कई बड़े सेक्टर में सकारात्मक परिवर्तन लायेगी कमर्शियल कोल माइनिंग: पीएम नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिये एक कार्यक्रम में कोयला खदानों के वाणिज्यिक खनन के लिये नीलामी को लॉन्च करने के लिए आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि यह मामला तो कोयले का है, लेकिन हमें हीरे के सपने देख कर आगे चलना है. यह मौका आ चुका है. हमें इस अवसर को छोड़ना नहीं है, आइये हम मिलकर आत्म निर्भर भारत बनायें.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने गुरुवार को वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिये एक कार्यक्रम में कोयला खदानों के वाणिज्यिक खनन के लिये नीलामी को लॉन्च करने के लिए आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि यह मामला तो कोयले का है, लेकिन हमें हीरे के सपने देख कर आगे चलना है. उन्होंने कहा कि कोल सेक्टर में किए गए रिफॉर्म केवल कोयले के क्षेत्र में ही नहीं बल्कि कई सारे क्षेत्रों में सकारात्मक परिवर्तन लायेंगे.
प्रस्तुत हैं प्रधानमंत्री के संबोधन के प्रमुख अंश:
> आत्मनिर्भर भारत के तहत हम इम्पोर्ट को न्यूनतम स्तर पर लायेंगे. जो चीज आज हम इम्पोर्ट कर रहे हैं, कल हम उसी के एक्सपोर्टर बनेंगे. एक-एक क्षेत्र को चिन्हित कर भारत को हर क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाना है. एनर्जी सेक्टर में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए आज एक बहुत बड़ा कदम उठाया जा रहा है.
> यह कोल माइनिंग से जुड़े रिफॉर्म को जमीन पर उतारने का कार्यक्रम नहीं है, बल्कि यह 130 करोड़ एस्पिरेशन्स को रियलाइज़ करने का कमिटमेंट है. यह युवाओं के लिए लाखों अवसर तैयार करने की एक शुरुआत है.
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> आज हम केवल कोयले के ऑक्शन की लॉन्चिंग ही नहीं कर रहे हैं, बल्कि कोयला क्षेत्र को दशकों के लॉकडाउन से मुक्त कर रहे हैं. जो देश दुनिया में कोयले का तीसरा सबसे बड़ा भंडार है, वही देश कोयले के आयात में दूसरे नंबर पर है. अगर हमारे पास इतना भंडार है, तो हम सबसे बड़े एक्सपोर्टर क्यों नहीं बन सकते.
> हमारे यहां दशकों से देश के कोल सेक्टर को कैप्टिव और नॉन-कैप्टिव के जाल में उलझा कर रखा गया था. इसको कम्पटीशन से बाहर रखा गया था. ट्रांसपेरेंसी भी बहुत कम थी. कोयला खादानों के एलॉटमेंट में बड़े बड़े घोटालों की चर्चा हर किसी ने सुनी है. इस वजह से देश के कोल सेक्टर में इंवेस्टमेंट भी कम होता था और उसकी एफिशियंसी भी हमेशा सवालों के घेरे में रहती थी.
> अब तक कोयला निकलता किसी राज्य के लिए था, जाता दूर किसी अन्य राज्य में था और कोयले के भंडार से युक्त राज्य इंतजार ही करते रह जाते थे.
> जिस कोल लिंकेज की बात कोई सोच नहीं सकता था, वो हमने 2014 में सरकार बनने के बाद करके दिखाया. इससे कोल सेक्टर को मजबूती भी मिली. अभी हाल में हमने वो रिफॉर्म किए जिसकी चर्चा दशकों से चल रही थी.
> इस बात का सरकार ने ध्यान रखा है, जो नए प्राइवेट प्लेयर माइनिंग के क्षेत्र में आयें, उन्हें फाइनेंस के कारण दिक्कत नहीं हो, उसका ध्यान रखा गया है. एक मजबूत माइनिंग और मिनरल सेक्टर के बिना सेल्फ रिलायंस संभव नहीं है. क्योंकि मिनरल्स और माइनिंग हमारी इकोनॉमी के स्तम्भ हैं.
> कोयले के लिए अब बाज़ार खुल गया है, जिस सेक्टर को जितनी जरूरत होगी, वह खरीद सकेगा. इसका लाभ केवल कोल सेकटर में ही नहीं, बल्कि बाकी सेक्टर में भी मिलेगा. पावर प्रोडक्शन, स्टील प्रोडक्शन, आदि में सकारात्मक परिवर्तन होंगे.
> आयरन, बॉक्साइट, एल्युमिनियम, आदि के बहुत सारे रिजर्व हमारे देश में हैं. हाल ही में मिनरल को लेकर जो रिफॉर्म किए हैं, उनके कोल माइनिंग रिफॉर्म के साथ जुड़ जाने से बड़े परिवर्तन आयेंगे. हर स्टेकहोल्डर्स के लिए विन-विन सिचुवेशन है. इसके साथ ही राज्य सरकारों को बेहतर रेवेन्यू मिलेगा. बड़ी आबादी को रोजगार मिलेगा. हर सेक्टर पर एक पॉजिटिव असर दखने को मिलेगा. इसके कारण हमारे देश के गरीब इलाकों के और गरीब लोगों के सबसे ज्यादा आशीर्वाद हम सबको मिलने वाला है.
> कोल रिफॉर्म करते समय, इस बात का भी ध्यान रखा गया है कि पर्यावरण की रक्षा का भारत का कमिटमेंट कमोर नहीं पड़े. कोयले से गैस बनाने के लिए बेहतर टेक्नोलॉजी का प्रोयाग किया जाएगा. कोयले से निकलने वाली गैस का उपयोग ट्रांसपोर्ट, कुकिंग, आदि में हो सकेगा. 2030 तक हमने 100 मिलियन टन कोयले को गैसीफाई किया जाए. इसके लिए चार प्रोजेक्ट की पहचान हो चुकी है और इन पर करीब-करीब 20 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे.
> पूर्वी भारत को विकास का स्तम्भ बनाने का जरिया ये नए रिफॉर्म बनेंगे. पूर्वी भारत देश का वो हिस्सा है, जहां के तमाम जिले विकास के लिए लालायित हैं, उनमें सामर्थ है, शक्ति है, समझ है, सबकुछ है, लेकिन यही जिले, विकास की दौड़ में बहुत पीछे रह गए. देश में 14 जिले ऐसे हैं, जहां कोयले के बड़े-बड़े भंडार हैं. लेकिन इनका लाभ वहां के लोगों को नहीं हुआ, जितना होना चाहिए था. वहां के गरीबों को जितना लाभ होना चाहिए था, नहीं हुआ.
> लोग अपने खेत-खलियान छोड़ कर बड़े शहरों में चले जाते हैं. यह पूर्वी भारत की बहुत बड़ी समस्या है. इस बड़े कदम के साथ कमर्शियल माइनिंग को आगे बढ़ाना है. साथ ही लोगों के लिए रोजगार के लाखों अवसर तैयार किए जाएंगे. हाल ही में सरकार ने इस तरह के इंफ्रास्ट्रक्चर पर 50 हजार करोड़ रुपए खर्च करने का निर्णय लिया है.
> कोल प्रोडक्शन से राज्यों को जो अतिरिक्त रेवेन्यु मिलेगा, उसका इस्तेमाल वहां के विकास कार्यों में किया जा सकेगा. साथ ही राज्यों को डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड का उपयोग खदानों के आस-पास के क्षेत्रों के विकास में लगाया जाएगा. जहां सम्पदा है, वहां रहने वालों में सम्पन्नता भी हो, ऐसे कदम उठाये जा रहे हैं.
> ये ऑक्शन ऐसे समय में हो रहा है, जब भारत में बिजनेस एक्टिविटी नॉर्मल हो रही है. कंजम्शन और डिमांड तेजी से प्री-कोविड लेवल की तरफ बढ़ रहे हैं. इस नई शुरुआत के लिए इससे बेहतर समय हो ही नहीं सकता.
> हम भारतवासी अगर करोड़ों कंज्यूमर हैं, तो यह मत भूलें कि करोड़ों प्रोड्यूसर भी हैं. भारत अब अपनी डिमांड को मेक इन इंडिया से पूरी कर रहा है. इतना ही नहीं, बहुत जल्द हम मेडिकल प्रॉडक्ट्स के एक्सपोर्टर भी बनेंगे. आप अपना विश्वास बुलंद रखिये. हम सब मिलकर ये सपने साकार कर सकते हैं. यह 130 करोड़ देशवासियों का संकल्प है कि हमें सेल्फ रिलायंट इंडिया बनाना है और इस यात्रा की शुरुआत 130 करोड़ भारतीयों ने कर दी है.
> जीवन में ऐसे मौके बहुत कम आते हैं, जब हम इतिहास को बदल सकते हैं. यह मौका आ चुका है. हमें इस अवसर को छोड़ना नहीं है, आइये हम मिलकर आत्म निर्भर भारत बनायें.