कोरोना वायरस का प्रकोप पूरे देश में बड़ी तेजी से बढ़ रहा है. लेकिन इस वायरस का इसका सबसे अधिक असर महाराष्ट्र (Maharashtra) राज्य में देखा जा रहा है. महाराष्ट्र के मुंबई में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या अन्य राज्यों के मुकाबले दो गुना से भी अधिक है. COVID-19 को लेकर राज्य में अब सियासी जंग भी शुरू हो गई है. बीजेपी अब उद्धव ठाकरे की सरकार पर सीधे हमला कर रही है. कोरोना के बढ़ते केस को लेकर बीजेपी के नेता और पूर्व सीएम देवेंद्र फड़नवीस (Devendra Fadnavis) ने ठाकरे सरकार पर सीधा हमला किया है. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सबसे अधिक प्रभावित राज्य है और ऐसा लगता है कि मुंबई की स्थिति सरकार के हाथ से निकल गई है. पहले लॉकडाउन (Lockdown) की शुरुआत के बाद से ही सरकार ने रणनीतिक गलतियां कीं. राज्य का CM नया है और उनके पास कोई प्रशासनिक अनुभव नहीं है.
अगर सरकारी आंकड़ो पर नजर डालें तो महाराष्ट्र देश में टॉप पर बना हुआ है. राज्य में 40 हजार के करीब लोग कोरोना की चपेट में हैं. इसके साथ ही 267 लोगों की जान कोविड-19 के चलते गई है. जबकि 10 हजार 318 लोग इलाज के बाद ठीक हुए हैं. महाराष्ट्र में पुणे, मुंबई समेत कई जिले ऐसे हैं जहां पर कोरोना वायरस के कारण कोहराम मचा हुआ है. कोरोना वायरस के बढ़ते मरीजों की संख्या को देखते हुए स्वास्थ विभाग में खाली पड़े करीब 17000 पदों पर विशेषज्ञ डॉक्टरों, नर्सों और अन्य चिकित्सा कर्मचारियों की जल्द ही भर्ती करने का निर्णय लिया है.
ANI का ट्वीट:-
Maharashtra is the most affected state&it seems situation in Mumbai has gone out of the hand of the govt. The govt made strategical errors since the beginning of the first lockdown. The CM is new and has no administrative experience: Devendra Fadnavis, BJP leader&former Maha CM pic.twitter.com/yOXQ5NXGXr
— ANI (@ANI) May 21, 2020
दूसरी तरफ महाराष्ट्र की सरकार केंद्र सरकार पर हमला करने से नहीं चूक रही है. महाराष्ट्र की महिला एवं बाल कल्याण मंत्री यशोमति ठाकुर ने गुरुवार को केंद्र सरकार निशाना साधते हुए कहा कि केंद्र सरकार पर मुंबई के साथ सौतेली मां जैसा व्यवहार करने का आरोप लगाया और कहा कि कोविड-19 संकट से निपटने के लिए राज्य सरकार वित्तीय सहायता मुहैया करवा रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले सप्ताह घोषित किए गए 20 लाख करोड रुपये के आर्थिक पैकेज में केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र के खिलाफ जानबूझ कर पक्षपात किया.