India China Border Tension: लद्दाख में LAC से पूरी तरह पीछे हटने के चीन के दावे पर भारत ने किया खंडन
भारत के विदेश मंत्रालय ने चीन के उन सभी दावों को खारिज कर दिया है, जिसमें कहा गया था कि पड़ोसी देश वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैन्य टुकड़ियों की वापसी पूरी हो गई है. भारत ने कहा है कि डिसइंगेजमेंट को पूरा किया जाना बाकी है और दोनों देशों के वरिष्ठ सैन्य कमांडरों की वार्ता जल्द होने की उम्मीद है.
India China Border Tension: भारत के विदेश मंत्रालय ने चीन के उन सभी दावों को खारिज कर दिया है, जिसमें कहा गया था कि पड़ोसी देश वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैन्य टुकड़ियों की वापसी पूरी हो गई है. भारत (India) ने कहा है कि डिसइंगेजमेंट को पूरा किया जाना बाकी है और दोनों देशों के वरिष्ठ सैन्य कमांडरों की वार्ता जल्द होने की उम्मीद है. इस वार्ता में पूर्वी लद्दाख (Ladakh) में सैनिकों के पूर्ण डिसइंगेजमेंट के लिए उठाए जाने वाले कदमों पर चर्चा होने की उम्मीद है. बीजिंग के दावे के अनुसार सेना द्वारा सत्यापित किए जाने के दो दिन बाद भारत के विदेश मंत्रालय ने साफ किया है कि डिसइंगेजमेंट अभी पूरा नहीं हुआ है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, "हम उम्मीद करते हैं कि चीनी पक्ष यथाशीघ्र पूरी तरह से पीछे हटने, तनाव कम करने तथा सीमावर्ती क्षेत्र में पूरी तरह से शांति बहाल करने के लिए हमारे साथ गंभीरता से काम करेगा. गौरतलब है कि बुधवार को चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था कि दोनों देशों की सेनाओं ने तीन जगहों- गलवान घाटी, हॉट स्प्रिंग्स और कोंका पास पर डिसइंगेजमेंट पूरा कर लिया है और सिर्फ पैंगांग लेक में पीछे हटना बाकी है. जबकि भारत ने कहा है कि पूरी तरह पीछे हटने की सहमति पर कुछ काम हुआ है लेकिन यह प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है.
लद्दाख में चीनी आक्रमण के प्रतिशोध में चीन के खिलाफ आर्थिक कदम उठाने के लिए भारत के कदम का जवाब देने के लिए चीनी राजदूत, सन वेईडोंग ने चेतावनी देते हुए, जबरन डिकम्प्लिंग केवल हार-हार के परिणामों को जन्म देगा. वहीं चीनी राजदूत सन वेईडोंग ने हाल ही में ट्विटर पर लिखा, "चीन ऐसे संबंधों की वकालत करता है जो दोनों पक्षों के लिए फायदेमंद हो और किसी का नुकसान ना हो. हमारी अर्थव्यवस्था एक-दूसरे की पूरक और एक-दूसरे पर निर्भर है. इसे जबरदस्ती कमजोर करना ट्रेंड के विपरीत जाना है. इससे दोनों देशों को सिर्फ नुकसान ही होगा."
चीनी राजदूत सन वेईडोंग का कहना है कि चीन कोई विस्तारवादी ताकत या रणनीतिक खतरा नहीं है. दोनों देशों के बीच सदियों से शांतिपूर्ण रिश्ते रहे हैं. हम कभी भी आक्रामक नहीं रहे और ना ही किसी देश की कीमत पर अपना विकास किया है.