मुंबई: कांग्रेस को झटके पर झटका, राधाकृष्ण विखे पाटिल ने छोड़ा विधायक पद, विधानसभा अध्यक्ष को सौंपा इस्तीफा
राधाकृष्ण विखे पाटिल ( फोटो क्रेडिट - ANI )

मुंबई: महाराष्ट्र में बुरे दौर से गुजर रही कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद एक और जोर का झटका फिर से लगा है. कांग्रेस के दिग्गज नेता राधाकृष्ण विखे पाटिल (Radhakrishna Vikhe Patil ) अपने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया है. इससे पहले महाराष्ट्र विधानसभा में राधाकृष्ण विखे पाटील प्रतिपक्ष के नेता थे. लेकिन कुछ दिन पहले ही उन्होंने इस पद से इस्तीफा दिया था. वहीं लोकसभा चुनाव के दौरान पिछले महीने पाटिल के बेटे कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल हो गए थे.

खबरों की माने तो राधाकृष्ण विखे पाटिल बीजेपी का दामन थाम सकते हैं. क्योंकि कुछ दिनों पहले मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के करीबी माने जाने वाले महाजन ने साफ किया था कि बीजेपी में विखे पाटिल का प्रवेश बगैर किसी शर्त के होगा. विखे पाटिल को राज्य कैबिनेट में शामिल करने को लेकर लगाई जा रही अटकलों पर उन्होंने ने कहा था कि यह मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है.

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राधाकृष्ण विखे पाटिल का सफरनामा

अहमदनगर जिले के रहने वाले विखे पाटिल महाराष्ट्र के राजनीतिक इतिहास में दुर्जेय नाम है और इस परिवार को राज्य में शक्कर सहकारिता आंदोलन के अग्रदूतों में से एक माना जाता है. विधानसभा में विपक्ष के नेता राधाकृष्ण विखे पाटिल के बेट सुजॉय विखे पाटिल 12 मार्च को बीजेपी में शामिल हो गए और उन्हें अहमदनगर लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाए गए थे. विखे पाटिल परिवार के सदस्य पिछले 70 वर्षों में तकरीबन सभी प्रमुख पार्टियों का हिस्सा रह चुके हैं.

महाराष्ट्र में परिवार का सबसे बड़ा योगदान आजादी के बाद अहमदनगर में एशिया की पहली सहकारी शक्कर मिल स्थापित करना है. दिवंगत विट्ठलराव विखे पाटिल ने तत्कालीन कांग्रेस के दिग्गज नेता धनंजयराव गाडगिल के मार्गदर्शन में मिल स्थापित की थी. यह परिवार विट्ठलराव विखे पाटिल के बेटे बालासाहेब विखे पाटिल के नेतृत्व में फला फूला. उनके नेतृत्व में परिवार ने शिक्षा क्षेत्र में प्रवेश किया और पश्चिम महाराष्ट्र में अपना प्रभाव बढ़ाते हुए स्कूलों, मेडिकल तथा इंजीनियरिंग कॉलेजों और सामाजिक संगठनों की स्थापना की.

लंबे समय तक कांग्रेस में रहे बालासाहेब विखे पाटिल ने सात बार अहमदनगर उत्तर लोकसभा सीट से जीत हासिल की. कांग्रेस में शामिल होने से पहले वह भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े रहे. प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जब 1975 में आपातकाल लागू किया तो उन्होंने उन दिनों कई अन्य नेताओं की तरह कांग्रेस छोड़ दी और 1978 में नांदेड से अपनी पार्टी के नेता शंकरराव चव्हाण के साथ महाराष्ट्र समाजवादी कांग्रेस के अध्यक्ष बने. ( भाषा इनपुट्स )