कारगिल विजय दिवस: सीएम योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल राम नाईक ने शहीदों को दी श्रद्धांजलि

कारगिल विजय दिवस के अवसर पर लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल राम नाईक ने शुक्रवार को शहीद स्मृति वाटिका में शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की. इस दौरान उन्होंने शहीदों के परिजनों को सम्मानित भी किया. महान क्रांतिकारी अशफाक उल्ला खां के प्रपौत्र आफाक उल्लाखां को भी मुख्यमंत्री ने सम्मानित किया.

योगी आदित्यनाथ (Photo Credits-ANI Twitter)

लखनऊ : कारगिल विजय दिवस (Kargil Vijay Diwas) के अवसर पर लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) और राज्यपाल राम नाईक (Ram Naik) ने शुक्रवार को शहीद स्मृति वाटिका में शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की. इस दौरान उनके साथ उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा, मंत्री सुरेश खन्ना और महापौर संयुक्ता भाटिया भी मौजूद रहें. इस दौरान उन्होंने शहीदों के परिजनों को सम्मानित भी किया.

राज्यपाल रामनाईक ने कहा, "मेरा कार्यकाल 22 जुलाई को ही खत्म हो गया था, लेकिन राज्य की नवनियुक्त राज्यपाल आनंदीबेन पटेल 29 जुलाई को यहां शपथ लेने आ रही हैं तो मुझे बोनस मिल गया और आज मैं यहां आया हूं." रामनाईक ने कहा, "जो सैनिक अभी सीमा पर तैनात हैं उनका अभिवादन करता हूं, क्योंकि उनकी वजह से ही हम आज सुरक्षित हैं."

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उन्होंने बताया कि पेट्रोलियम मंत्री रहते हुए उन्होंने 439 शहीदों के परिवारों को कारगिल युद्ध के बाद कैबिनेट से पेट्रोल पंप और गैस एजेंसी दिलाने का काम किया. उन्होंने आगे कहा, "लखनऊ और उत्तर प्रदेश से मुझे जो प्यार मिला उसका वर्णन नहीं कर सकता हूं. आज पांच साल के बाद जब मैं यहां हूं, तब मुझे लग रहा है कि उत्तर प्रदेश सर्वोत्तम प्रदेश बनने के रास्ते पर जा रहा है."

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध में सैनिकों ने विपरीत परिस्थतियों में भी देश को जीत दिलाई थी. पाकिस्तान ने करगिल में घुसपैठ कर भारत पर युद्ध थोपा था. भारतीय सैनिकों ने अपने पराक्रम का परिचय देते हुए 26 जुलाई को कारगिल पर विजय दिलाई थी. आज का दिन भारत के शौर्य, पराक्रम और स्वाभिमान का दिन है.

उन्होंने कहा, "सर्द रात में तन ढकने के लिए गर्म कपड़े नहीं थे. पहाड़ी पर चढ़ने वाले जूतों के बिना ही जवान आगे बढ़ते रहे. भूख लगी तो भुना हुआ चना फांक लिया, प्यास लगी तो बर्फ के टुकड़े मुंह में डाल लिए. यह भारतीय सेना के जांबाज ही थे, जिनके आगे विश्व की सबसे ऊंची चोटी पर लड़ी गई लड़ाई में दुश्मन बुरी तरह परास्त हुआ."

उन्होंने कहा कि सन 1999 में लड़े गए कारगिल युद्ध में उत्तर प्रदेश के जवानों ने सबसे अधिक शहादत दी. लखनऊ के पांच जांबाज मातृभूमि की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे. प्रदेश में अब तक चार जांबाजों को परमवीर चक्र मिला है, जिसमें दो परमवीर चक्र कारगिल युद्ध के दौरान शहीद कैप्टन मनोज पांडेय और ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव को दिए गए.

इस दौरान शहीद लांसनायक केवलानन्द द्विवेदी के परिवार, शहीद कैप्टन मनोज पांडेय के पिता गोपीचंद पांडेय, शहीद मेजर रितेश शर्मा के परिवार को सम्मानित किया. काकोरी कांड में महवपूर्ण भूमिका निभाने वाले शहीद ठाकुर रोशन सिंह के परिजन को मुख्यमंत्री और राज्यपाल रामनाईक ने मंच से नीचे उतर कर उनके पास जाकर सम्मानित किया. महान क्रांतिकारी अशफाक उल्ला खां के प्रपौत्र आफाक उल्ला खां को भी मुख्यमंत्री ने सम्मानित किया.

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