भोपाल: मध्य प्रदेश की सियासत का चेहरा तेजी से बदल रहा है. अब तो हाल यह है कि राजनीतिक दलों को अपनों से ज्यादा गैरों पर भरोसा होने लगा है। यह बात विधानसभा के उप-चुनाव के उम्मीदवारों के चयन में साफ नजर भी आ रही है. राज्य में कांग्रेस के तत्कालीन 22 विधायकों के दल-बदल करने से कमलनाथ की सरकार गिर गई थी और भाजपा की सत्ता में वापसी हुई. इसके बाद तीन और तत्कालीन विधायकों ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया.वर्तमान में 230 सदस्यों वाली विधानसभा में किसी भी दल को पूर्ण बहुमत हासिल नहीं है.भाजपा को पूर्ण बहुमत के लिए जहां नौ विधानसभा क्षेत्र में जीत दर्ज करना है, वहीं कांग्रेस को सभी 28 स्थानों पर जीत हासिल करनी होगी, तभी उसे पूर्ण बहुमत हासिल हो पाएगा.
आगामी समय में होने वाले 28 विधानसभा क्षेत्रों के उप-चुनाव भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए महत्वपूर्ण हैं। यही कारण है कि दोनों ही दल जीत के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं.भाजपा जहां दल-बदल करने वाले सभी 25 पूर्व विधायकों को उम्मीदवार बनाने जा रही है, तो दूसरी ओर कांग्रेस भी बसपा और भाजपा से आ रहे नेताओं को उम्मीदवार बनाने में नहीं हिचक रही है। कांग्रेस ने पिछले दिनों पंद्रह उम्मीदवारों की सूची जारी की है, जिसमें पांच से ज्यादा ऐसे उम्मीदवार हैं जो बसपा और भाजपा से कांग्रेस में आए हैं. यह भी पढ़े: Madhya Pradesh Assembly by-election: मध्य प्रदेश विधानसभा उपचुनाव में RSS की रहेगी अहम भूमिका
राजनीतिक विश्लेषक अरविंद मिश्रा का कहना है कि, "वर्तमान दौर में राजनीतिक दलों के लिए विचारधारा और सिद्घांत के कोई मायने नहीं बचे हैं, अगर किसी चीज का मतलब है तो वह है चुनाव जीतने का। यही कारण है कि राजनीतिक दल किसी को भी अपना उम्मीदवार बनाने में नहीं हिचकते, .भाजपा को सत्ता में लाने में जिन विधायकों ने मदद की है, उन्हें उम्मीदवार बनाने में पार्टी को कुछ भी गलत नहीं लगता. इसी तरह दूसरे दलों से आए नेताओं के प्रत्याशी बनाने में कांग्रेस भी परहेज नहीं कर रही है.
कांग्रेस के प्रदेश सचिव श्रीधर शर्मा का कहना है कि, "कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमल नाथ ने उम्मीदवार चयन के लिए तीन स्तर पर सर्वेक्षण कराया है, जिन नेताओं के पक्ष में सर्वेक्षण रिपोर्ट आई है, उसे ही उम्मीदवार बनाया जा रहा है। पार्टी के लिए पहला लक्ष्य भाजपा को सत्ता से बाहर करना है, क्योंकि भाजपा ने प्रदेश का जनमत खरीदा है। प्रदेश की जनता भी कमल नाथ की सरकार को गिराने वालों को सबक सिखाने को तैयार है.