23 जुलाई, 2024 को अपना सातवां लगातार बजट पेश करके इतिहास रचने वाली वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने टाइम्स नेटवर्क को इंटरव्यू दिया है. उन्होंने बजट के प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की. यह बजट मोदी सरकार का तीसरे कार्यकाल में सत्ता में वापसी के बाद पहला व्यापक बजट था.
बजट के बारे में मिडिल क्लास की चिंताओं को दूर करते हुए, सीतारमण ने सवालों और चिंताओं को स्वीकार किया. वित्त मंत्री ने कहा कि "मैं मिडिल क्लास को राहत देना चाहती हूं लेकिन मेरी भी कुछ सीमाएं हैं. मैं टैक्स दर कम करके राहत देना चाहती हूँ, और इसीलिए स्टैंडर्ड डिडक्शन रेट को 50,000 रुपये से बढ़ाकर 75,000 रुपये किया गया है. टैक्स दर बढ़ाने से हाई इनकम क्लास का टैक्स लायबिलिटी भी बढ़ जाता है. नया टैक्स शासन टैक्स दर कम करने के उद्देश्य से लागू किया गया था और इसमें पुराने टैक्स शासन की तुलना में टैक्स दर कम है."
जीएसटी और आम लोगों के लिए राहत
सीतारमण ने जीएसटी के बारे में भी बात की और मिडिल क्लास की चुनौतियों को समझने के बारे में बताया. उन्होंने कहा- "खुद उस वर्ग का हिस्सा होने के नाते. मैं भी मिडिल क्लास से हूं...और उनकी समस्याओं को समझती हूं."
उन्होंने कहा कि जीएसटी से पहले, अलग-अलग राज्य आवश्यक वस्तुओं पर अपना-अपना टैक्स लगाते थे, जिससे देश भर में कीमतें अलग-अलग थीं. जीएसटी ने देश भर में आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को मानकीकृत किया है, जिससे आम लोगों को राहत मिली है. जीएसटी काउंसिल की स्थापना देश भर में आवश्यक वस्तुओं के लिए समान मूल्य सुनिश्चित करने के लिए की गई थी.
बजट 2024 में दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर 10% से बढ़ाकर 12.5% कर दिया गया. निर्मला सीतारमण ने बताया कि छोटे निवेशकों के लिए 1.25 लाख रुपये तक की आय कर मुक्त रहेगी. उन्होंने आश्वस्त किया कि इंडेक्सेशन हटाने से कोई नुकसान नहीं होगा. उन्होंने बताया कि कई छोटे निवेशक अधिक कमाते हैं, लेकिन कम टैक्स देते हैं, जिसके कारण दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर की दर 10% से बढ़ाकर 12.5% की गई.