Maratha Reservation: सर्वदलीय बैठक खत्म, CM शिंदे बोले- मराठा समाज को आरक्षण देने पर सभी पार्टियां सहमत
महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा कि आरक्षण के नाम पर हिंसा ठीक नहीं है. मराठा समाज को आरक्षण देने पर सभी पार्टियों ने सहमती जताई है.
CM Eknath Shinde On Maratha Reservation: महाराष्ट्र में मराठा आंदोलन की आग एक बार फिर सुलग उठी है. मराठा समुदाय को आरक्षण दिलाने के लिए लोग अब हिंसक रुख अपनाने पर आ गए हैं. इसी बीच मराठा आरक्षण को लेकर आज सर्वदलीय बैठक हुई. बैठक खत्म होने के बाद महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा कि आरक्षण के नाम पर हिंसा ठीक नहीं है. मराठा समाज को आरक्षण देने पर सभी पार्टियों ने सहमती जताई है.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का कहना है, 'सर्वदलीय बैठक में सभी इस बात पर सहमत हुए कि मराठा समुदाय को आरक्षण मिलना चाहिए...यह निर्णय लिया गया कि आरक्षण कानून के दायरे में होना चाहिए और अन्य समुदायों के साथ अन्याय किए बिना होना चाहिए.'
महाराष्ट्र में मराठा लंबे समय से आरक्षण की मांग कर रहे हैं. साल 1982 में मराठा आरक्षण को लेकर पहली बार बड़ा आंदोलन हुआ था. 1982 में मठाड़ी नेता अन्नासाहेब पाटिल ने आर्थिक स्थिति के आधार पर मराठाओं को आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन किया था. सरकार ने उनकी मांग को नजरअंदाज किया तो उन्होंने खुदकुशी कर ली थी. साल 2014 के चुनाव से पहले तत्कालीन सीएम पृथ्वीराज चव्हाण ने सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में मराठाओं को 16 फिसदी आरक्षण देने के लिए अध्यादेश लेकर आए थे, लेकिन 2014 में कांग्रेस-NCP गठबंधन की सरकार चुनाव हार गई और बीजेपी-शिवसेना की सरकार में देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री बने. हालांकि, नवंबर 2014 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस अध्यादेश पर रोक लगा दी.
फडणवीस की सरकार में मराठा आरक्षण को लेकर एमजी गायकवाड़ की अध्यक्षता में पिछड़ा वर्ग आयोग बना. इसकी सिफारिश के आधार पर फडणवीस सरकार ने सोशल एंड एजुकेशनली बैकवर्ड क्लास एक्ट के विशेष प्रावधानों के तहत मराठाओं को आरक्षण दिया. बीजेपी सरकार में मराठाओं को 16% का आरक्षण मिला. हालांकि बॉम्बे हाईकोर्ट ने इसे कम करते हुए सरकारी नौकरियों में 13 प्रतिशत और शैक्षणिक संस्थानों में 12 फिसदी कर दिया.
मई 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने इसे रद्द कर दिया. सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने कहा कि आरक्षण की 50 फीसदी की सीमा को तोड़ा नहीं जा सकता. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि महाराष्ट्र के 40 फीसदी से ज्यादा विधायक और सांसद मराठा समुदाय से होते हैं.