Chhattisgarh: सीएम Bhupesh Baghel ने कहा- हमारे लिए छत्तीसगढ़िया भाई-बहनों की आंखों की चमक और चेहरे की मुस्कुराहट महत्वपूर्ण
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आकाशवाणी से प्रत्येक माह प्रसारित होने वाली ‘‘लोकवाणी‘‘ की 19वीं कड़ी में श्रोताओं से बातचीत करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ के हर क्षेत्र में भरपूर विकास हमारी सरकार की प्राथमिकता में है. यही वजह है कि प्रदेश में ढाई वर्ष में विकास का एक नया स्वरूप नजर आ रहा है.
रायपुर, 11 जुलाई 2021: मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आकाशवाणी से प्रत्येक माह प्रसारित होने वाली ‘‘लोकवाणी‘‘ की 19वीं कड़ी में श्रोताओं से बातचीत करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ के हर क्षेत्र में भरपूर विकास हमारी सरकार की प्राथमिकता में है. यही वजह है कि प्रदेश में ढाई वर्ष में विकास का एक नया स्वरूप नजर आ रहा है. यहां हर छत्तीसगढ़िया के सपनों और आकांक्षाओं को पूरा करने का कार्य हो रहा है. इस तरह से ‘‘ये बात है अभिमान की, छत्तीसगढ़िया स्वाभिमान की‘‘ के महत्वपूर्ण संकल्प के साथ हम ‘‘नवा छत्तीसगढ़‘‘ गढ़ रहे हैं. मुख्यमंत्री श्री बघेल आज लोकवाणी में ‘‘विकास का नया दौर‘‘ विषय पर प्रदेशवासियों से बात-चीत कर रहे थे. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के विकास के लिए पुरखों से लेकर नई पीढ़ी तक सबका भरपूर उत्साह है. यह खुशी की बात है कि इसे पूरा करने और उनके सपनों में रंग भरने का अवसर हमें मिला है. उन्होंने कहा कि मैं अपनी बात वहां से शुरू करना चाहता हूं, जहां से हमारे पुरखों डॉ. खूबचंद बघेल, पंडित सुन्दर लाल शर्मा, बैरिस्टर छेदीलाल, मिनीमाता, चंदूलाल चंद्राकर, पवन दीवान, डॉ. टुमन लाल, बिसाहू दास महंत, डॉ. राधा बाई, बी.आर. यादव, ठाकुर प्यारे लाल सिंह जैसे अनेक हमारे नेताओं ने, समाज सुधारकों ने, राजनेताओं ने, साहित्यकारों और कलाकारों ने पृथक छत्तीसगढ़ राज्य का सपना देखा था, इसके लिए संघर्ष किया था. वास्तव में यह भारत के नक्शे में सिर्फ एक अलग राज्य के रूप में एक भौगोलिक क्षेत्र की मांग नहीं थी, बल्कि इसके पीछे सदियों की पीड़ा थी. ये छत्तीसगढ़िया सपनों और आकांक्षाओं को पूरा करने की मांग थी. राज्य में हमारी सरकार द्वारा इसे पूरा करने का कार्य किया जा रहा है.
हर छत्तीसगढ़िया की आंखों की चमक और चेहरे की मुस्कुराहट के लिए हो रहे कार्य:
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा कि जब बस्तर और सरगुजा के आदिवासी अंचलों में लोगों को उनकी वनोपज का सही दाम नहीं मिलता था, तो हमारा दिल दुखता था. जब कोई किसान कर्ज से लदे होने के कारण फांसी पर झूल जाता था, तब हमारी आत्मा रोती थी. जब हम छत्तीसगढ़िया आकांक्षाओं की बात कहते हैं तो उसमें जाति, धर्म, समाज, वर्ग जैसी चीजों से ऊपर उठकर ऐसे विकास की बात करते हैं, जिसमें हमारी परंपराओं और संस्कृति का सम्मान हो, जिसमें छत्तीसगढ़ी भाई-बहनों के श्रम और उपज के सम्मान का भाव हो, छत्तीसगढ़ के स्वाभिमान की बात हो. सीमेंट-कांक्रीट की चमक, हमारे लिए कोई मायने नहीं रखती, हमारे लिए तो छत्तीसगढ़िया भाई-बहनों की आंखों की चमक और चेहरे की मुस्कुराहट महत्वपूर्ण है.
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छत्तीसगढ़ के लिए चुना गया है दूरगामी महत्व के चौतरफा विकास का रास्ता:
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि नरवा-गरवा-घुरवा-बारी को छत्तीसगढ़ के सर्वांगीण विकास से, ग्रामीण अर्थव्यवस्था और अस्मिता से जोड़ना हो, तो निश्चित तौर पर यह हमारी प्राथमिकता है. हम छत्तीसगढ़ के बुनियादी विकास की बात करते हैं और उसी दिशा में सारे प्रयास किए गए हैं, जिसके कारण आर्थिक मंदी और कोरोना जैसे महासंकट के दौर में भी, छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था अपनी पटरी पर बनी रही. जब देश और दुनिया के बाजारों में सन्नाटा था, तब छत्तीसगढ़ में ऑटो-मोबाइल से लेकर सराफा बाजार तक में उत्साह था. हमारे कल-कारखाने भी चलते रहे और गौठान भी. हमारा रास्ता थोड़ा लंबा जरूर है, लेकिन यह स्थायी विकास का रास्ता है, जिसे समय के थपेड़े बाधित नहीं कर सकते. हमारे फैसले छत्तीसगढ़ को न सिर्फ तात्कालिक राहत देते हैं बल्कि दूरगामी महत्व के साथ, चौतरफा विकास के रास्ते खोलते हैं.
आदिवासी अंचलों के भी विकास के लिए नवाचार सहित नए-नए उपाय:
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि आदिवासियों से जुड़ी हुई बात, कोई भी विषय, कोई भी समस्या को हम छोटा नहीं मानते और आदिवासी अंचलों में आम जनता की सहूलियत के नए-नए उपाय करने के लिए प्रशासन को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं. पिछले ढाई सालों में ऐसे अनेक छोटे-बड़े नवाचार हुए हैं, जिसका लाभ मिल रहा है. डेनेक्स कपड़ा फैक्ट्री से लेकर वनोपज संग्रह में महिला स्व-सहायता की भूमिका, देवगुड़ी के विकास से लेकर स्थानीय उपजों के वेल्यूएडिशन तक बहुत से काम किए गए हैं. मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि मैंने डीएमएफ के उपयोग के लिए नई गाइड लाइन बनवाई थी, जिसके कारण बस्तर में कुपोषण मुक्ति से लेकर मलेरिया उन्मूलन तक सफलता का नया कीर्तिमान रचा गया है. मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लीनिक योजना 11 लाख मरीजों तक पहुंचती है तो मुख्यमंत्री स्लम स्वास्थ्य योजना और दाई-दीदी मोबाइल क्लीनिक जैसी पहल का लाभ 5 लाख लोगों को मिलता है.
सुगम आवागमन के लिए होगा 16 हजार करोड़ के सड़कों का निर्माण:
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि हमारा लक्ष्य प्रदेश के ग्रामीण अंचल, वन अंचल, बसाहटों, कस्बों और शहरों में रहने वाले लोगों का जीवन आसान बनाना है. आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि आगामी दो वर्षों में हम 16 हजार करोड़ की लागत से हजारों सड़कें और पुल-पुलिया बना रहे हैं. हमारा लक्ष्य है कि सड़कों का नेटवर्क पूरा हो. ऐसा न हो कि सड़क तो हैं, लेकिन एप्रोच नहीं, पुल-पुलिया नहीं. इसलिए हमारी परियोजनाओं में समग्रता का भाव है. हमने विभिन्न योजनाओं की सड़कों को तत्परता से बनाते हुए अनेक कीर्तिमान भी बनाए हैं. चलिए, सिर्फ एक साल 2020-21 की बात कर लेते हैं. इसमें ‘प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना’ के तहत प्रदेश में 4 हजार 228 किलोमीटर सड़कें बनाई गईं. आप इतिहास निकालकर देख लीजिए, इतना काम पिछले किसी एक साल में नहीं हुआ. इसी तरह पीएमजीएसवाई सड़कों की पूर्णता का प्रतिशत 121 रहा. ‘मुख्यमंत्री ग्राम गौरवपथ योजना’ के तहत 94 किलोमीटर की 261 सड़कें बनाई, ‘मुख्यमंत्री ग्राम सड़क एवं विकास योजना’ में 387 किलोमीटर की 97 सड़कें बनाईं, पूरे ढाई साल को देखें तो हमने पीएमजीएसवाई के तहत 8 हजार 545 किलोमीटर सड़कें बनाई, जो एक बड़ी उपलब्धि है.
प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण पर जोर:
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि ढाई साल पहले सरकार में आते ही हमने स्वास्थ्य के क्षेत्र में जिस तरह के सुधार किए और व्यवस्थाओं को चौक-चौबंद किया, उसका बहुत लाभ कोरोना से निपटने में भी मिला है. वर्ष 2018 के अंत में प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में सिर्फ एक हजार 378 डॉक्टर काम कर रहे थे, हमने उसे बढ़ाकर 3 हजार 358 कर दिया. इसी प्रकार मेडिकल स्टाफ की संख्या भी 18 हजार से बढ़ाकर लगभग 22 हजार कर दी गई है. कोरोना से लड़ने के लिए विशेष सुविधाओं की जरूरत पड़ी तो वेंटिलेटर, आईसीयू बेड्स, एचडीयू बेड्स, ऑक्सीजनयुक्त बेड, ऑक्सीजन कान्सेंटेटर, हर तरह के ऑक्सीजन सिलेंडर, पीएसए ऑक्सीजन प्लांट, लिक्विड ऑक्सीजन टैंक, मल्टीमॉनिटर्स जैसे आवश्यक उपकरणों की उपलब्धता को भी कई गुना बढ़ाया गया है. हम कांकेर, कोरबा तथा महासमुंद में नए मेडिकल कॉलेज भी खोल रहे हैं, जिससे प्रदेश में डॉक्टरों की संख्या बढ़ेगी और जनता को इसका लाभ भी मिलेगा. पिछले दो बजट में हमने स्वास्थ्य के क्षेत्र में सबसे अधिक बढ़ोतरी करते हुए 880 करोड़ रू. का बजट दिया. इसके अलावा राज्य आपदा राहत मद से 50 करोड़ रू. मुख्यमंत्री सहायता कोष से 80 करोड़ रू. भी दिए, जिससे स्वास्थ्य क्षेत्र में कुल मदद बढ़कर 1 हजार करोड़ से अधिक हो गई है.
39 लाख से अधिक घरेलू बिजली उपभोक्ताओं को 1822 करोड़ रूपए का लाभ:
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि हमारी मंशा है कि बिजली के उपयोग से हमारे प्रदेश की जनता, गरीबों, किसानों का आत्मविश्वास और आत्मसम्मान बढ़े, इससे उनके परिवार को संबल मिले और वे विकास के हर साधन और हर रास्ते का उपयोग कर सके. छत्तीसगढ़ के कोयले से अगर बिजली बनती है तो उसके लाभ में सीधे हिस्सेदारी आम जनता की होनी चाहिए. यही वजह है कि हमने घरेलू बिजली उपभोक्ताओं के लिए बिजली बिल हाफ योजना लागू की है. इस योजना के तहत प्रदेश के 39 लाख से अधिक उपभोक्ताओं को विगत 27 महीने में 1 हजार 822 करोड़ रू. का लाभ दे चुके हैं. इस योजना के तहत प्रत्येक घरेलू उपभोक्ता को बिना जाति-धर्म या आय के बंधन के प्रतिमाह 400 यूनिट बिजली निःशुल्क दी जा रही है. इसके अलावा 5 हार्स पावर तक के सिंचाई पंप का उपयोग करने वाले लगभग 6 लाख किसानों को भी निःशुल्क बिजली दी जा रही है. बीपीएल श्रेणी के 18 लाख परिवारों को 30 यूनिट बिजली प्रतिमाह निःशुल्क दी जा रही है. इसी तरह बिजली की वितरण व्यवस्था में सुधार के लिए 1281 करोड़ रूपए के लागत के कार्य किए जा चुके हैं तथा 211 करोड़ रू. के कार्य किए जा रहे हैं. राज्य में 1400 करोड़ रूपए से अधिक की लागत से 33 केवी उपकेन्द्रों की स्थापना, ट्रांसफार्मर एवं लाइन विस्तार जैसे अनेक कार्य किए गए हैं. इस तरह से हमने बिजली को जनता की ताकत बनाने में सरकार की ताकत लगाई है.
नई औद्योगिक नीति से प्रदेश में 47 हजार करोड़ रूपए का होगा पूंजी निवेश:
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि प्रदेश के औद्योगिक विकास का लाभ प्रदेश की जनता को दिलाने के लिए नई औद्योगिक नीति बनाई गई है, जिसके कारण प्रदेश में 47 हजार करोड़ रुपये का पूंजी निवेश होगा और 67 हजार से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा. अप्रत्यक्ष रूप से इसमें लाखों लोगों को लाभ मिलेगा. हमने हर विकासखंड में फूडपार्क स्थापित करने की दिशा में कार्यवाही शुरू की है. सुकमा में फूडपार्क की स्थापना हेतु अधोसंरचना विकास का कार्य शुरू कर दिया गया है. दुर्ग जिले में 78 करोड़ रुपये लागत के वनोपज प्रसंस्करण के लिए वृहद इकाई स्थापित करने की दिशा में भी काम शुरू हो गया है. ऐसी ही दर्जन भर अन्य इकाइयां, विभिन्न स्थानों पर लगाने के लिए निजी संस्थाओं से करार किए गए हैं. आदिवासियों तथा वन आश्रित परिवारों को सीधा लाभ दिलाने के लिए हमने समर्थन मूल्य पर वनोपज खरीदी संख्या 7 से बढ़ाकर 52 की. 17 वनोपजों की संग्रहण मजदूरी तथा समर्थन मूल्य में वृद्धि की, जिसके कारण 13 लाख से अधिक आदिवासियों और वन आश्रित परिवारों को हर साल 502 करोड़ रू. अतिरिक्त मिलेंगे. ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ के तहत हर साल लगभग 5700 करोड़ रू. का भुगतान किया जा रहा है. ‘गोधन न्याय योजना’ से होने वाला भुगतान भी 125 करोड़ रू. से अधिक हो चुका है. इस तरह हमने प्राकृतिक संसाधनों को लोगों की आय का जरिया बनाने का बड़ा कदम उठाया है और हमारी नजर में यही सार्थक विकास है.
वर्ष 2023 तक प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों के सभी घरों में पहुंचेगा नल:
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि 17 दिसम्बर 2018 के पहले 18 हजार करोड़ रूपये से अधिक लागत की 543 सिंचाई परियोजनाएं अधूरी छोड़ दी गई थीं. हमने मात्र दो साल में इनमें से 138 परियोजनाएं पूर्ण कर दी हैं तथा 405 का काम प्रगति पर है. इतना ही नहीं 17 दिसम्बर 2018 के बाद हमने 429 नई परियोजनाएं स्वीकृत की हैं. जिनकी लागत 1 हजार 657 करोड़ रुपये है. इस तरह मात्र ढाई साल में नई-पुरानी मिलाकर 150 सिंचाई परियोजनाएं हमने पूर्ण की हैं और 822 योजनाओं का काम शुरू करा दिया है, जिसे निर्धारित समय में पूरा कराने का लक्ष्य है. जहां तक पेयजल का सवाल है तो हमने ‘जल-जीवन मिशन’ के माध्यम से एक बड़ा अभियान छेड़ दिया है, जिसके तहत वर्ष 2023 तक प्रदेश के सभी 39 लाख ग्रामीण घरों में नल से शुद्ध जल पहुंचाया जाएगा. पहले प्रति व्यक्ति, प्रतिदिन 40 लीटर शुद्ध पेयजल प्रदाय का लक्ष्य था, जिसे अब बढ़ाकर 55 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन कर दिया गया है. इस योजना के लिए चालू वर्ष में 850 करोड़ रुपये का बजट आवंटन किया गया है. हमारा मानना है कि जब हर घर में नल के माध्यम से शुद्ध पानी पहुंचने लगेगा तो उससे सबसे अधिक राहत हमारी माताओं, बहनों को मिलेगी. अपने घर पर लगे नल से, साफ पानी मिलना शुरू हो जाए तो यह विकास का सही मापदण्ड है. मैं बताना चाहता हूं कि भारत सरकार ने जल-जीवन मिशन के तहत सभी ग्रामीण घरों में नल के माध्यम से शुद्ध जल पहुंचाने के लिए वर्ष 2024 की समय सीमा तय की है. लेकिन हम छत्तीसगढ़ में यह काम एक साल पहले पूरा करना चाहते हैं ताकि इससे ग्रामीण घरों में लोगों का समय और परिश्रम बचना जल्दी शुरू हो जाए, जिससे वे शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार जैसे कामों में अधिक ध्यान दे पाएं.
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शिक्षा का स्तर बढ़ाने के लिए स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल योजना:
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि हमने सरकार में आते ही सबसे पहले शिक्षकों को सम्मान दिलाने का अभियान शुरू किया. क्योंकि जिस समाज में शिक्षक-शिक्षिकाओं का सम्मान होता है. उसी समाज में नए ज्ञान के अंकुर फूटते हैं, सबसे पहले तो अपना वादा निभाया और 26 हजार शिक्षाकर्मियों का संविलियन किया, जिससे उन्हें नियमित वेतनमान, पदोन्नति, स्थानांतरण जैसी तमाम सुविधाएं मिलने लगीं. अभी तक प्रदेश में 2 हजार 800 व्याख्याताओं की भर्ती का काम पूरा हो चुका है. उन्होंने ज्वाइन भी कर लिया है. 10 हजार से अधिक पदों पर शिक्षकों तथा सहायक शिक्षकों के चयन की प्रक्रिया पूरी हो गई है. अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के बच्चों को छात्रवृत्ति तथा भोजन सहाय राशि में वृद्धि की गई। देश में पहली बार शिक्षा के अधिकार के तहत 12वीं तक निःशुल्क शिक्षा की व्यवस्था की गई है. ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन करने वाली बेटियों की निःशुल्क पढ़ाई की व्यवस्था की गई है. प्रदेश में स्कूल से ही शिक्षा का स्तर बढ़ाने के लिए स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल योजना शुरू की गई है, जिसके तहत 171 शालाओं में बच्चों को प्रवेश दिया जा रहा है. कोरोना से जिन बच्चों के पालकों का निधन हुआ है, उन बच्चों को निःशुल्क शिक्षा देने के लिए हमने ‘महतारी दुलार योजना’ शुरू की है, जिसके तहत सरकारी तथा निजी स्कूलों में बच्चों को प्रवेश दिलाकर उनकी निःशुल्क शिक्षा, पात्रता अनुसार छात्रवृत्ति तथा निःशुल्क कोचिंग आदि की व्यवस्था की जा रही है. विभिन्न वर्गों और शैक्षणिक स्तर के लोगों के रोजगार के व्यापक प्रबंध किए जाने के कारण प्रदेश में बेरोजगारी दर ढाई वर्षों में 22 प्रतिशत से घटकर 3 प्रतिशत पर आ गई है, जो राज्य के विकास के विभिन्न प्रयासों की सार्थकता का प्रतीक है. मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने लोकवाणी में सूरजपुर जिले के बरखापाली से चांदनी राजवाड़े, बस्तर जिले के मोंगरापाल से श्री अमन लहरे, मदनपुर-कवर्धा से श्री कृष्ण कुमार साहू, रायगढ़ जिले के ग्राम रेड़ा से श्री देवराम, रायपुर से श्री बृजमोहन अग्रवाल, ग्राम कटगो से शिमला मेरावी, रायपुर से अपूर्वा शर्मा तथा सरपंच सरोरा-रायपुर से श्री बिहारी राम वर्मा के सवालों का जवाब देते हुए उनसे प्राप्त सुझावों के लिए धन्यवाद दिया.