#Metoo: पत्रकार प्रिया रमानी ने अदालत से कहा, पूर्व केंद्रीय मंत्री एम.जे. अकबर ने असुरक्षित महसूस कराया
पूर्व केंद्रीय मंत्री एम.जे. अकबर द्वारा पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ दायर मानहानि के मामले में दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को प्रिया का बयान दर्ज किया. प्रिया का बयान अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट (एसीएमएम) समर विशाल के सामने दर्ज किया गया. बयान दर्ज करने के बाद उन्होंने बचाव पक्ष से सबूत लेने के लिए 7 सितंबर की तारीख तक कर दी.
नई दिल्ली. पूर्व केंद्रीय मंत्री एम.जे. अकबर द्वारा पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ दायर मानहानि के मामले में दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को प्रिया का बयान दर्ज किया. प्रिया का बयान अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट (एसीएमएम) समर विशाल के सामने दर्ज किया गया. बयान दर्ज करने के बाद उन्होंने बचाव पक्ष से सबूत लेने के लिए 7 सितंबर की तारीख तक कर दी.
प्रिया रमानी ने अपने बयान में कहा, "मैं उस समय 23 साल की थी, एशियन एज अखबार जल्द ही शुरू होने वाला था. संपादक शिकायतकर्ता (एमजे अकबर) ने मुझे नौकरी के लिए इंटरव्यू लेने को होटल में बुलाया. जब मैं वहां गई तो मुझे लॉबी या कॉफी शॉप में इंटरव्यू की उम्मीद थी. लेकिन अकबर ने जोर देकर कहा कि मैं उनके कमरे में आऊं. मेरी ज्यादा उम्र नहीं थी और यह मेरा पहला जॉब इंटरव्यू था. मुझे नहीं पता था कि मैं मना कर सकती थी. मुझे नहीं पता था कि मैं अपने इंटरव्यू के लिए शर्ते तय कर सकती थी." यह भी पढ़े-पत्रकार प्रिया रमानी की बढ़ी मुश्किलें, पूर्व केंद्रीय मंत्री एम.जे. अकबर द्वारा दायर मामले में मानहानि का आरोप तय
उन्होंने कहा, "जब मैं उनके कमरे में पहुंची, तो वह एक अंतरंग जगह थी, जो उनका शयनकक्ष था. मैं अकबर के बार-बार अनुचित व्यक्तिगत सवालों, उनके अल्कोहल पीने की पेशकश, उनके गानों के जोरदार गायन और उनके पास बैठने के लिए निमंत्रण पर असुरक्षित महसूस कर रही थी. उस रात के बाद मैंने अपने दोस्त नीलोफर वेंकटरामा को फोन कर पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी थी."
प्रिया ने कहा, "यह गलत है कि मेरे ट्वीट से अकबर की प्रतिष्ठा प्रभावित हुई. मैंने सच बोला और अकबर की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने की जानबूझकर कोई कोशिश नहीं की."
उन्होंने कहा, "यह जानबूझकर मुझे निशाना बनाकर डराने का प्रयास है। अकबर ने अपने खिलाफ यौन दुराचार के गंभीर आरोपों और सार्वजनिक आक्रोश से ध्यान हटाने का प्रयास किया है."
अदालत अकबर द्वारा महिला पत्रकार के खिलाफ यौन दुराचार का आरोप लगाने के बाद दायर आपराधिक मानहानि की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. आरोप लगने के बाद विदेश मामलों के तत्कालीन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अकबर को पद छोड़ना पड़ा था.