Karnataka Assembly Elections 2023: कर्नाटक में कांग्रेस का काम ख़राब करने उतरेगी ये पार्टी, 100 सीटों पर लड़ेगी चुनाव

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए राजनीतिक दल रणनीति बनाने में जुटे हैं. ऐसे में सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) ने मंगलवार को कहा कि वह कर्नाटक की कुल 224 विधानसभा सीटों में से 100 पर चुनाव लड़ेगी. एसडीपीआई के राज्य महासचिव अफसर कोडलिपेट ने कहा कि पार्टी लोगों के सामने समानांतर राजनीति के एजेंडे के साथ चुनाव में उतरेगी...

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits-PTI)

बेंगलुरु, 31 जनवरी: कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए राजनीतिक दल रणनीति बनाने में जुटे हैं. ऐसे में सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) ने मंगलवार को कहा कि वह कर्नाटक की कुल 224 विधानसभा सीटों में से 100 पर चुनाव लड़ेगी. एसडीपीआई के राज्य महासचिव अफसर कोडलिपेट ने कहा कि पार्टी लोगों के सामने समानांतर राजनीति के एजेंडे के साथ चुनाव में उतरेगी. एसडीपीआई नेता ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि पार्टी ने पहले ही 54 निर्वाचन क्षेत्रों के नामों का ऐलान कर दिया है जहां से वे चुनाव लड़ने जा रहे हैं और 10 सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा की गई है. यह भी पढ़ें: पार्टी के नाम में महज 'मुस्लिमीन' शब्द मतदाताओं से धर्म के आधार पर अपील के समान नहीं हो सकता: AIMIM ने सुप्रीम कोर्ट में कहा

पार्टी दक्षिण कन्नड़ जिले की सात विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है. उम्मीदवारों की दूसरी सूची जल्द ही जारी की जाएगी और बाकी सीटों के नामों का भी जल्दी ही ऐलान किया जाएगा. रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने हिंदू कार्यकर्ताओं द्वारा बदले की भावना से की गई हत्या के बयान की निंदा की. उन्होंने मोहम्मद फाजिल का जिक्र किया, जिसकी भाजपा कार्यकर्ता प्रवीण कुमार नेतारे की हत्या का बदला लेने के लिए 28 जुलाई 2022 को हत्या कर दी गई थी.

उन्होंने कहा कि विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के नेता शरण पम्पवेल ने मोहम्मद फाजिल की हत्या का बचाव किया था। ऐसा लगता है कि दक्षिण कन्नड़ जिले में हुई सभी हत्याओं के पीछे उनकी भूमिका है. उन्हें तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिए.

एसडीपीआई ने मांग की कि शरण पम्पवेल ने तुमकुरु और उल्लाल में सार्वजनिक रूप से फाजिल की हत्या का बचाव किया था. उनके खिलाफ अभी तक कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है. क्या पुलिस के पास समझ नहीं है? जो लोग हत्याओं में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से शामिल हैं, उन्हें किताबों के दायरे में लाया जाना चाहिए.

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