माकपा: तीन तलाक पर अध्यादेश का मकसद मुस्लिम महिलाओं का कल्याण नहीं
केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा तीन तलाक पर पारित किए गए अध्यादेश को अलोकतांत्रिक बताते हुए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने गुरुवार को कहा कि इस अध्यादेश को पारित करना संसद को दरकिनार करने के समान है जहां यह बिल अभी भी लंबित है.
नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा तीन तलाक पर पारित किए गए अध्यादेश को अलोकतांत्रिक बताते हुए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने गुरुवार को कहा कि इस अध्यादेश को पारित करना संसद को दरकिनार करने के समान है जहां यह बिल अभी भी लंबित है. माकपा ने एक बयान में कहा, "केंद्र सरकार द्वारा लाया गया यह अध्यादेश मुस्लिम महिलाओं के कल्याण के लिए नहीं बल्कि राजनीतिक उद्देश्य को पूरा करने से प्रेरित है."
बयान के अनुसार, "विधेयक राज्यसभा में लंबित है और अभी इस पर न केवल पूर्ण चर्चा बाकी है बल्कि इस पर प्रवर समिति का निष्कर्ष भी आना बाकी है. यह अध्यादेश संसद को दरकिनार कर उठाया गया अलोकतांत्रिक कदम है." माकपा ने कहा कि 'तलाक-ए-बिद्दत' या तत्काल तीन तलाक को सर्वोच्च न्यायालय ने पहले ही गैरकानूनी घोषित कर दिया था, लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार ने एक एक सामान्य सिविल मामले को जेल की सजा का प्रावधान शामिल कर उसे आपराधिक मामला बना दिया है.
माकपा ने कहा, "यह व्यर्थ का कदम है जो प्रभावित मुस्लिम महिलाओं के संरक्षण में कोई मदद नहीं करेगा. विधेयक में कई अन्य खामियां हैं जिनमें संशोधन किया जाना जरूरी है. अध्यादेश सत्तारूढ़ दल (भाजपा) के राजनीतिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए बनाया गया है. इस संबंध में संसद को एक संशोधित कानून लाना चाहिए."
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को तीन तलाक को एक आपराधिक कृत्य के दायरे में लाने वाले अध्यादेश को मंजूरी दे दी. यह अध्यादेश अब राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. सरकार इस विधेयक को लोकसभा में पारित करा चुकी है लेकिन राज्यसभा में यह पास नहीं हो सका है. सरकार का कहना है कि अध्यादेश की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इसे असंवैधानिक घोषित करने के बावजूद तीन तलाक का दिया जाना लगातार जारी है