Three New Criminal Laws: तीन नए आपराधिक कानूनों का विपक्ष ने जताया विरोध, कांग्रेस-AAP ने कहा- इससे पुलिस की मनमानी को बढ़ावा मिलेगा (Watch Video)

देशभर में आज से तीन नए आपराधिक कानून प्रभावी रूप से लागू हो गए हैं. अब इसे लेकर सियासत भी शुरू हो गई है. एक तरफ जहां सत्ता पक्ष इन नए कानूनों को भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में सकारात्मक सुधार का प्रयास बता रहा है, तो वहीं विपक्ष ने इसे पुलिस राज बताते हुए इसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.

AAP and Congress(Photo Credits: Facebook)

Three New Criminal Laws: देशभर में आज से तीन नए आपराधिक कानून प्रभावी रूप से लागू हो गए हैं. अब इसे लेकर सियासत भी शुरू हो गई है. एक तरफ जहां सत्ता पक्ष इन नए कानूनों को भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में सकारात्मक सुधार का प्रयास बता रहा है, तो वहीं विपक्ष ने इसे पुलिस राज बताते हुए इसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने आज, 1 जुलाई 2024 से लागू हुए तीन नए आपराधिक कानूनों पर चर्चा के उद्देश्य से लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया है. उन्होंने कहा कि ये कानून इस देश में पुलिस राज की स्थापना करेंगे. ये आज से दो सामानांतर फौजदारी की प्रणालियों को जन्म देंगे.

''भारत की जो न्यायिक प्रणाली है उसमें 3.4 करोड़ मामले लंबित हैं, जिसमें से अधिकतर फौजदारी के मुकदमे हैं. इसलिए इससे एक बहुत बड़ा संकट आने वाला है. इन कानूनों को संसद के समक्ष दोबारा रख कर एक संयुक्त संसदीय समिति के सामने भेजने के बाद फिर क्रियान्वयन के लिए भेजा जाना चाहिए.''

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3 नए कानून फौजदारी की प्रणालियों को जन्म देंगे: कांग्रेस

3 नए कानून से पुलिस की मनमानी को बढ़ावा मिलेगा: AAP

तीन नए आपराधिक कानूनों पर दिल्ली के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि मेरा मानना ​​है कि कानूनों में कोई खामी नहीं थी. खामियां उनके कार्यान्वयन में और जांच एजेंसियों में हैं. पुलिस उन कानूनों पर कार्रवाई नहीं करती. मुझे लगता है कि नए कानूनों के साथ आने वाले कई वर्षों तक बहुत भ्रम रहेगा. एक आम नागरिक जिसने बड़ी मुश्किल से कुछ कानूनों को समझा है, उसे अपना केस दर्ज कराने में दिक्कत आएगी. इससे पुलिस की मनमानी को बढ़ावा मिलेगा.

वहीं, असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने तीन नए आपराधिक कानूनों को भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में एक महत्वपूर्ण क्षण बताया है. उन्होंने सोशल साइट एक्स पर लिखा कि भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 164 साल पुराने औपनिवेशिक कानूनों की जगह लागू हुए हैं. इसके साथ ही हमारा गणतंत्र आधुनिक तकनीक और नागरिक केंद्रित सेवाओं के इर्द-गिर्द एक नई प्रणाली में प्रवेश कर गया है. इन कानूनों में महिलाओं, बच्चों और वंचितों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है. पिछले कई महीनों में टीम असम ने नए कानूनों के प्रभावी कार्यान्वयन की दिशा में व्यापक तैयारी की है. पुलिस, सिविल सेवकों, नागरिकों, वकीलों, नागरिक समाज और न्यायपालिका के सदस्यों सहित सभी हितधारकों से मेरी ईमानदारी से अपील है कि वे हमारे साथ सहयोग करें ताकि हम सामूहिक रूप से यह सुनिश्चित कर सकें कि ये कानून अपने मूल उद्देश्य को पूरा करें.

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