देश से सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में लोकसभा चुनाव 19 मई को संपन्न हो गए हैं. चुनावों के परिणाम 23 मई को आएंगे. चुनावों से पहले एग्जिट पोल के अनुमान आये हैं. इन अनुमानों के अनुसार एक बार फिर पीएम मोदी प्रधानमंत्री की गद्दी पर बैठेंगे. ज्यादातर एग्जिट पोल में NDA को बहुमत मिलने का अनुमान लगाया गया. बहरहाल, एग्जिट पोल के बाद अंदाजा लगाया जा रहा है कि कांग्रेस का सत्ता का वनवास 5 साल और रहेगा. हालांकि, यह केवल अनुमान है फाइनल नतीजे गुरुवार को ही आएंगे.
एग्जिट पोल की मने तो देश की जनता ने फिर एक बार पीएम मोदी पर भरोसा किया है. कांग्रेस समेत पूरे विपक्ष को वोटरों ने नकार दिया है. आइये जानते हैं कि कांग्रेस फिर इस बार कमाल करने में क्यों रही नाकाम.
अमित शाह की आक्रामक रणनीति:
सियासी गलियारों में सभी यह बात कहते हैं कि अमित शाह जैसा चुनाव प्रबंदन कोई नहीं करता. इस बार के चुनावों में भी वह पूरी आक्रामक रणनीति के साथ मैदान में उतरे और विपक्ष के अरमानों पर पानी फेर दिया. एग्जिट पोल के नतीजे देखकर तो यही लगता है कि कांग्रेस के रणनीतिकार पूरी तरह विफल हो गए.
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मोदी पर हमला करना पड़ा भारी:
2014 के बाद कई सर्वे आए जिनमें यह ये बात सामने आई की पीएम मोदी की लोकप्रियता लगातार बढ़ी है. बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद तो पीएम मोदी की छवि में और सुधर आया. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सीधे पीएम मोदी को टारगेट किया. एग्जिट पोल की मने तो वोटरों को शायद यह बात पसंद नहीं आई.
पीएम मोदी की भ्रष्टाचार विरोधी छवि:
देश की जनता में पीएम मोदी की छवि भ्रष्टाचार विरोधी है. उनपर पहले CM और फिर PM रहते भ्रष्टाचार का कोई भी आरोप नहीं लगा है. इसके विरुद्ध कांग्रेस पर UPA 2 के दौरान भ्रष्टाचार के कई इलजाम लगे थे.
तीन राज्यों में जीत से कांग्रेस हुई ओवर कॉन्फिडेंट:
कांग्रेस को पिछले साल दिसंबर में मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में जीत हासिल हुई थी. इस जीत के बाद शायद कांग्रेस ओवर कॉन्फिडेंट हो गयी थी. राहुल गांधी तो जमकर प्रचार किया मगर स्थानीय नेता उतने सक्रीय नजर नहीं आये. एग्जिट पोल की मने तो राजस्थान में गहलोत-पायलट की जोड़ी भी कुछ कमाल करती नजर नहीं आ रही है.
बहरहाल, 23 मई को नतीजों का ऐलान होगा जिसके बाद पता लगेगा की देश का पीएम कौन बनेगा. यह खबर केवल एग्जिट पोल के अनुमान पर ही है.