भोपाल: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में नवनिर्वाचित कांग्रेस (Congress) सरकार के लिए यूरिया एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है. दरअसल मध्य प्रदेश में यूरिया (Urea) की कमी हो गई है. जिसको लेकर कई जगहों पर किसानों ने प्रदर्शन भी किया है. नई फसल की बुवाई के समय ही यूरिया ना मिलने के कारण किसानों में कोहराम मचा है. हालत ऐसे है कि कालाबाजारी रोकने के लिए कई जगहों पर आधार कार्ड जरूरी कर दिया गया है.
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो मध्य प्रदेश में हर महीने कुल 3.70 लाख मीट्रिक टन यूरिया की जरूरत पड़ती है लेकिन इस महीने यहां केवल 1.90 लाख मीट्रिक टन ही यूरिया सप्लाई की गई. कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी राज्य में हार जाने की वजह से यूरिया की सप्लाई नहीं कर रही है.
हालांकि सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सभी आरोपों जो खारिज कर दिया. शिवराज ने कहा कि प्रदेश को 15 दिसंबर से पहले चार लाख मीट्रिक टन यूरिया मुहैया कराई गई थी. लेकिन इसे ठीक से बांटा नहीं जा रहा है.
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इस बीच विवाद बढता देख केंद्र सरकार ने भी देश में यूरिया खाद की कमी होने की खबर का खंडन किया. शुक्रवार को नई दिल्ली में रसायन और उर्वरक मंत्री सदानंद गौड़ा ने कहा कि उनका मंत्रालय राज्य के मुख्य सचिवों से प्रतिदिन संपर्क में है और कहीं भी खाद की कोई कमी नहीं है. उन्होंने आगे कहा कि यह संकट राज्यों की वितरण प्रणाली से जुड़ा हुआ है और यह केवल केंद्र सरकार को बदनाम करने की कोशिश है.
किसानों को मिल सकता है तोहफा-
यूरिया को मुसीबत बनता देख मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार किसानों को नए साल पर खास तोहफा दे सकती है. दरअसल किसानों का मुद्दा उठाकर सत्ता में आने वाली कांग्रेस किसानों को नाराज नहीं करना चाहती. इसलिए हाल ही में उठाए गए कर्ज माफी के फैसले में बड़ा बदलाव करने वाली है.
खबर है कि कमलनाथ सरकार किसानों के वर्तमान कर्ज को माफ करने के लिए तैयारियों में जुटी हुई है. कैबिनेट की बैठक में करीब सभी मंत्रियों ने तीस नवंबर तक किसानों का सभी बैंकों के दो लाख तक के कर्ज माफी की बात पर अपनी सहमति जताई है. इससे पहले सरकार ने 31 मार्च 2018 तक के किसानों के दो लाख तक कर्ज को माफ करने की घोषणा की थी.