना है कि गहलोत के पास नंबर है और विधानसभा में वह इसे साबित कर देंगे. हालांकि ऐसे दावे मध्य प्रदेश में कमलनाथ ने भी किए थे और बहुमत साबित करने से पहले ही उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था.
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि उसे 116 विधायकों का समर्थन है, जबकि भाजपा के पास 72 विधायक हैं. लेकिन अगर पायलट कांग्रेस छोड़ने का फैसला करते हैं तो और भी विधायक उनके साथ आ सकते हैं. इस तरह एसओजी के नोटिस ने गहलोत और पायलट के संबंधों में आखिरी कील ठोक दी है.