Bihar Assembly Election 2020: पूर्व DGP गुप्तेश्वर पांडेय का फिर टूटा 'सियासी सपना', निराश नहीं होने की अपील

एनडीए में शामिल जनता दल-युनाइटेड के अपने कोटे की सभी 115 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा के बाद बिहार के पूर्व पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्वर पांडेय का चुनाव लड़ने का सपना एक बार फिर टूट गया है. एक संदेश देकर निराश नहीं होने की अपील की है. बिहार के डीजीपी रहे पांडेय ने कुछ दिनों पूर्व वीआरएस लेकर सीएम नीतीश कुमार की उपस्थिति में जेडीयू की सदस्यता ग्रहण की थी.

गुप्तेश्वर पांडेय (Photo Credits: ANI)

पटना, 8 अक्टूबर: राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (National Democratic Alliance) में शामिल जनता दल-युनाइटेड (JDU) के अपने कोटे की सभी 115 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा के बाद बिहार के पूर्व पुलिस महानिदेशक (DGP) गुप्तेश्वर पांडेय का चुनाव लड़ने का सपना एक बार फिर टूट गया है. इस बीच, उन्होंने अपने शुभचिंतकों के लिए सोशल मीडिया के जरिए एक संदेश देकर निराश नहीं होने की अपील की है. बिहार के डीजीपी रहे पांडेय ने कुछ दिनों पूर्व स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की उपस्थिति में जेडीयू की सदस्यता ग्रहण की थी.

तब यह कयास लगाए जा रहे थे कि गुप्तेश्वर पांडेय (Gupteshwar Pandey) इस चुनाव में बक्सर से जेडीयू के प्रत्याशी हो सकते हैं. लेकिन बक्सर सीट भाजपा के कोटे में चली गई. इसके बाद यह भी बातें सियासी हवा में तैरने लगी कि पांडेय को भाजपा टिकट देकर विधानसभा पहुंचा देगी, लेकिन भाजपा ने यहां परशुराम चतुर्वेदी को टिकट थमाकर उनके सियासी सपनों को तोड़ दिया. जेडीयू ने अपनी सभी 115 सीटों पर उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी, जिसमें गुप्तेश्वर पांडेय का नाम नहीं है.

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इसके बाद पूर्व डीजीपी पांडेय का दर्द छलक गया. पांडेय ने सोशल मीडिया के आधिकारिक एकाउंट से पोस्ट किया, "अपने अनेक शुभचिंतकों के फोन से परेशान हूं, मैं उनकी चिंता और परेशानी भी समझता हूं. मेरे सेवामुक्त होने के बाद सबको उम्मीद थी कि मैं चुनाव लड़ूंगा लेकिन मैं इस बार विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ रहा. हताश निराश होने की कोई बात नहीं है. धीरज रखें, मेरा जीवन संघर्ष में ही बीता है. मैं जीवन भर जनता की सेवा में रहूंगा. कृपया धीरज रखें और मुझे फोन नहीं करें. बिहार की जनता को मेरा जीवन समर्पित है."

वैसे, यह कोई पहली बार नहीं है कि पांडेय का विधानसभा या लोकसभा पहुंचने का सपना टूटा है. इससे पहले करीब 11 साल पहले 2009 में भी पांडेय ने वीआरएस लिया था, तब चर्चा थी कि वे भाजपा के टिकट लेकर बक्सर लोकसभा क्षेत्र से चुनावी मैदान में उतरेंगें, लेकिन उस समय भी उन्हें पार्टी ने टिकट नहीं दिया.

वैसे, पांडेय की राजनीतिक पारी में भले ही अब तक गोटी सही सेट नहीं हो सकी है, लेकिन अभी भी कई विकल्प खुले हुए हैं. कहा जा रहा है कि बिहार में राज्यपाल कोटे के 12 विधान परिषद सदस्यों का मनोनयन होना है. चुनाव के बाद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सत्ता में वापसी होती है तो जेडीयू के प्रमुख नीतीश कुमार के हाथ में होगा कि वो किसे विधान परिषद भेजते हैं. ऐसे में पांडेय अब इस कोटे के जरिए सदन पहुंचने के लिए राजनीतिक जुगाड़ कर अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं.

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