मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव 2018: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को उनके घर में घेरने के लिए कांग्रेस ने खास रणनीति बनाई है. कांग्रेस ने कद्दावर नेता सुभाष यादव के बड़े बेटे अरुण यादव को बुधनी सीट से उम्मीदवार बनाया है. अब ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा की मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पांचवीं बार परचम फहराते हैं या फिर अरुण यादव उनकी राह में रोड़ा बनते हैं. बता दें कि सुभाष यादव 1993 से 2008 तक कांग्रेस के टिकट पर कसरावद के विधायक रह चुके हैं. अरुण यादव कभी विधानसभा के सदस्य नहीं रहे, लेकिन दो बार लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं और मनमोहन सिंह सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं. अरुण 2014 में प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे. इस साल अप्रैल में जब उन्हें हटाकर कमलनाथ को प्रदेश कांग्रेस की कमान दी गई थी तो गुस्साए अरुण यादव ने घोषणा की थी कि वे विधानसभा या लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगे. कांग्रेस उन्हें उनके ही जिले खरगौन से पहले चुनाव लड़ाना चाहती थी, लेकिन वो राजी नहीं हुए है. इसके बाद कांग्रेस की आखिरी लिस्ट में बुधनी से उम्मीदवार के तौर पर उतार दिया है.
ज्ञात हो कि बुधनी से शिवराज सिंह ने पहला चुनाव 1990 में लड़ा था. इसके बाद 2005 उनके लिए बदलाव लेकर आया जब उन्हें मध्यप्रदेश में बाबूलाल गौर को हटाकर मुख्यमंत्री बनाया गया. इसके बाद 2006 में अपनी पुरानी सीट बुधनी से उपचुनाव में कांग्रेस के राजकुमार पटेल को हराकर विधानसभा के सदस्य बने थे. इसके बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लगातार 2008 और 2013 के विधानसभा चुनाव में बुधनी सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखा. 2008 में उन्होंने कांग्रेस के महेश सिंह राजपूत परास्त किया जबकि 2013 में महेंद्र सिंह चौहान को हराया था.
लोग 2018 के विधानसभा चुनाव को 2019 के लोकसभा चुनाव के समीकरण के रूप में देख रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ दिग्गज नेता अरुण यादव को मैदान में उतारा है. हालांकि अरुण यादव के लिए ये सीट नई है.