नई दिल्ली: इस साल के अंत में 3 महत्वपूर्ण राज्य (मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़) में विधानसभा चुनाव होने हैं. 2019 से पहले इन चुनावों को सत्ता के सेमी-फाइनल के तौर पर भी देखा जा रहा है. चुनावों को लेकर कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही तैयारियों में पूरे दमखम के साथ जुटे हैं. दोनों ही पार्टी लोकसभा चुनाव से पहले होने वाले इन महत्वपूर्ण चुनावों को जीतना चाहते है, खासकर कांग्रेस, जिसे 2014 आम चुनावों के बाद से कई राज्यों में लगातार हार का सामना करना पड़ा है. मोदी-शाह की जोड़ी ने महाराष्ट्र, हरियाणा, असम और उत्तराखंड जैसे कई राज्यों में कांग्रेस से सत्ता छीन ली है.
मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में जीतने के लिए कांग्रेस एड़ी-चोटी का दम लगा रही हैं. तीनों राज्यों में कांग्रेस के नेता राज्य की सरकार को आड़े हाथों भी ले रहे हैं. मगर इन तीनों राज्यों में कांग्रेस की राह आसन नहीं होगी. राजनीतिक पंडितों की माने तो तीनों राज्यों में जीत की राह में तीन बड़े रोड़े आ सकते है. आइए उन्ही पर नजर डाल लेते हैं.
राजस्थान में गहलोत-पायलट संघर्ष:
राजस्थान में कांग्रेस में दो दिग्गज नेता हैं. एक ओर कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अशोक गहलोत हैं तो वहीं दूसरी ओर सूबे के पार्टी अध्यक्ष सचिन पायलट है. यदि कांग्रेस दोनों में से किसी एक का नाम आगे करती है तो दूसरा खेमा चुनाव से अपना हाथ उठा सकता है. यह कांग्रेस के लिए किसी मुसीबत से कम नहीं है. दोनों नेताओं को साथ रखना राहुल गांधी के लिए सबसे बड़ी चुनौती हैं.
मध्य प्रदेश में भी है अंदरूनी गुटबाजी:
राजस्थान की तरह ही एमपी में भी कांग्रेस को अंदरूनी गुटबाजी से जूझना होगा. वहां पार्टी के पास तीन सीएम उम्मीदवार हैं. कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह तीनों भी शिवराज सिंह चौहान को कुर्सी से हटा खुद उसपर बैठना चाहते हैं. मगर कांग्रेस की मुसीबत यह है कि यदि उन्होंने एक को सीएम उम्मीदवार घोषित किया तो बाकी दोनों की चुनावों में रूचि कम हो जाएगी जिसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ सकता है.
छत्तीसगढ़ में अजित जोगी बनें चुनौती:
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के सत्ता स्थापित करने के सपने को अजित जोगी ही तोड़ सकते हैं. जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ नाम से खुद की पार्टी बनाई है और उन्होंने मुख्यमंत्री रमन सिंह के खिलाफ जमकर मोर्चा खोल रखा है. हाल ही में उन्होंने सूबे में विजय रथ निकला था जिसको लोगों को अच्छा सपोर्ट मिला. कभी कांग्रेस में रहे जोगी को मिल रहे समर्थन से बीजेपी को फायदा हो सकता है. अजित जोगी कांग्रेस के वोटों में सेंध लगा सकते है जिससे बीजेपी फिर एक बार राज्य की सत्ता पर काबिज हो सकती है.
इसके आलावा छत्तीसगढ में भी कांग्रेस के तीन नेता सीएम उम्मीदवार की रेस में है. सूबे में भूपेश बघेल, सत्यनारायण शर्मा और टीएस सिंहदेव के बीच नेतृत्व की होड़ है.
आंकड़े:
मध्य प्रदेश:
मध्य प्रदेश में साल 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 230 में से 165 सीट मिली थी, कांग्रेस को 58 और बीएसपी को 4 सीट मिली थी. मगर 11 सीट पर बीएसपी दुसरे नंबर पर थी. अगर उस समय कांग्रेस मायावती के साथ गठबंधन कर मैदान में उतरती तो बीजेपी को 30 से ज्यादा सीटों का नुकसान होता.
राजस्थान:
सूबे में बीजेपी ने 2013 में कांग्रेस को सत्ता से बेदखल कर दिया था. बीजेपी को 200 में से 163 सीट मिली थी. कांग्रेस के खाते में 21 तो वहीं बीएसपी के खाते में 3 सीट गई थी. वहां अगर कांग्रेस और बीएसपी के बीच गठबंधन होता तो बीजेपी को 10 से ज्यादा सीटों का नुकसान हो सकता था.
छत्तीसगढ़:
छत्तीसगढ़ में बीजेपी को 90 में से 49 सीट हासिल हुई थी. कांग्रेस को 39 और बीएसपी को 1 सीट मिली थी. बीजेपी और कांग्रेस के वोट शेयर में ज्यादा अंतर नहीं था. बीजेपी को 41 प्रतिशत वोट मिले थे तो कांग्रेस को 40.3 फिसद. अगर कांग्रेस-बसपा साथ मिलकर चुनाव लड़ते तो बीजेपी के लिए सरकार बनाना शायद मुश्किल होता.