नई दिल्ली: शनिवार को संसद के मानसून सत्र (Monsoon Session of Parliament) का छठवां दिन है. लोकसभा में नेशनल कांफ्रेंस के सांसद फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) ने जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में विकास को लेकर केंद्र सरकार को घेरा. फारूक अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर इंटरनेट सर्विस को लेकर सवाल उठाए. उन्होंने पूछा कि बिना 4G की सुविधा के वहां के लोग कैसे आगे बढ़ेंगे. फारूख अब्दुल्ला ने कहा, जम्मू और कश्मीर में कोई प्रगति नहीं हो रही है. वहां के लोगों के पास 4G की सुविधा नहीं है. वर्तमान समय में वे कैसे आगे बढ़ेंगे, जबकि देश के बाकी हिस्सों में इंटरनेट पर हर सुविधा उपलब्ध है.
लोकसभा में टीएमसी सांसद सौगत रॉय (Saugata Ray) ने हिरासत में लिए गए राजनीतिक नेताओं की रिहाई की मांग की. उन्होंने कहा, धारा 370 हटने के एक साल बाद भी जम्मू-कश्मीर की स्थिति चिंताजनक है. हम सभी 230 राजनीतिक नेताओं की रिहाई की मांग करते हैं जो अभी भी जम्मू-कश्मीर में हिरासत में हैं. यह भी पढ़ें | Agriculture Reform Bills: फारूक अब्दुल्ला ने कहा-यह किसानों के लिए समस्याजनक है, इस पर किया जाना चाहिए पुनर्विचार.
बिना 4G की सुविधा के लोग कैसे आगे बढ़ेंगे-
No progress is taking place in Jammu & Kashmir. People there do not have access to 4G facility, how are they going to grow in the present time when the rest of the country has access to every facility on the internet: Farooq Abdullah, National Conference MP in Lok Sabha pic.twitter.com/4GBCWjVPCC
— ANI (@ANI) September 19, 2020
नेताओं की रिहाई की मांग:
The situation in Jammu & Kashmir, even after one year of abrogation of Article 370, is causing concern. We demand the release of all 230 political leaders who are still in detention in J&K: TMC MP Saugata Ray in Lok Sabha pic.twitter.com/DNm2gr1zJo
— ANI (@ANI) September 19, 2020
बता दें कि इससे पहले सरकार ने मंगलवार को बताया कि जम्मू-कश्मीर में कोई भी नजरबंद नहीं है और वर्तमान में 223 लोग हिरासत में हैं. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी (G Kishan Reddy) ने लोकसभा को बताया कि जम्मू-कश्मीर से पिछले साल अगस्त महीने में अनुच्छेद 370 (Article 370) के अधिकतर प्रावधान हटाए जाने के बाद वहां शांति बनाए रखने के लिए कई कदम उठाए गए. इनमें कुछ व्यक्तियों को ऐहतियात के तौर पर हिरासत में भी लिया गया.
रेड्डी ने कहा, "11 सितंबर, 2020 तक 223 व्यक्ति हिरासत में हैं. कोई भी व्यक्ति नजरबंद (House arrest) नहीं है.’’ केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि पांच अगस्त 2019 के बाद यहां आतंकवाद की घटनाओं में काफी कमी आई है. उन्होंने बताया कि 29 जून 2018 से चार अगस्त 2019 के बीच 402 दिनों में जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद की 455 घटनाएं हुई थी जबकि पांच अगस्त 2019 से नौ सितंबर 2020 के बीच 402 दिनों में ऐसी 211 घटनाएं हुई.