Punjab: नवजोत सिंह सिद्धू का बड़ा बयान, कहा- पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष बना रहूँगा
पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी को लिखे अपने त्याग पत्र में, सिद्धू ने लिखा, "किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व में गिरावट समझौते से शुरू होती है. मैं पंजाब के भविष्य और पंजाब के कल्याण के एजेंडे से कभी समझौता नहीं कर सकता. इसलिए, मैं पंजाब प्रदेश के कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष के रूप में इस्तीफा देता हूं. कांग्रेस के लिए मेरी सेवा जारी रहेगी."
चंडीगढ़, 5 नवंबर: पंजाब (Punjab) कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) ने शुक्रवार को कहा कि उन्होंने पद से अपना इस्तीफा वापस ले लिया है. 28 सितंबर को पद छोड़ने की घोषणा करने वाले सिद्धू ने कहा, "मैं राज्य प्रमुख के रूप में काम करना जारी रखूंगा."यहां एक संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा कि जिस दिन नया महाधिवक्ता नियुक्त किया जाएगा और नए डीजीपी का पैनल प्राप्त होगा, वह कार्यालय में काम फिर से शुरू करेंगे. पंजाब में लोगों से जुड़े हुए वास्तविक मुद्दों पर होनी चाहिए चर्चा: नवजोत सिंह सिद्धू
उनकी घोषणा एडवोकेट जनरल एपीएस देओल ने अपने पद से इस्तीफा देने के बाद आई है और पंजाब सरकार ने पुलिस महानिदेशक की नियुक्ति के लिए संघ लोक सेवा आयोग को 10 नामों की सूची भेजी है. सिद्धू ने कहा, "जब आप सच्चाई के रास्ते पर होते हैं तो पोस्ट मायने नहीं रखती है. "19 जुलाई को राज्य प्रमुख नियुक्त किए गए सिद्धू ने अमरिंदर सिंह के बाद मुख्यमंत्री बने चरणजीत चन्नी के नेतृत्व वाली नई सरकार में मंत्रियों को विभागों के आवंटन के कुछ मिनट बाद इस्तीफा दे दिया था.
पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी को लिखे अपने त्याग पत्र में, सिद्धू ने लिखा, "किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व में गिरावट समझौते से शुरू होती है. मैं पंजाब के भविष्य और पंजाब के कल्याण के एजेंडे से कभी समझौता नहीं कर सकता. इसलिए, मैं पंजाब प्रदेश के कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष के रूप में इस्तीफा देता हूं. कांग्रेस के लिए मेरी सेवा जारी रहेगी."
सिद्धू के इस्तीफे के पीछे एक कारण यह भी था कि कांग्रेस सरकार देओल को अपना महाधिवक्ता नियुक्त कर रही थी. इसके कारण सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई, क्योंकि देओल हाल तक प्रदर्शनकारियों पर बेअदबी और पुलिस फायरिंग की घटनाओं के दौरान पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी, पुलिस प्रमुख के वकील थे. सिद्धू ने मीडिया को बताया कि बरगाड़ी की बेअदबी और नशीली दवाओं के मुद्दे को तार्किक निष्कर्ष तक ले जाने के लिए महाधिवक्ता और डीजीपी दो महत्वपूर्ण अधिकारी थे.