Maharashtra: एकनाथ शिंदे की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज होगी सुनवाई, हरीश साल्वे रखेंगे बागी MLA का पक्ष
ठाकरे की टीम की अयोग्यता याचिका पर डिप्टी स्पीकर ने 16 बागी विधायकों को नोटिस जारी किया है. शिंदे की याचिका में कहा गया है कि डिप्टी स्पीकर द्वारा जारी अयोग्यता नोटिस संविधान के अनुच्छेद 14 और 19(1)(जी) का पूरी तरह से उल्लंघन है.
Maharashtra Political Crisis, नई दिल्ली, 26 जून: शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे ने पार्टी के 16 विधायकों को महाराष्ट्र के डिप्टी स्पीकर द्वारा जारी अयोग्यता नोटिस और अजय चौधरी की शिवसेना विधायक दल के नेता के रूप में नियुक्ति को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. सुप्रीम कोर्ट की अवकाश पीठ के समक्ष इस मामले की तत्काल सुनवाई के लिए सोमवार को उल्लेख किए जाने की संभावना है. Maharashtra Political Crisis: बागी विधायक दीपक का दावा, अभी और MLA शिंदे गुट में होंगे शामिल, 51 हो जाएगी हमारी संख्या
देश के मशहूर वकील हरीश साल्वे एकनाथ शिंदे की तरफ से कल सुप्रीम कोर्ट में पेश होंगे. शिंदे गुट ने हरीश साल्वे को उनका केस लड़ने के लिए चुना है. वहीं, शिवसेना की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी कोर्ट में पेश होंगे. वहीं, डिप्टी स्पीकर की तरफ से एडवोकेट रवि शंकर जंध्याला केस लड़ेंगे. जबकि महाराष्ट्र सरकार की ओर से देवदत्त कामत दलीलें देंगे.
कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन के विरोध में शिंदे और बागी विधायकों के राज्य छोड़ने के बाद महाराष्ट्र राजनीतिक संकट का सामना कर रहा है. बागी विधायक पिछले कुछ दिनों से असम के गुवाहाटी के एक होटल में डेरा डाले हुए हैं.
ठाकरे की टीम की अयोग्यता याचिका पर डिप्टी स्पीकर ने 16 बागी विधायकों को नोटिस जारी किया है. शिंदे की याचिका में कहा गया है कि डिप्टी स्पीकर द्वारा जारी अयोग्यता नोटिस संविधान के अनुच्छेद 14 और 19(1)(जी) का पूरी तरह से उल्लंघन है, साथ ही चौधरी को शिवसेना के नेता के रूप में मान्यता देने में डिप्टी स्पीकर की अवैध और असंवैधानिक कार्रवाई है.
याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता 25 जून के नोटिस / समन से व्यथित है जो पूरी तरह से अवैध, असंवैधानिक है और नबाम रेबिया और बामंग फेलिक्स वर्सेस डिप्टी स्पीकर, अरुणाचल प्रदेश विधान सभा (2016) के मामले में इस अदालत के फैसले की पूरी तरह से अवहेलना करता है.
इसमें कहा गया है, फरवरी 2021 में नाना पटोले के पद से इस्तीफा देने के बाद से अध्यक्ष की सीट खाली है. इस प्रकार, ऐसा कोई अधिकार नहीं है जो अयोग्यता याचिका पर फैसला कर सके जिसके तहत याचिकाकर्ता को नोटिस जारी किया गया है.