केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को किया सूचित, कहा- विदेशी तबलीगियों पर आपराधिक मामलों तक उन्हें उनके देश भेजने का सवाल नहीं
केंद्र ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि गृह सचिव ने सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर विदेशी तबलीगी नागरिकों को उनके संबंधित देशों को न सौंपे जाने का अनुरोध किया है. केंद्र ने शीर्ष अदालत को बताया कि गृह सचिव ने कहा है कि विदेशी नागरिक पर्यटक वीजा पर तबलीगी गतिविधियों में शामिल पाए गए हैं.
नई दिल्ली, 2 जुलाई: केंद्र ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि गृह सचिव ने सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर विदेशी तबलीगी नागरिकों को उनके संबंधित देशों को न सौंपे जाने का अनुरोध किया है. केंद्र ने शीर्ष अदालत को बताया कि गृह सचिव ने कहा है कि विदेशी नागरिक पर्यटक वीजा पर तबलीगी गतिविधियों में शामिल पाए गए हैं, उन्हें तुरंत उनके देशों में उनकी एकांतवास अवधि खत्म होने के बाद निर्वासित नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि उनके खिलाफ आपराधिक मामले मौजूद हैं.
अपने जवाबी हलफनामे में केंद्र ने कहा कि वीजा की शर्तों के उल्लंघन के अलावा तबलीगी गतिविधियों में शामिल होकर याचिकाकर्ताओं (विदेशी नागरिकों) ने मौजूदा कोविड-19 के दौरान कई लोगों के जीवन को खतरे में डाल दिया है. इसलिए वे कानूनी कार्रवाई के लिए उत्तरदायी हैं. केंद्र ने शीर्ष अदालत को यह भी सूचित किया कि वीजा प्राप्त करने के लिए या रद्द किए गए वीजा को जारी रखने के लिए किसी विदेशी के पास कोई मौलिक अधिकार मौजूद नहीं है.
केंद्र ने जोर देकर कहा कि वीजा उल्लंघन के अलावा, विदेशी तबलीगी जमात के सदस्यों ने कोरोनावायरस महामारी के दौरान सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल में कई लोगों की जान को खतरे में डाला है. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट के सामने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता (विदेशी नागरिक) मौलिक अधिकार के रूप में देश की यात्रा करने के मौलिक अधिकार का दावा नहीं कर सकते हैं.
केंद्र ने शीर्ष अदालत को बताया कि चूंकि विदेशियों ने विभिन्न अधिनियमों के तहत कई प्रावधानों का उल्लंघन किया है, इसलिए उसने राज्यों से अनुरोध किया था कि एकांतवास अवधि समाप्त होने के बाद उन्हें तुरंत उनके देशों को नहीं भेजा जाए, क्योंकि मामले में उचित दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है. न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने केंद्र के हलफनामे को रिकॉर्ड पर लिया. केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ के समक्ष दलील दी कि सक्षम अधिकारियों द्वारा वीजा रद्द करने, व्यक्तियों को ब्लैकलिस्ट करने और उसी के अनुसरण में उठाए गए अन्य कदमों के संबंध में व्यक्तिगत आदेश पारित किए गए हैं.
पीठ ने मामले को 10 जुलाई को आगे की सुनवाई के लिए पोस्ट कर दिया है और याचिकाकर्ताओं को अपना हलफनामा दाखिल करने के लिए स्वतंत्रता दी है. केंद्र ने कहा कि नौ ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया (ओसीआई) सहित 2,679 विदेशियों के वीजा रद्द कर दिए गए हैं और उनके वीजा को केस टू केस के आधार पर रद्द किया गया है. केंद्र ने कहा कि कुल 2,765 विदेशियों को ब्लैकलिस्ट किया गया है, 205 एफआईआर दर्ज की गईं और 1,905 विदेशी जमात सदस्यों के खिलाफ नोटिस जारी किए गए.
केंद्र ने कहा कि टूरिस्ट वीजा पर तबलीगी जमात की गतिविधियों में भाग लेना विदेशी वीजा नियमावली, 2019 के प्रावधानों का गंभीर उल्लंघन है और द फॉरेनर्स एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत दंडनीय अपराध भी है. उल्लेखनीय है कि तबलीगी जमात में शामिल हुए विदेशियों ने वीजा रद्द करने और ब्लैक लिस्ट किए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. इसके अलावा वतन वापस भेजने की भी मांग की है.