मध्य प्रदेश में 3 नवंबर को होने वाले विधानसभा के उप-चुनाव में ग्वालियर-चंबल इलाके के कई बड़े नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है. यही कारण है कि तमाम नेता अपनी प्रतिष्ठा को बचाने सारा जोर लगाए हुए हैं. राज्य में होने वाले विधानसभा के 28 क्षेत्रों में से 16 क्षेत्र ग्वालियर चंबल इलाके से आते हैं. इस क्षेत्र के प्रभावशाली नेताओं में भाजपा के केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, पूर्व केंद्रीय मंत्री व राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया, पूर्व राज्यसभा सदस्य प्रभात झा, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा और मंत्री नरोत्तम मिश्रा आते हैं. वहीं दूसरी ओर कांग्रेस की सारी कमान पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष कमल नाथ ने संभाल रखी है. इसके अलावा बसपा छोड़कर कांग्रेस में आए फूल सिंह बरैया और सत्यप्रकाश संखवार भी चुनाव मैदान में है.
यह चुनाव कांग्रेस के लिए 'करो या मरो' की स्थिति में लड़ना पड़ रहा है और यही कारण है कि कमल नाथ ने चुनाव की कमान खुद संभाल रखी है और अपने करीबियों की इस इलाके में तैनाती भी की है. कांग्रेस की ओर से यह चुनाव सीधे तौर पर कमल नाथ की प्रतिष्ठा से जुड़ा हुआ है. वहीं दूसरी ओर भाजपा के आधा दर्जन नेताओं की प्रतिष्ठा इन उप-चुनावों से जुड़ी हुई है. यही कारण है कि दोनों दलों के नेताओं ने अपने अपने स्तर पर जमावट तेज कर दी है. साथ ही सीधे तौर पर खुद हालात पर नजर रखे हुए हैं. यह भी पढ़ें:- MP Bye-Polls 2020: बेहद दिलचस्प होती जा रही है मध्यप्रदेश उपचुनावों की जंग, किसानों पर सियासी संग्राम, कांग्रेस-बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर के आसार.
कंग्रेस के प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा भी मानते हैं कि, यह उप-चुनाव राज्य और नेताओं के लिहाज से अहम है. कांग्रेस पूरी तरह प्रदेशाध्यक्ष कमल नाथ के नेतृत्व में चुनाव लड़ रही है, वहीं भाजपा को अपने ही नेताओं पर भरोसा नहीं रहा है. यही कारण है कि उन्हें उमा भारती आदि को भेजना पड़ रहा है. यह चुनाव ऐतिहासिक होगा और इस चुनाव से साबित हो जाएगा कि जनतंत्र जीतता है या धनतंत्र.
भाजपा के मुख्य प्रवक्ता दीपक विजयवर्गीय का कहना है कि, यह उप-चुनाव विकास के मुददे पर लड़ा जा रहा है, भाजपा के शासनकाल को जनता ने देखा है, वहीं कांग्रेस के पंद्रह माह के कुशासन को भी. जहां तक पार्टी के नेताओं की बात है तो भाजपा ऐसा राजनीतिक दल है जहां कार्यकर्ता से नेता बनने की प्रक्रिया चलती है, यह हमारे लिए गर्व की बात है कि कई बड़े नाम उस अंचल के हमारे पास हैं.
वहीं राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह चुनाव भाजपा के कई प्रमुख नेताओं की भविष्य की राजनीति को निर्धारित करने वाले होंगे. सिंधिया जहां भाजपा में अभी आए हैं और यह क्षेत्र उनके प्रभाव का माना जाता है, वहीं केंद्रीय मंत्री तोमर को भी अपने प्रभाव को साबित करना हेागा. कुल मिलाकर कांग्रेस की ओर से अकेले कमल नाथ हैं तो भाजपा की ओर से कई चेहरे इस क्षेत्र में दांव पर लगे हैं.