भारत को अपनी लॉजिस्टिक लागत 7 से 8 प्रतिशत कम करने की जरूरत: रिपोर्ट
कन्फेडरेशन ऑफ इंडिया इंडस्ट्री और आर्थर डी. लिटल की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत को अपने सकल घरेलू उत्पाद की सात से आठ प्रतिशत तक लॉजिस्टिक लागत कम करने की तत्काल आवश्यकता है. रिपोर्ट में सुझाव दिया गया कि लॉजिस्टिक मॉडल सड़कों के लिए 25 से 30 प्रतिशत, रेलवे में 50 से 55 प्रतिशत और जलमार्ग में 20 से 25 प्रतिशत के हिसाब से होना चाहिए.
नई दिल्ली, 23 दिसंबर: कन्फेडरेशन ऑफ इंडिया इंडस्ट्री (Confederation of India Industry) और आर्थर डी. लिटल की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत को अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की सात से आठ प्रतिशत तक लॉजिस्टिक (logistic) लागत कम करने की तत्काल आवश्यकता है. रिपोर्ट में अप्रत्यक्ष लागतों में भी 20 से 25 प्रतिशत की कटौती की सिफारिश की गई है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की मौजूदा लॉजिस्टिक लागत जीडीपी की 14 प्रतिशत है, जबकि अमेरिका (America) और यूरोप में यह आठ से 10 प्रतिशत के बीच है. भारत की आपूर्ति श्रृंखला (सप्लाई चेन) और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र विश्व स्तर के सबसे बड़े क्षेत्रों में से एक है, जहां 215 अरब डॉलर का लॉजिस्टिक्स उद्योग है, जो 10.5 प्रतिशत की सीएजीआर से बढ़ रहा है.
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रिपोर्ट में सुझाव दिया गया कि लॉजिस्टिक मॉडल सड़कों के लिए 25 से 30 प्रतिशत, रेलवे में 50 से 55 प्रतिशत और जलमार्ग में 20 से 25 प्रतिशत के हिसाब से होना चाहिए. इसके साथ ही रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कोल्ड चेन स्टोरेज इंफ्रास्ट्रक्च र का विस्तार किया जाना चाहिए.
रिपोर्ट के प्रमुख लेखक और आर्थर डी. लिटल इंडिया तथा दक्षिण एशिया के मैनेजिंग पार्टनर बारनिक चितरन मित्रा ने कहा, 180 अरब डॉलर की मौजूदा प्रतिस्पर्धात्मकता को पाटने के लिए भारत को जीडीपी के 14 प्रतिशत से लॉजिस्टिक लागत को घटाकर सात प्रतिशत करने की जरूरत है.