लखनऊ: समाजवादी पार्टी (SP) के तीन सदस्यों - डिंपल यादव (Dimple Yadav), धमेंद्र यादव (Dharmendra Yadav) और अक्षय यादव (Akshay Yadav) की हार शायद हाल के दिनों में सपा प्रमुख अखिलेश यादव को सबसे बड़ा झटका है. डिंपल यादव कन्नौज में हार गईं, धमेंद्र यादव बदायूं में हार गए और अक्षय यादव फिरोजाबाद में हार गए. ये तीनों 16वीं लोकसभा में सांसद थे.
लोकसभा चुनाव के परिणामों से यह स्पष्ट है कि बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के साथ गठबंधन के बावजूद समाजवादी पार्टी हार गई. साल 2014 में पार्टी ने परिवार के भीतर पांच सीटों पर जीत हासिल की थी और पिछले साल आठ सीटों तक की बढ़त हासिल की थी जब गोरखपुर, फूलपुर और कैराना के उपचुनाव में सपा को जीत हासिल हुई थी.
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अभी-अभी सम्पन्न हुए चुनाव में सपा पांच सीटों के साथ वापस आई, जिनमें से पार्टी ने परिवार के लिए दो सीटों पर जीत हासिल की. मुलायम सिंह को मैनपुरी और आजमगढ़ में अखिलेख यादव को जीत हासिल हुई. जीतने वाले तीन अन्य उम्मीदवार आजम खान रामपुर में, शफीकुर्रहमान बर्क संभल में और एस.टी.हसन मुरादाबाद में जीते. परिवार के बाहर ये सभी तीन उम्मीदवार मुस्लिम हैं.
नाम न बताने की शर्त पर सपा के एक वरिष्ठ नेता ने शुक्रवार को कहा, "यह गठबंधन एक भयंकर गलती साबित हुई और यह जमीनी स्तर तक कम नहीं हुआ है. साल 2014 के मोदी लहर में हमने अपनी जमीन बनाई थी, लेकिन इस बार अच्छा महसूस करने के लिए कुछ भी नहीं है." उन्होंने आगे कहा, "पार्टी के वरिष्ठ नेता चुनाव हार गए हैं और अब जल्द ही बसपा के साथ गठबंधन के फैसले के खिलाफ आलोचना शुरु हो जाएगी जिसने इस गठबंधन का लाभ उठाया है."
दूसरी ओर, बसपा इस गठबंधन के साथ खुद को पुनर्जीवित करने में कामयाब रही. साल 2014 में जिस पार्टी ने एक भी सीट नहीं जीती थी, उसने इस बार दस सीटें जीती हैं. अंबेडकर नगर, अमरोहा, गाजीपुर, घोसी, जौनपुर, लालगंज, नगीना, सहारनपुर, बिजनौर और श्रावस्ती में पार्टी ने जीत हासिल की है.
यह साफ है कि समाजवादी पार्टी ने इन सीटों पर बसपा को अपने वोट स्थानांतरित किए हैं, लेकिन बसपा का वोट सपा के उम्मीदवारों को स्थानांतरित नहीं हुआ. गठबंधन की ओर एक बड़ी दुर्घटना राष्ट्रीय लोकदल रही है. पार्टी ने तीन सीटों- बागपत, मुजफ्फरनगर और मथुरा से चुनाव लड़ा और तीनों हार गई. चौधरी अजित सिंह और उनके बेटे जयंत चौधरी हारने वालों में से हैं.