दमोह लोकसभा सीट: कांग्रेस कैसे रोकेगी बीजेपी का विजयरथ, 30 सालों से जमाया है कब्जा
मध्य प्रदेश में लोकसभा की 29 सीटों के लिए चार चरणों में वोट डाले जाएंगे. पहले चरण के 6 सीटों पर चुनाव 29 अप्रैल को संपन्न हुए. जबकि 6 मई, 12 मई एवं 19 मई को बाकी बचे तीन चरणों के लिए वोटिंग होगी. दूसरे चरण में पड़ने वाले सात सीटों में एक दमोह जिला भी है.
भोपाल: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में लोकसभा की 29 सीटों के लिए चार चरणों में वोट डाले जाएंगे. पहले चरण के 6 सीटों पर चुनाव 29 अप्रैल को संपन्न हुए. जबकि 6 मई, 12 मई एवं 19 मई को बाकी बचे तीन चरणों के लिए वोटिंग होगी. दूसरे चरण में पड़ने वाले सात सीटों में एक दमोह जिला भी है. दमोह संसदीय क्षेत्र लंबे समय से बीजेपी का गढ़ बना हुआ है. 1962 में अस्तित्व में आए दमोह संसदीय क्षेत्र में बीजेपी ने अपना खाता 1989 में खोला और तब से यहां बीजेपी का विजय रथ नहीं थमा. हालांकि शुरुआती तीन चुनावों में दमोह लोकसभा सीट कांग्रेस के पाले में गई थी.
दमोह निर्वाचन क्षेत्र में अधिकतर मतदाता पिछड़े वर्ग से आते है. इसी बात को ध्यान में रखकर बीजेपी, कांग्रेस सहित तमाम राजनीतिक दलों ने यहां से अपने उम्मीदवार उतारे है. हालांकि कांग्रेस के लिए यहां से दोबारा जीत की शुरुआत करना काफी कठीन समझा जा रहा है. कांग्रेस ने प्रताप सिंह लोधी को दमोह सीट से अपना प्रत्याशी बनाया हैं. उनकी सीधी भिडंत बीजेपी के प्रहलाद पटेल से होगी. 2014 में दमोह लोकसभा सीट पर बीजेपी को 56.14 प्रतिशत वोट मिले जबकि कांग्रेस के खाते में 32.80 फीसदी वोट पड़े.
दमोह का 2014 में हाल-
प्रहलाद सिंह पटेल (बीजेपी)- 5 लाख 13 हजार 79 वोट
महेंद्र प्रताप (कांग्रेस)- 2 लाख 99 हजार 780 वोट
देवेंद्र चौरसिया (बीएसपी)- 31 हजार 519 वोट
संतोष भारती (आम आदमी पार्टी)- 11 हजार 298 वोट
गौरतलब है कि साल 2014 में हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को 29 में से सिर्फ दो सीटों-गुना एवं छिन्दवाड़ा पर जीत मिली, जबकि बीजेपी ने बाकी 27 सीटों पर जीत हासिल किया. कांग्रेस पिछले साल हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी को पछाड़ने के बाद अब लोकसभा के जरिए सूबे में दोबारा वापसी करने का भरसक प्रयास कर रही है.