कांग्रेस के नेताओं को विधायकों के टूटने का डर, महाराष्ट्र से बाहर दूसरे राज्य में भेजने पर विचार
कांग्रेस (Photo Credits: Twitter)

मुंबई: महाराष्ट्र की सियासत में आज पूरे दिन राजनीतिक ड्रामा चलता रहा है और मौजूदा समय में भी जारी है. इसी बीच जो मीडिया के हवाले से खबर है उसके अनुसार कांग्रेस (Congress) के विधायकों को टूटने से बचाने के लिए पार्टी अपने विधायकों को कांग्रेस शासित राज्य मध्यप्रदेश के भोपाल भेजने के बारे में विचार कर रही है.  बता दें कि आज बड़े ही नाटकीय ढंग से महाराष्ट्र की राजनीतिक में देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री तो एनसीपी नेता अजित पवार (Ajit Pawar) ने उप मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. यह खबर लोगों तक पहुंचने के बाद राजनीति में माने भूचाल आ गया.

दरअसल कांग्रेस को अपने विधयाकों को लेकर डर है कि देवेन्द्र फडणवीस भले ही एनसीपी नेता अजित पवार के समर्थन से मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले लिया है. लेकिन राज्यपाल की तरफ से फडणवीस को 30 नंबर तक बहुमत साबित करने को कहा गया है. ऐसे में बीजेपी बहुमत साबित करने में नाकामयाब होने पर वह उनके विधायकों को खरीद फरोख कर तोड़ सकती है. हालांकि बीजेपी को बहुमत साबित करने में जरूर दिक्कत आएगी क्योंकि अजित पवार के साथ 11 जो विधायक साथ गए हुए थे. उसमें से करीब चार से ज्यादा विधायक पार्टी में वापस आ गए हैं. यदि विधायक बीजेपी के साथ रहते तो भी बहुमत साबित करने के लिए उन्हें कुछ अन्य विधायकों की जरूरत पड़ती. क्योंकि उनके पास निर्दलीय विधायकों का सब अकड़ा मिलाकर 119 हो रहा है. जबकि बहुतम साबित करने के लिए 145 विधायक चाहिए. यह भी पढ़े: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता नवाब मलिक का बड़ा बयान, कहा- BJP और अजित पवार भी मिलकर नहीं साबित कर पाएंगे बहुमत

अजित पवार को मनाने की कोशिश:

मीडिया के हवाले से जो खबर है उसके अनुसार अजित पवार को इस फैसले को लेकर एनसीपी प्रमुख शरद पवार काफी नाराज है. जिसको लेकर उन्हें राजनीतिक रूप से लोगों ने सामने अपमानित होना पड़ रहा है. इन्हीं बातों को देखते हुई अजित पवार को एनसीपी के नेताओं द्वारा मनाने की कोशिश की जा रही है.

बता दें कि महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव को लेकर के बाद बीजेपी- शिवसेना के बीच सरकार बनाने में दरार पड़ने के बाद कांग्रेस अपने विधायकों को को पहले भी राजस्थान के जयपुर भेज चुकी है. करीब एक हफ्ते वहां के एक फाइव स्टार होटल में रहने के बाद जब पार्टी को लगा कि राज्य में शिवसेना, एसीपी-कांग्रेस के साथ सरकार  कागठन हो सकता है. इसके बाद जयपुर भेजे गए सभी विधायकों को वापस मुबई बुलाया गया था.