ईरान और अमेरिका में परमाणु कार्यक्रम पर नए सिरे से वार्ता
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

ईरान-अमेरिका के बीच परमाणु कार्यक्रम पर वार्ता शुरू हुई है. ईरान ने कहा है कि उसे अमेरिका के इरादों पर संदेह है, लेकिन वह बातचीत करेगा. ईरान, रूस से भी मशविरा कर रहा है. मध्यस्थता कर रहे ओमान के शासक भी रूस जा रहे हैं.अमेरिका और ईरान के बीच रोम में परमाणु कार्यक्रम पर वार्ता हो रही है. मध्यपूर्व में ट्रंप प्रशासन के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ अमेरिका की ओर से बातचीत का प्रतिनिधित्व करेंगे. ईरान की ओर से विदेश मंत्री अब्बास अरगची बातचीत का नेतृत्व कर रहे हैं.

ओमान दोनों देशों के बीच मध्यस्थता कर रहा है. एक हफ्ते पहले मस्कट में हुई प्रारंभिक चरण की बातचीत को दोनों पक्षों ने सकारात्मक बताया था. हालांकि, तब दोनों पक्षों में अप्रत्यक्ष तौर पर बातचीत हुई थी.

ईरान और अमेरिका की बातचीत आखिर इस वक्त क्यों?

साल 2018 में अपने पिछले कार्यकाल के दौरान ट्रंप ने ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते को रद्द कर दिया था. उसके बाद यह पहला मौका था, जब दोनों दोनों पक्षों के बीच इतने उच्च स्तर पर बातचीत हुई हो.

वार्ता के लिए ट्रंप ने सुप्रीम लीडर को भेजा था पत्र

इसी साल मार्च में राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने ईरान के सुप्रीम लीडर अयातोल्लाह अली खमेनेई को एक पत्र भेजा. इसमें उन्होंने ईरान को परमाणु कार्यक्रम पर नए सिरे से बातचीत शुरू करने का आमंत्रण दिया. साथ ही, कूटनीतिक कोशिशों के नाकाम रहने की स्थिति में सैन्य कार्रवाई की भी चेतावनी दी.

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'फॉक्स न्यूज' को दिए एक इंटरव्यू में ट्रंप ने इस पत्र के बाबत जानकारी देते हुए कहा, "मैंने उन्हें (ईरान) एक पत्र लिखा है, जिसमें मैंने कहा कि उम्मीद है आप बातचीत करेंगे. क्योंकि अगर हमें सैन्य तरीके से जाना पड़ा, तो यह बहुत बुरी चीज होगी, उनके लिए."

ट्रंप ने आगे कहा, "मैं समझौते के लिए बातचीत करूंगा. मैं पक्के तौर पर नहीं जानता कि हर कोई मुझसे सहमत है, लेकिन हम एक समझौता कर सकते हैं जो उतना ही अच्छा होगा, जितना सैन्य तरीके से जीतने पर होगा."

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रूस को साथ लेने की कोशिश कर रहा है ईरान

खबरों के मुताबिक, अमेरिका के साथ बातचीत में ईरान रूस को भी भरोसे में लेने की कोशिश कर रहा है. 19 अप्रैल को प्रस्तावित वार्ता से दो दिन पहले ईरान के विदेश मंत्री अरगची मॉस्को पहुंचे. सुप्रीम लीडर खमेनेई ने अरगची के मार्फत राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए एक पत्र भेजा था.

इस पत्र में पुतिन को अमेरिका के साथ प्रस्तावित परमाणु वार्ता के बारे में जानकारी दी गई. इस संदर्भ में ईरान की सरकारी मीडिया से बात करते हुए अरगची ने कहा, "परमाणु मसले को लेकर हम हमेशा अपने दोस्तों चीन और रूस के साथ करीबी सलाह-मशविरा करते हैं. अभी रूसी अधिकारियों के साथ ये करने का अभी सही मौका है."

रूस, ईरान का पुराना सहयोगी है. वह सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य है और उसके पास किसी प्रस्ताव पर वीटो लगाने का अधिकार है. कई विशेषज्ञों का अनुमान है कि तेहरान और वॉशिंगटन के बीच संभावित समझौते में रूस की अहम भूमिका हो सकती है.

मॉस्को में ही पत्रकारों से बात करते हुए अरगची ने कहा कि ताजा बातचीत के पहले चरण में उन्हें अमेरिका की ओर से थोड़ी गंभीरता नजर आई. हालांकि, उन्होंने अमेरिका के इरादों पर भी सवाल उठाया. अरगची ने कहा, "हमें अमेरिकी पक्ष की मंशा और कारणों पर गंभीर संदेह है. हालांकि, तब भी हम शनिवार (19 अप्रैल) की वार्ता में हिस्सा लेंगे."

ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बकाई ने भी एक सोशल मीडिया पोस्ट में ऐसा ही संदेह जताया. उन्होंने लिखा, "तेहरान जानता है कि यह आसान राह नहीं है, लेकिन हम आंख खोलकर हर कदम रख रहे हैं. हम अतीत के अनुभवों को भी ध्यान में रख रहे हैं."

इस बीच, वार्ता की मध्यस्थता कर रहे ओमान के सुल्तान हैयथम बिन तारिक अल सईद रूस की यात्रा पर जा रहे हैं. रूसी सरकार ने एक बयान जारी कर बताया कि 22 अप्रैल को सुल्तान हैयथम मॉस्को में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिलेंगे.

दोनों नेताओं के बीच बातचीत के अजेंडे में द्विपक्षीय कारोबार और आर्थिक संबंधों के अलावा अंतरराष्ट्रीय व क्षेत्रीय मुद्दे भी शामिल होंगे. चूंकि परमाणु वार्ता के क्रम में ईरान, रूस से सलाह-मशविरा कर रहा है, ऐसे में बहुत संभावना है कि सुल्तान हैयथम और पुतिन की मुलाकात में यह पक्ष भी शामिल हो.

समझौते की संभावना पर ईरान में संशय

ईरानी अधिकारियों का कहना है कि मौजूदा बातचीत परमाणु कार्यक्रम और आर्थिक प्रतिबंध खत्म करने पर केंद्रित है. विदेश मंत्री अरगची ने कहा कि अगर अमेरिका "अतार्किक और अव्यावहारिक मांग" ना करे, तो समझौता हो सकता है. विश्लेषकों का अनुमान है कि अमेरिका, ईरान के बलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम को भी वार्ता के विषयों में शामिल करने पर जोर देगा.

विटकॉफ कह चुके हैं कि ईरान को यूरेनियम इनरिच करने का कार्यक्रम पूरी तरह से रोकना होगा. वहीं, अरगची ने कहा कि ईरान को ऐसा करने का अधिकार है और इसपर किसी समझौते की गुंजाइश नहीं है. इस वार्ता से कोई ठोस समाधान हासिल होगा या नहीं, इसपर ईरान में अभी काफी संशय है. इसी हफ्ते खमेनेई ने आगाह किया कि ईरान के लोगों को वार्ता की सफलता से उम्मीद नहीं लगानी चाहिए क्योंकि इससे कुछ हासिल हो भी सकता है और नहीं भी.

संदेह और अनिश्चितता के बावजूद बातचीत शुरू होना अहम

फिलहाल वार्ता से कोई ठोस समाधान हासिल होने की संभावनाओं पर कई किंतु-परंतु हैं. बावजूद इसके अगर दोनों पक्ष सहमति के साझा बिंदु तलाश सकें, तो सकारात्मक नतीजा मिल सकता है. हालांकि, बातचीत हो रही है यह भी एक बड़ी सफलता है.

1979 में ईरान की राजनीतिक विचारधारा और नेतृत्व में हुए बदलाव के बाद दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंध नहीं रहे. 2015 में हुए ईरान परमाणु समझौते से उम्मीदें जगीं, लेकिन फिर ट्रंप ने यह करार खत्म कर दिया. कूटनीतिक जरियों के अभाव में ना केवल अमेरिका और ईरान के बीच, बल्कि मध्यपूर्व में भी तनाव बना रहा. अब बातचीत की राह बनने पर दोनों पक्षों के रुख में थोड़ी नरमी आई है.

18 अप्रैल को ट्रंप ने कहा, "बहुत साधारण तरीके से कहूं, तो मैं ईरान को परमाणु हथियार हासिल करने से रोक रहा हूं. मैं चाहता हूं कि ईरान महान और संपन्न बने." बातचीत की कामयाबी से ईरान को खुद पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों से राहत मिल सकती है.

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