50 साल बाद अब यह बेटा संभालेंगा करुणानिधि की राजनितिक विरासत
50 साल बाद बेटे के हाथ में होंगी डीएमके की कमान

चेन्नई: तमिलनाडु के बड़े राजनेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री मुथुवेल करुणानिधि का लंबी बीमारी के बाद आज शाम देहांत हो गया. द्रविड़ मुनेत्र कडगम (डीएमके) चीफ करुणानिधि के निधन के बाद अब पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष एमके स्टालिन अपने पिता की विरासत संभालेंगे. करुणानिधि ने करीब दो साल पहले ही इस बात का ऐलान कर दिया था.

दरअसल करुणानिधि की तीन शादियां की थी. उनकी पत्नियां पद्मावती, दयालु आम्माल और राजात्तीयम्माल हैं. करुणानिधि के चार बेटे हैं- एमके मुत्तु, एमके अझागिरी, एमके स्टालिन और एमके तामिलरसु. इसके अलावा दो बेटिया भी है- सेल्वी और कानिमोझी. पहली पत्नी पद्मावती का देहांत काफी जल्दी हो गया था, उनके सबसे बड़े पुत्र एमके मुत्तु को जन्म दिया था. अज़गिरी, स्टालिन, सेल्वी और तामिलरासु दयालुअम्मल की संताने हैं, जबकि कनिमोझी उनकी तीसरी पत्नी राजात्तीयम्माल की पुत्री हैं.

करुणानिधि ने सबसे पहले जनवरी 2013 में स्टालिन को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था. हालांकि अक्टूबर 2016 में भी उन्होंने अपनी बात दोहराई और स्टालिन को अपना वारिस बताते हुए स्पष्ट किया था कि वे खुद राजनीति से संन्यास नहीं ले रहे हैं.

बता दें की करुणानिधि ने यह ऐसे समय में कहा जब अझागिरी और स्टालिन गुटों के बीच डीएमके के वारिस के नाम पर संघर्ष चल रहा था. पिछले साल जनवरी में ही डीएमके ने स्टालिन को कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया. जिससे इस सत्ता संघर्ष पर विराम लगा गया. हालांकि करुणानिधि की बेटी कानिमोझी राज्यसभा की सांसद हैं.

करुणानिधि की राजनितिक विरासत का हकदार स्टालिन ही थे. स्टालिन ने अपनी पहचान खुद से पार्टी में नंबर दों की बनाई. उन्होंने अपने कामकाज के तरीके से अपने भाई अझागिरी को पछाड़कर पार्टी में पकड़ बनाई. हालांकि अझागिरी ने करुणानिधि की विरासत पाने के लिए बहुत संघर्ष किया, लेकिन सफल नहीं हो सके.

अझागिरी डीएमके की दक्षिणी राज्य इकाई को संभाला करते थे, लेकिन बाद में स्टालिन आए और पार्टी संगठन में खुद को मजबूती के साथ जमा लिया. राज्यसभा सांसद और करुणानिधि की बेटी कनिमोझी ने वर्ष 2016 में सौतेले भाई स्टालिन को पार्टी का अगला उत्तराधिकारी स्वीकार किया. तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एम करुणानिधि का हुआ निधन, जानें उनका सियासी सफर