नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी की सांसद कंगना रनौत ने आज कहा कि वह अपने उस बयान पर "अफसोस" करती हैं, जिसमें उन्होंने कहा था कि 2020 में किसानों के विरोध का केंद्र बने तीन कृषि कानूनों को वापस लाना चाहिए. हिमाचल प्रदेश के मंडी में अपने लोकसभा क्षेत्र में पत्रकारों से बात करते हुए, कंगना ने कहा था कि ये कानून—जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने नवंबर 2021 में बड़े विरोध प्रदर्शनों के बाद वापस लिया था—"लौटाने चाहिए... और किसानों को खुद इसकी मांग करनी चाहिए".
कंगना ने कहा, "मुझे पता है कि यह विवादास्पद होगा... लेकिन मुझे लगता है कि जिन कृषि कानूनों को रद्द किया गया था, उन्हें वापस लाना चाहिए. किसानों को खुद इसके लिए मांग करनी चाहिए. वे राष्ट्र के विकास के लिए ताकत का स्तंभ हैं और मैं उन्हें अपील करना चाहती हूं—अपने भले के लिए कानूनों को वापस मांगें."
हालांकि, भाजपा ने कंगना के इस बयान से खुद को दूर कर लिया, यह कहते हुए कि ये पार्टी के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते.
भाजपा के प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा, "कंगना रनौत को भाजपा की ओर से इस तरह का बयान देने का अधिकार नहीं है और यह कृषि बिलों पर भाजपा के दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व नहीं करता."
Do listen to this, I stand with my party regarding Farmers Law. Jai Hind 🇮🇳 pic.twitter.com/wMcc88nlK2
— Kangana Ranaut (@KanganaTeam) September 25, 2024
कंगना ने भाटिया के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "मेरे कृषि कानूनों पर विचार व्यक्तिगत हैं और वे पार्टी की स्थिति को नहीं दर्शाते." उन्होंने एक वीडियो बयान जारी करते हुए कहा कि कई लोग उनके टिप्पणियों से "निराश" हैं.
कंगना ने कहा, "मुझे ध्यान रखना चाहिए कि मैं सिर्फ एक कलाकार नहीं बल्कि एक भाजपा कार्यकर्ता भी हूं. मेरी राय व्यक्तिगत नहीं होनी चाहिए और इसे पार्टी की स्थिति के अनुसार होना चाहिए. अगर मेरे टिप्पणियों ने किसी को निराश किया है, तो मैं अपने शब्द वापस लेती हूं."
कंगना की हालिया फिल्म, 'इमरजेंसी', सेंसर प्रमाण पत्र के लिए संघर्ष कर रही है, और उन्हें पिछले महीने किसानों के विरोध पर अपने पूर्व टिप्पणियों के लिए भाजपा द्वारा एक बार पहले भी फटकार लगाई गई थी. उन्होंने कहा था कि यदि केंद्र द्वारा कठोर कदम नहीं उठाए गए होते, तो भारत में "बांग्लादेश जैसी स्थिति" पैदा हो सकती थी.
2020 में, जब किसानों का विरोध तेज हो रहा था, उन्होंने कथित तौर पर पंजाब की एक महिला किसान को गलत पहचान कर उन्हें "बिलकिस बानो" कह दिया था. यह टिप्पणी इस साल जून में फिर से सुर्खियों में आई जब कंगना पर एक महिला सीआईएसएफ अधिकारी द्वारा कार्रवाई की गई.
कंगना के कृषि कानूनों पर किए गए इस बयान ने कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) की आलोचना को जन्म दिया. कांग्रेस और आप ने कंगना पर निशाना साधते हुए कहा कि "ये काले कानून अब कभी वापस नहीं आएंगे... चाहे मोदी और उनके सांसद कितनी भी कोशिश करें."
कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनाते ने कहा, "750 से अधिक किसान शहीद हुए... तब जाकर मोदी सरकार जागी और ये काले कानून वापस लिए गए. अब भाजपा के सांसद इन्हें वापस लाने की योजना बना रहे हैं... लेकिन कांग्रेस किसानों के साथ है."
आप के बलबीर सिंह ने भी कंगना के बयान पर चुटकी लेते हुए कहा, "बस उनसे पूछिए कि ये तीन कृषि कानून क्या हैं. मुझे यकीन है कि वह इसका उत्तर नहीं दे पाएंगी. वह केवल कॉमेडी कर रही हैं. कृपया उन्हें गंभीरता से न लें."
आप के सांसद मलविंदर सिंह कांग ने भी कहा कि कृषि कानूनों को वापस लाने पर चर्चा करना "देश के लाखों किसानों और 750 शहीद किसानों का अपमान है." उन्होंने पीएम मोदी से अपील की कि यदि वह वास्तव में किसानों के साथ हैं, तो कंगना के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करें.
कंगना का यह नया बयान हरियाणा में विधानसभा चुनाव से कुछ दिन पहले आया है, जहां लाखों किसान दिल्ली मार्च कर चुके हैं और शहर के खिलाफ कई ब्लॉक प्रदर्शनों में भाग लिया है.