प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा- भारत और अमेरिका अधिक शांतिपूर्ण व स्थिर दुनिया के निर्माण में दे सकते हैं योगदान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को हफ्ते भर की अमेरिका यात्रा पर रवाना हो गए. इससे पहले उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि उनकी यात्रा से भारत को अवसरों की एक जीवंत भूमि, एक विश्वस्त साझीदार और एक वैश्विक नेता के रूप में पेश किया जा सकेगा. मोदी ने कहा कि यह पहला मौका होगा जब कोई अमेरिकी राष्ट्रपति उनके साथ भारतीय-अमेरिकी समुदाय के कार्यक्रम में भाग लेंगे.

पीएम नरेंद्र मोदी (Photo Credits: Twitter)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) शुक्रवार को हफ्ते भर की अमेरिका यात्रा पर रवाना हो गए. इससे पहले उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि उनकी यात्रा से भारत को अवसरों की एक जीवंत भूमि, एक विश्वस्त साझीदार और एक वैश्विक नेता के रूप में पेश किया जा सकेगा.

उन्होंने यह भी कहा कि ह्यूस्टन कार्यक्रम में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प (Donald Trump) की मौजूदगी एक नया मील का पत्थर होगी. मोदी ने कहा कि यह पहला मौका होगा जब कोई अमेरिकी राष्ट्रपति उनके साथ भारतीय-अमेरिकी समुदाय के कार्यक्रम में भाग लेंगे.

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हाउडी मोदी कार्यक्रम में रविवार को 50 हजार से अधिक भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिकों के हिस्सा लेने की संभावना है. अमेरिका यात्रा पर रवाना होने से पहले मोदी ने भारत-अमेरिका संबंधों का उल्लेख करते हुए कहा कि दोनों राष्ट्र एक साथ मिलकर काम कर अधिक शांतिपूर्ण, स्थिर, सुरक्षित, सतत और समृद्ध विश्व बनाने में योगदान कर सकते हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे पूरा विश्वास है कि मेरी यात्रा भारत को अवसरों की जीवंत भूमि, एक विश्वसनीय साझेदार और एक वैश्विक नेता के रूप में पेश करेगी तथा अमेरिका के साथ हमारे संबंधों को नयी ऊर्जा प्रदान करने में भी मदद करेगी.’’

मोदी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें सत्र में वह नयी दिल्ली के इस रुख को दोहराएंगे कि इस वैश्विक मंच में सुधार किया जाए जहां भारत अपनी उचित भूमिका निभा सके. उन्होंने कहा, ‘‘विभिन्न क्षेत्रों में उनकी सफलता, अमेरिका में जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में उनका योगदान, भारत के साथ उनका मजबूत जुड़ाव और दोनों लोकतंत्र को जोड़ने में उनकी भूमिका हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत है.’’

ह्यूस्टन के कार्यक्रम में मौजूद रहने के ट्रम्प के निर्णय को उन्होंने भारतीय प्रवासियों के लिए सम्मान और अपने लिए खुशी की बात करार दिया. मोदी ने कहा, ‘‘किसी भारतीय समुदाय के कार्यक्रम में अमेरिकी राष्ट्रपति मेरे साथ पहली बार शिरकत करेंगे और उनके साथ जुड़ाव में यह मील का पत्थर होगा.’’ उन्होंने कहा कि वह ट्रम्प से कुछ दिनों के अंदर ही ह्यूस्टन और न्यूयॉर्क दोनों स्थानों पर मिलने वाले हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘दोनों देशों और लोगों के लिए ज्यादा लाभ की खातिर हम अपने द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा करेंगे. हमारे राष्ट्रीय विकास में अमेरिका महत्वपूर्ण साझीदार है और भारत की आर्थिक वृद्धि एवं राष्ट्रीय सुरक्षा में सहायक है.’’

मोदी ने कहा कि ह्यूस्टन में वह अमेरिका की बड़ी ऊर्जा कंपनियों के सीईओ से वार्ता करेंगे ताकि भारत- अमेरिका ऊर्जा सहयोग को बढ़ाया जा सके. उन्होंने कहा, ‘‘ऊर्जा परस्पर लाभ के सहयोग के नये क्षेत्र के रूप में उभरा है और हमारे द्विपक्षीय संबंधों के लिए महत्वपूर्ण बनता जा रहा है.’’

न्यूयॉर्क में मोदी संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न प्रमुख कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे. मोदी ने कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए कई चुनौतियां हैं जिनमें अस्थिर वैश्विक अर्थव्यवस्था, दुनिया के कई हिस्सों में अस्थिरता और तनाव, आतंकवाद का प्रसार, जलवायु परिवर्तन और गरीबी की वैश्विक चुनौती शामिल हैं.’’

उन्होंने कहा, ‘‘उनके समाधान के लिए मजबूत वैश्विक प्रतिबद्धता और बहुआयामी समन्वित कार्रवाई की जरूरत है. मैं बहुआयामी सुधार की हमारी प्रतिबद्धता को दोहराऊंगा जो प्रभावी, समग्र और जवाबदेह हो और जिसमें भारत उचित भूमिका निभा सके.’’

मोदी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के कार्यक्रमों में हिस्सा लेकर वह सतत विकास के लक्ष्यों को हासिल करने में भारत की सफलता को रेखांकित करेंगे. प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘23 सितम्बर को क्लाइमेट एक्शन समिट में मैं वैश्विक लक्ष्यों की तर्ज पर जलवायु परिवर्तन के समाधान के लिए भारत की ठोस कार्रवाई पर प्रकाश डालूंगा.’’

मोदी ने कहा, ‘‘सार्वभौमिक स्वास्थ्य योजना पर संयुक्त राष्ट्र के कार्यक्रम में मैं आयुष्मान भारत कार्यक्रम जैसे कदम के माध्यम से जरूरतमंद लोगों को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने में भारत की उपलब्धियों को विश्व मंच पर साझा करूंगा.’’ उन्होंने कहा कि भारत महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र में एक कार्यक्रम का आयोजन करेगा जो आज के विश्व में गांधीवादी विचारों की प्रासंगिकता को बताएगा.

मोदी संयुक्त राष्ट्र महासभा के इतर अन्य देशों के नेताओं और संयुक्त राष्ट्र की संस्थाओं से द्विपक्षीय बैठकें करेंगे. पहली बार भारत, प्रशांत द्वीप राष्ट्रों के नेताओं और कैरिबियन कम्युनिटी एंड कॉमन मार्केट के नेताओं से नेतृत्व स्तर की बातचीत करेगा.

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