प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को कैबिनेट, सीसीईए और कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्यॉरिटी की मीटिंग हुई. इन तीनों बैठकों में अहम निर्णय लिए गए। किसानों की बात करें तो उनसे जुड़ा एक बड़ा निर्णय केंद्र सरकार ने लिया, जिसके तहत 60 लाख टन चीनी के निर्यात का लक्ष्य रखा गया. कैबिनेट के फैसलों की जानकारी केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने प्रेसवार्ता के दौरान दी. इस दौरान केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पूर्वोत्तर राज्यों में बिजली की संरचना अधिक मजबूत करने वाले और स्पेक्ट्रम की निलामी से संबंधित तीन अहम फैसले की जानकारी दी.
60 लाख टन चीनी निर्यात का फैसला.
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने बताया कि इस साल शक्कर का उत्पादन 310 लाख टन होगा. देश में इसकी खपत 260 लाख टन होती है. पिछले तीन चार साल से सरकार ने पाया कि देश में शक्कर के दाम कम हैं जिसके कारण किसान और उद्योग दोनों संकट में हैं. इसको मात देने के लिए सरकार ने इस साल 60 लाख टन चीनी निर्यात करने का निर्णय किया है. सरकार ने निर्यात के साथ सब्सिडी देने का निर्णय भी किया है. खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के अनुसार आज भारतीय चीनी उद्योगों का वार्षिक उत्पादन अनुमानत: 80000 करोड़ रुपए है. ऐसे में कैबिनेट के इस फैसले से उम्मीद जताई जा रही है कि आगे चलकर यह उत्पादन लगभग 1 लाख करोड़ रुपये के ऊपर जा सकता है. यह भी पढ़ें-Modi Cabinet: मोदी कैबिनेट का 5 करोड़ गन्ना किसानों को बड़ा तोहफा, चीनी निर्यात पर सब्सिडी को दी हरी झंडी
गन्ना किसानों के लिए खुशखबरी.
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि चीनी निर्यात की सब्सिडी सीधे किसान के खाते में जाएगी। यह इसकी विशेषता है. साथ ही उन्होंने बताया कि 3500 करोड़ रुपए इस कार्य के लिए लगेंगे. किसान के लिए खुशखबरी वह है कि जो प्रत्यक्ष निर्यात होगा और निर्यात का जो मूल्य मिलेगा वो भी किसान के खाते में जाएगा। वह लगभग 18 हजार करोड़ रुपए मिलेगा. केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि अभी तक जो घोषित दूसरी सब्सिडी है उसका 5361 करोड़ तो एक सप्ताह में किसान के खाते में जमा होगा. इन सभी को मिलाकर किसानों के बकाया के एवज में यह रकम किसानों के खाते में जमा होगी. यह सब्सिडी किसानों को राहत देगी.
पांच करोड़ किसानों और पांच लाख मजदूरों को होगा लाभ.
करीब पांच करोड़ किसान और उनके परिवारजन को उससे फायदा होगा. साथ ही इससे जुड़े पांच लाख मजदूरों को भी लाभ होगा. जब उद्योग ठीक तरीके से चलता है तो मजदूरों की आमदनी भी बढ़ती है. 3500 करोड़ आज घोषित सब्सिडी, 5361 करोड़ पहले घोषित हुई सब्सिडी और उसके साथ-साथ लगभग 18000 करोड़ रुपये जो निर्यात से प्राप्त होगा, किसान के खाते में जाएगा. केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने उम्मीद जताई कि कैबिनेट के इस फैसले का सभी किसान स्वागत करेंगे.
खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के अनुसार चीनी उद्योग एक महत्वपूर्ण कृषि आधारित उद्योग है जो लगभग 50 मिलियन गन्ना किसानों और चीनी मिलों में सीधे नियोजित 5 लाख कर्मियों की ग्रामीण आजीविका को प्रभावित करती है. परिवहन, मशीनरी की व्यापार सेवाओं और कृषि आदानों की आपूर्ति से संबंधित विभिन्न सहायक गतिविधियों में भी रोजगार के अवसर उत्पन्न हुए हैं. भारत ब्राजील के बाद विश्व में चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है.
देश में बढ़ सकती हैं चीनी मिलें.
देश में 30.11.2012 की स्थिति के अनुसार 682 चीनी मिलें स्थापित हैं जिनकी पिराई क्षमता लगभग 300 लाख टन चीनी उत्पादन की है. यह क्षमता मोटे तौर पर निजी क्षेत्र की तथा सहकारिता क्षेत्र की यूनिटों में बराबर विभाजित है. कुल मिलाकर चीनी मिलों की क्षमता 2500 टीसीडी से 5000 टीसीडी के रेंज में है लेकिन इसमें तेजी से वृद्धि हो रही है और यह क्षमता 10000 टीसीडी को पार कर रही है. चीनी निर्यात संबंधी कैबिनेट के फैसले को लेकर उम्मीद जताई जा रहा है कि देश में चीनी मिलों की यूनिट भी बढ़ाई जा सकती हैं.
चीनी रिफाइनरी की भी संख्या में हो सकता है इजाफा.
इसके साथ-साथ दो आधुनिक रिफाइनरीज भी देश में गुजरात तथा पश्चिम बंगाल के तटवर्ती क्षेत्रों में स्थापित की गई हैं. ये रिफाइनरियां मुख्यतया आयातित कच्ची चीनी तथा घरेलू कच्ची चीनी से रिफाइंड चीनी का उत्पादन करती हैं. ऐसे में रोजगार सर्जन के आसार भी नजर आ रहे हैं.
रोजगार सर्जन.
यदि देश में चीनी रिफाइनरी और चीनी मिलें बढ़ती हैं तो संभवत: देश में रोजगार का सर्जन होगा. इसके साथ-साथ रोजगार विभिन्न परिवहन गतिविधियों, मशीनरी के व्यापार सर्विसिंग और कृषि आदानों की आपूर्ति से संबंधित गतिविधियों में भी होगा. कुल मिलाकर कैबिनेट के इस फैसले से बहुत लोगों को फायदा होगा.