कांग्रेस ने ईरान से तेल खरीदारी प्रतिबंध पर साधा मोदी सरकार पर निशाना, कहा- यह पार्टी कूटनीतिक एवं आर्थिक असफलता का प्रतिक
कांग्रेस ने ईरान से तेल की खरीद पर भारत समेत अन्य देशों को प्रतिबंधों से मिली छूट हटाने के अमेरिकी निर्णय को लेकर मंगलवार को सरकार पर निशाना साधा, कहा...
नई दिल्ली: कांग्रेस (Congress) ने ईरान से तेल की खरीद पर भारत समेत अन्य देशों को प्रतिबंधों से मिली छूट हटाने के अमेरिकी निर्णय को लेकर मंगलवार को सरकार पर निशाना साधा और कहा कि यह मोदी सरकार की ‘‘कूटनीतिक एवं आर्थिक असफलता’’ है. विपक्षी दल ने यह भी आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने तेल कंपनियों को 23 मई तक पेट्रोल और डीजल के दाम नहीं बढ़ाने का निर्देश दिया है ताकि ‘‘वोट बटोरे’’ जा सकें.
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला (Randeep Surjewala) ने कहा, ‘‘कच्चे तेल की कीमतें आसमान छू रही हैं - छह महीने में सबसे ज़्यादा ! रुपया लुढ़क कर ज़मीन पर गिर रहा है, 1 डॉलर = ₹69.61 है! अमेरिका ने ईरान से आयात होने वाले कच्चे तेल पर पाबंदी लगा दी है.’’ उन्होंने ट्वीट किया कि भारत ने 2018 में ईरान से 230 लाख टन कच्चा तेल खरीदा था. भारत के लिए ईरान से तेल आयात करना सहज है क्योंकि हमारा देश रूपये में भुगतान करता है, न कि डॉलर में.
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सुरजेवाला ने ट्वीट किया, ‘‘हमारे पास 60 दिन की ऋण अवधि और जहाजरानी से आयात की मुफ्त सुविधा है. यह कांग्रेस ने किया था. देश की तेल निर्भरता और सुरक्षा पर मोदी सरकार और प्रधानमंत्री मूकदर्शक बने बैठे हैं. क्यों?’’
उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘ईरान से कच्चा तेल निर्यात करने को लेकर भारत पर अमेरिका की पाबंदी, क्या भारत की संप्रभुता पर हमला नहीं है?’’ सुरजेवाला ने कहा, ‘‘रोजाना अपनी बहादुरी की झूठी शेखी बघारने वाले मोदीजी अब चुप क्यों है ? मोदी जी जनता को यह नहीं बता रहे कि उन्होंने जनता की आंख में धूल झोंकने और वोट बटोरने के लिए 23 मई तक तेल कंपनियों को पेट्रोल-डीजल की कीमतें नहीं बढ़ाने का निर्देश दिया है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘23 मई की शाम को ही पेट्रोल-डीज़ल की कीमतें ₹5-10 रुपए बढ़ाने की तैयारी है, पर जनता इस छलावे में नहीं आएगी!’’ सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने ईरान के चाबहार बंदरगाह में अरबों डॉलर का निवेश करके निर्माण किया ताकि अफगानिस्तान और मध्य एशिया से सीधे तौर से जुड़ा जा सके और पाकिस्तान के रास्ते की आवश्यकता नहीं पड़े. उन्होंने दावा किया कि अमरीकी पाबंदी का चाबहार बंदरगाह पर खराब असर होगा और इसके कारण राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता होगा.